बक्सर

कभी बक्सर का इलाका जंगल हुआ करता था । जंगल के बीचोबीच एक सर (तालाब ) था , जहां बाघ पानी पीने आया करते थे । बाघ को संस्कृत में व्याघ्र कहते हैं । इसलिए इस जगह को व्याघ्रसर कहा जाने लगा । यही व्याघ्रसर कालांतर में अपभ्रंशित हो बघसर या बगसर हो गया । आज इस जगह को हम बक्सर के नाम से जानते हैं । पौराणिक काल में यह जगह विश्वामित्र की तपस्थली थी । वही विश्वामित्र जिन्होंने गायत्री मंत्र का आविष्कार किया था । ताड़का , सुबाहु और मारीच जैसी आसुरी शक्तियां विश्वामित्र के तप को भंग करती रहतीं थीं । राम ने इनका नाश कर विश्वामित्र और उनके समकालीन ऋषियों का तप भंग होने से बचा लिया था ।
विश्वामित्र को इसी जगह पर सिद्धि मिली थी । विश्वमित्र , लोपमुद्रा व अन्य ऋषियों ने यहीं पर ऋग्वेद की रचना की थी। इसलिए यह जगह सिद्धाश्रम या वेदगर्भापुरी के नाम से भी जाना गया । बक्सर भगवान के वामन अवतार के लिए भी जाना जाता है । आज बक्सर पंच कुण्ड , पंचाश्रम व पंच शिवलिंग के कारण एक तीर्थ स्थल बन गया है । माघ की पंचमी से बक्सर में पंचकोसी मेला लगता है , जो गौतम आश्रम (अहिरौली ) से शुरू होकर नारद आश्रम ( नदांव ) , भार्गवाश्रम (भभुवर ) , उत्ताकाश्रम ( उनांव ) होते हुए विश्वामित्राश्रम ( चरितर वन ) में खत्म होता है , जहां लिट्टी चोखा का भोग लगता है , जिसे उस दिन प्रसाद के रूप में खाया जाता है।

बक्सर के पास 1539 ई में हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच लड़ाई लड़ी गयी थी । इस युद्ध का परिणाम शेरशाह सूरी की तरफ रहा था । हूमायूं अपनी जान बचाने के लिए उफनती हुई गंगा नदी पार कर गया । इस काम में एक भिश्ती ने उसकी मदद की थी । भिश्ती का नाम निजाम था । जब हूमायूं बादशाह बना तो उसने उस भिश्ती को ढाई दिन के लिए बादशाह बना दिया एहसान चुकता करने के लिए । भिश्ती ने बादशाहत मिलते हीं टकसाल की तरफ रूख किया । उसने चमड़े के सिक्के टकसाल में बनवाने का आदेश दिया । टकसाल में धड़ल्ले से चमड़े के सिक्के बनने शुरू हो गये । ढाई दिन में अच्छा खासा चमड़े के सिक्कों का कलेक्शन हो गया । भिश्ती ने नियत समय के बाद बादशाह की पोशाक उतार भिश्ती की पोशाक पहन ली थी । ढाई दिन के इस बादशाह की इस सोच के पीछे मंशा क्या थी ? पता नहीं चल पाया। शायद , उसने सोचा होगा कि लीक से हटकर काम करने से लोग उसे हमेशा याद रखेंगे।

बक्सर में एक और लड़ाई लड़ी गयी थी 1764 के दौर में । एक तरफ मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय , शुजाउद्दौला व मीर कासिम की संयुक्त सेना थी तो दूसरी तरफ अंग्रेज मेजर मुनरो की सेना । मेजर मुनरो की सेना में 857 सैनिक और 28 बदूकधारी थे तो दूसरी तरफ की संयुक्त सेना में हजारों की तादाद में सैनिक थे । इन हजारों सैनिकों की स्वामि भक्ति अपने अपने स्वामियों के प्रति हीं थी और वे परस्पर अविश्वास व संदेह का भाव रखते थे । इसलिए तादाद अच्छी होने के बावजूद यह सेना संगठित नहीं थी । वहीं अंग्रेजी सेना संगठित व चाक चौबंद थी । अंग्रेजी सेना का सबसे सबल पक्ष उसका बंदूक से लैस होना था। बंदूकधारियों ने युद्ध में निर्णायक भूमिका निभायी । दो हजार से ऊपर सैनिक संयुक्त सेना के मारे गये ।

गंगा लाशों से पट गयी । गंगा माई ने स्वंय उन सैनिकों का दाह कर्म कर दिया था । कुछ सैनिकों की लाशें गंगा के किनारे पायीं गयीं । इन सैनिकों को हथियार समेत एक कुएं में दफना दिया गया । इस युद्ध के बाद ईस्ट इंडिया कम्पनी का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूरे भारत पर अधिकार हो गया । अंग्रेजों ने बक्सर की लड़ाई के बाद यहां एक विजय स्तम्भ का निर्माण करवाया , जिस पर अंग्रेजी , हिंदी , उर्दू व बंगला में उनकी विजय गाथा लिखी हुई थी । सन् ’42 में देश भक्तों ने इस विजय स्तम्भ को तोड़ दिया था ।

बक्सर का कारागार एक ऐसा एकलौता कारागार है , जहां फांसी का फंदा तैयार होता है । 1844 में अंग्रेजों ने फांसी का फंदा बनवाना शुरू किया था । 1884 में पहली बार एक भारतीय कैदी को इस तरह के फांसी के फंदे पर लटकाया गया । एक फांसी के फंदे की कीमत 182 /- होती है । इसकी रस्सी को मनीला रस्सी कहा जाता है , जो 187 किलो वजन को सम्भाल सकती है । बक्सर कारागार के अलावा यह रस्सी पूरे भारत में प्रतिबंधित है ।

बक्सर कारागार में देशभक्त महेन्दर मिसिर भी कैद किए गये थे । वे पूरबी गीतों के बेताज बादशाह थे । कारागार कोठरी में जब वे पूरबिया तान लेते थे तो अंग्रेज जेलर की पत्नी उनकी कोठरी तक भाग कर आ जाती थीं । वे उनकी पूरबिया गीतों की मुरीद थीं । महेन्दर मिसिर ने जेल में रहते हुए पूरी रामायण भोजपुरी में लिख दी थी । कई और किताबें लिखीं , पर वे पूरबी गीतों की वजह से हीं ज्यादा प्रसिद्ध रहे। कारागार में उनके अच्छे आचरण के कारण जेल अधीक्षक ने उन्हें सजा पूरी होने से पहले हीं छोड़ देने की अनुशंसा की । महेन्दर मिसिर को सजा पूरी होने से पहले हीं छोड़ दिया गया।

बक्सर में आजादी का जश्न 15 व 16 अगस्त दो दिनों के लिए मनाया जाता है । 15 अगस्त 1947  को देश आजाद हुआ था । 16 अगस्त 1942 को बक्सर के डुमरांव थाने पर देशभक्तों की मौत हुई थी । डुमरांव थाने के दरोगा देवनाथ सिंह ने निहत्थे देशभक्तों पर गोली चलायी थी , जिसमें कपिल मुनि , रामदास सुनार , रामदास लोहार और गोपाल जी की मौत जगह पर हीं हो गयी थी । एक साथ इतनी मौत होने के बाद भीड़ बेकाबू हो गयी । दरोगा देवनाथ सिंह को भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। भीड़ ने डुमरांव थाना फूंक दिया था । 16 अगस्त को इन शहीदों को याद किया जाता है उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है ।
बक्सर में एक गांव है भेलूपुर । यहीं की मिट्टी से जुड़े थे कैरेबियन द्वीप समूह के प्रधान मंत्री कमला प्रसाद बिसेसर । कमला प्रसाद विसेसर के पूर्वज रामलखन मिश्र 22 साल की उम्र में गिरमिटिया मजदूर बन भेलूपुर से त्रिनिदाद गये थे । श्री विसेसर के रिश्तेदारों को खोजने का जिम्मा पेशे से जियोलाॅजिस्ट प्रोफेशर रहे प्रसिद्ध इतिहासज्ञ शम्सुद्दीन को दिया गया था । शम्सुद्दीन के प्राणप्रण कोशिश का नतीजा निकला । कमला प्रसाद विसेसर अपने पूर्वजों की धरती भेलूपुर पहुंचने में कामयाब हो गये । कैरेबियन प्रधान मंत्री भेलूपुर पहुंचकर भावुक हो गये ।उनकी आंखों से आंसू निकल आये । अपनी जड़ों से जुड़ने की अकुलाहट हीं उन्हें बक्सर के भेलूपुर गांव खींच लायी थी

जय बक्सर

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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