राजेन्द्र कुमार

जुबली कुमार

अभिनेता
फ़िल्म निर्माता
फ़िल्म निर्देशक

एक ऐसा अभिनेता जिसने ६० के दशक में काफ़ी नाम कमाया और कई दफ़ा ऐसा भी हुआ कि जिनकी ६-७ फ़िल्में एक साथ सिल्वर जुबली हफ्ते में होती थीं। इसी कारण से उनका नाम ‘जुबली कुमार’ पड़ गया।

राजेन्द्र कुमार

राजेन्द्र कुमार ने बॉलीवुज में अपने दम पर एक से एक बेहतरीन फिल्में दी हैं। लेकिन शुरुआती दिनों में उनको कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। बचपन से राजेंद्र कुमार अभिनेता बनना चाहते थे। जब वह मुंबई आए तो उनके पास मात्र पचास रूपए थे,जो उन्होंने अपने पिता से मिली घडी बेचकर हासिल किए थे। घडी बेचने से उन्हें ६३ रूपए मिले थे। जिसमें से १३ रूपये से उन्होंने फ्रंटियर मेल का टिकट खरीदा था ।

गीतकार राजेन्द्र कृष्ण की मदद से राजेन्द्र कुमार को १५० रूपए मासिक वेतन पर निर्माता-निर्देशक एच.एस. रवेल के सहायक निर्देशक के तौर पर काम करने का मौका मिला। उन्होंने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत १९५० की फ़िल्म जोगन से की जिसमें उनको दिलीप कुमार और नर्गिस के साथ अभिनय करने का अवसर मिला। उनको १९५७ में बनी मदर इंडिया से ख्याति प्राप्त हुयी जिसमें उन्होंने नर्गिस के बेटे की भूमिका अदा की। १९५९ की फ़िल्म गूँज उठी शहनाई की सफलता के बाद उन्होंने बतौर मुख्य अभिनेता नाम कमाया।

अपने फ़िल्मी जीवन में राजेन्द्र कुमार ने कई सफल फ़िल्में दीं। धूल का फूल (१९५९), दिल एक मंदिर (१९६३), मेरे महबूब (१९६३), संगम (१९६४), आरज़ू (१९६५), प्यार का सागर, गहरा दाग़, सूरज (१९६६) और तलाश।

राजेन्द्र कुमार के फिल्मी योगदान को देखते हुए १९६९ में उन्हें पदमश्री से सम्मानित किया गया था।

आज ही के दिन अर्थात १२ जुलाई १९९९ को यह महानायक इस दुनिया को अलविदा कह गया । राजेन्द्र कुमार ने अपने करियर में लगभग ८५ फिल्मों में काम किया।

१२ जुलाई एक काला पन्ना फिल्म के इतिहास में जुड़ गया, सर्वदा के लिये ।

लोग चले जाते हैं ,
बस यादें रह जाती हैं ।

अश्विनी राय
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माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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