तिरंगा

जन्मदिन की हार्दिक बधाई

अभिकल्पना पिंगलीवैंकैया ने की….

किसकी अभिकल्पना ? ? ? ?

२२ जुलाई, १९४७ को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे
#तिरंगा भी कहते हैं, अपनाया गया था।

झंडा ऊँचा रहे हमारा…
विश्व विजयी तिरंगा प्यारा…

इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ हैं, जिनमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है। ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात ३:२ है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें २४ आरे होते हैं। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है।

हमारे राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास भी बहुत रोचक है।
२०वी सदी में जब हमारा देश ब्रिटिश सरकार की गुलामी से मुक्ति पाने के लिए संघर्ष कर रहा था, तब स्वतंत्रता सेनानियों को एक ध्वज की ज़रूरत महसूस हुई,
क्योकी ध्वज स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का प्रतीक रहा है।
सन १९०४ में विवेकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता
ने पहली बार एक ध्वज बनाया जिसे बाद में सिस्टर निवेदिता ध्वज से जाना गया। यह ध्वज लाल और पीले रंग से बना था।
पहली बार तीन रंग वाला ध्वज सन १९०६ में बंगाल के बँटवारे के विरोध में निकाले गए जलूस में शचीन्द्र कुमार बोस लाए। इस ध्वज में सबसे उपर केसरिया रंग, बीच में पीला और सबसे नीचे हरे रंग का उपयोग किया गया था। केसरिया रंग पर ८ अधखिले कमल के फूल सफ़ेद रंग में थे। नीचे हरे रंग पर एक सूर्य और चंद्रमा बना था। बीच में पीले रंग पर हिंदी में वंदेमातरम लिखा था।
सन १९०८ में सर भीकाजी कामा ने जर्मनी में तिरंगा झंडा लहराया और इस तिरंगे में सबसे ऊपर हरा रंग था, बीच में केसरिया, सबसे नीचे लाल रंग था। इस झंडे में धार्मिक एकता को दर्शाते हुए हरा रंग इस्लाम के लिए और केसरिया हिंदू और सफ़ेद ईसाई व बौद्ध दोनों धर्मों का प्रतीक था। इस ध्वज में भी देवनागरी में वंदेमातरम लिखा था और सबसे ऊपर ८ कमल बने थे। इस ध्वज को भीकाजी कामा, वीर सावरकर और श्यामजी कृष्ण वर्मा ने मिलकर तैयार किया था। प्रथम विश्व युद्ध के समय
इस ध्वज को बर्लिन कमेटी ध्वज के नाम से जाना गया क्यों कि इसे बर्लिन कमेटी में भारतीय क्रांतिकारियों द्वारा अपनाया गया था।

सन १९१६ में पिंगली वेंकैया ने एक ऐसे ध्वज की कल्पना की जो सभी भारतवासियों को एक सूत्र में बाँध दे। उनकी इस पहल को एस.बी. बोमान जी और उमर सोमानी जी का साथ मिला और इन तीनों ने मिल कर नेशनल फ़्लैग मिशन का गठन किया। वेंकैया ने राष्ट्रीय ध्वज के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से सलाह ली और गांधी जी ने उन्हें इस ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बाँधने का संकेत बने। पिंगली वेंकैया लाल और हरे रंग के की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र बना कर लाए पर गांधी जी को यह ध्वज ऐसा नहीं लगा कि जो संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व कर सकता।
राष्ट्रीय ध्वज में रंग को लेकर तरह-तरह के वाद विवाद चलते रहे। अखिल भारतीय संस्कृत कांग्रेस ने सन १९२४ में ध्वज में केसरिया रंग और बीच में गदा डालने की सलाह इस तर्क के साथ दी कि यह हिंदुओं का प्रतीक है। फिर इसी क्रम में किसी ने गेरुआ रंग डालने का विचार इस तर्क के साथ दिया कि ये हिंदू, मुसलमान और सिख तीनों धर्म को व्यक्त करता है।

काफ़ी तर्क वितर्क के बाद भी जब सब एकमत नहीं हो पाए तो सन १९३१ में अखिल भारतीय कांग्रेस के ध्वज को मूर्त रूप देने के लिए ७ सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई। इसी साल कराची कांग्रेस कमेटी की बैठक में पिंगली वेंकैया द्वारा तैयार ध्वज, जिसमें केसरिया, श्वेत और हरे रंग के साथ केंद्र में अशोक चक्र स्थित था, को सहमति मिल गई। इसी ध्वज के तले आज़ादी के परवानों ने कई आंदोलन किए और १९४७ में अंग्रेज़ों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। आज़ादी की घोषणा से कुछ दिन पहले फिर कांग्रेस के सामने ये प्रश्न आ खड़ा हुआ कि अब राष्ट्रीय ध्वज को क्या रूप दिया जाए इसके लिए फिर से डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई और तीन सप्ताह बाद १४अगस्त को इस कमेटी ने अखिल भारतीय कांग्रेस के ध्वज को ही राष्ट्रीय ध्वज के रूप में घोषित करने की सिफ़ारिश की।

१५ अगस्त १९४७ को तिरंगा हमारी आज़ादी और हमारे देश की आज़ादी का प्रतीक बन गया।

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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