ऋषिकेश मुखर्जी

“जिस फिल्म ने मुझे सबसे ज्यादा संतोष दिया वो थी सत्यकाम। वो मेरे जीवन की कहानी है, देखें, मैं १९२२ में पैदा हुआ था। हमने आज़ादी के लिए संघर्ष किया, लड़े। और हम क्या सपने देखा करते थे, देश आज़ाद होगा, कोई भाई-भतीजावाद नहीं होगा, कोई भ्रष्टाचार नहीं होगा, भूख़ नहीं होगी, हम क्या पाते है? और भी ज्यादा भ्रष्ट लोग, जितने ब्रिटिश काल में भी नहीं थे, राजनीति पेशा बन गई है, वे स्वदेशअनुरागी नहीं रहे हैं, ये उनके लिए एक कैरियर बन गया है। तो ये निराशा उस उपन्यास में थी जिस पर सत्यकाम बनी थी। इसे एक असली इंजीनियर ने लिखा था, और इसने मुझे बहुत प्रेरित किया था। ये मेरे जीवन की भी कहानी थी, वो निराशा।”

ये बोल हैं…ऋषिकेश दा के।

#ऋषिकेशमुखर्जी

ऋषिकेश दा फ़िल्मों में आने से पूर्व गणित और विज्ञान का अध्यापन करते थे। फ़िल्म निर्माण के संस्कार उन्हें कोलकाता के न्यू थिएटर से मिले। उनकी प्रतिभा को सही आकार देने में प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक बिमल रॉय का बहूत बड़ा हाथ रहा। उनकी फ़िल्म ‘दो बीघा ज़मीन’ के बतौर सहायक निर्देशक के रूप में ऋषि दा ने अपने कैरियर की शुरुआत की थी।

उन्होने “मुसाफिर” फ़िल्म से अपने निर्देशन के कॅरियर की शुरुआत की थी, मगर इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कोइ अच्छा प्रदर्शन तो नहीं किया, लेकिन राजकपूर को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अपनी अगली फ़िल्म “अनाड़ी” उनके साथ बनाई। ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म निर्माण की प्रतिभा का लोहा समीक्षकों ने उनकी दूसरी फ़िल्म अनाड़ी से ही मान लिया था। यह फ़िल्म राजकपूर के सधे हुए अभिनय और ऋषि दा के कसे हुए निर्देशन के कारण अपने दौर में काफ़ी लोकप्रिय हुई।

दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से
ये बात क्या है, ये राज़ क्या है
कोई हमें बता दे….

इसके बाद ऋषि दा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, उन्होंने “अनुराधा”, “अनुपमा”, “आशीर्वाद” और “सत्यकाम” जैसी ऑफ बीट फ़िल्मों का भी निर्देशन किया। ऋषिकेश मुखर्जी ने चार दशक के अपने फ़िल्मी जीवन में हमेशा कुछ नया करने का प्रयास किया।

ऋषि दा की फिल्में जीवन में आने वाली मुश्किलों के साथ उपाय भी बताती थीं। कोई उपाय बहुत महंगा नहीं होता था, और जिंदगी में वो तब्दीलियां लाने में छोटे-छोटे प्रयास लगते थे। ‘बावर्ची’ में हम ये देख सकते हैं। उनकी फिल्में ऊंचे दर्जे की फिलॉसफी लिए होती थीं। जैसे ‘आनंद’ में मृत्यु को लेकर जो उनकी कविता होती है।

मौत तू एक कविता है
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिए जब चांद उफक़ तक पहुंचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
न अंधेरा न उजाला हो, न अभी रात ना दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आए
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको

ऋषिकेश दा की अंतिम फ़िल्म थी, “झूठ बोले कौआ काटे”। उन्होंने टेलीविजन के लिए तलाश, हम हिंदुस्तानी, धूप छांव, रिश्ते और उजाले की ओर जैसे धारावाहिक भी बनाए।

ऋषि दा को १९९९ मे भारतीय फ़िल्म जगत् के शीर्ष सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया, और साल २००१ में उन्हें “पद्म विभूषण” से नवाजा गया।

किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
किसीका दर्द मिल सके तो ले उधार
किसीके वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
जीना इसी का नाम है

और…ऋषि दा !

#२७आगस्त२००६ को मुंबई से अनन्त काल की लम्बी यात्रा पर निकल पड़े।

ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय
कभी तो हँसाए, कभी ये रुलाये
कभी देखो मन नहीं जागे
पीछे-पीछे सपनों के भागे
एक दिन सपनों का राही
चला जाये सपनों के आगे कहाँ
ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय
कभी तो हँसाए, कभी ये रुलाये

क्या जिंदगी सच मे एक पहेली है ? ? ?
या
मृत्यु सब से बड़ा सच ? ? ?

अश्विनी राय
अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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