जानकी देवी

कूपदान, ग्रामसेवा, गौसेवा और भूदान जैसे कार्य आज कुछ खास नहीं जान पड़ते। कारण, इनके नाम पर खुले NGO’s जहां लाखों करोड़ों के हेर फेर में लगे हों वहां इस तरह के कार्य की प्राथीमकता कौन देता है।
दूसरी तरफ कोई ऐसा भी था जिसने १९४२ में ही लाखों रुपए खर्च कर दिए ‘अखिल भारतीय गौसेवा संघ’ के लिए।

आज दलित उत्थान की बात होती है और इस नाम पर राजनीति की रोटी सेंकी जा रही है, वहीं दूसरी ओर उस महान आत्मा को ना तो राजनीतिक गलियारे में कोई चर्चा है और ना ही दलित विमर्श की पुस्तकों में कोई उल्लेख और ना ही दलित ही उन्हें याद रखते हैं। मगर भारत में पहली बार १७ जुलाई, १९२८ का वो ऐतिहासिक दिन जब वो अपने पति और हरिजनों के साथ वर्धा के लक्ष्मीनारायण मंदिर पहुँचीं और मंदिर के दरवाजे हर किसी के लिए खोल दिए।

एक तरफ जहां स्वदेशी के नाम पर बाबा रामदेव अपने सहयोगी व्यवसाइयों एवं प्रतियोगी व्यवसाइयों के साथ करोड़ों अरबो की शृंखला खड़ी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर २८ साल की अल्प आयु में ही उन्होंने अपने सिल्क के वस्त्रों को त्याग कर खादी को अपना लिया था। वह अपने हाथों से सूत कातती और सैकड़ों लोगों को भी सूत कातना सिखातीं। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। जब महाराष्ट्र के वर्धा में विदेशी सामानों की होली जलायी जा रही थी, तब उन्होंने अपने विदेशी कपड़ों के थान जलाने से पहले एक बार भी नहीं सोचा।

आज महिलाएं जब अपने को स्वतंत्र महसूस करती हैं यह लड़ाई भी उन्होने ही शुरू किया था, साल १९१९ में उन्होने अपने पति श्री जमनालाल जी के कहने पर सामजिक वैभव और कुलीनता के प्रतीक बन चुके पर्दा प्रथा का त्याग कर दिया था। उन्होंने सभी महिलाओं को भी इसे त्यागने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके इस कदम से प्रेरित होकर हज़ारों महिलाएं आज़ाद महसूस कर रही थीं, जो कभी घर से बाहर भी नहीं निकलीं थी।

यह थीं श्रीमती जानकी देवी जी जिनका जन्म ७ जनवरी, १८९३ को मध्य प्रदेश के जरौरा में एक संपन्न वैष्णव-मारवाड़ी परिवार में हुआ। मात्र आठ साल की कच्ची उम्र में ही उनका विवाह, संपन्न बजाज घराने में कर दिया गया। विवाह के बाद उन्हें १९०२ में जरौरा छोड़ अपने पति जमनालाल बजाज के साथ महाराष्ट्र के वर्धा चली आईं। जमनालाल जी, गाँधीजी से बड़े ही प्रभावित थे और उन्होंने उनकी सादगी को अपने जीवन में उतार लिया था। यह देख जानकी देवी भी अपनी इच्छा से अपने पति के रास्ते पर निकल पड़ी और त्याग के रास्ते को अपना लिया। उन्होने इसकी शुरुआत स्वर्णाभूषणों के दान के साथ शुरू की, ये आभूषण इतने थे की महीनो किसी शहर के खर्च चला सकते थे। (गाँधीजी ने आम जनमानस के लिए दिए गए जनसंदेश में यह जिक्र एक पत्र में किया था)। उस वक़्त वे मात्र २४ साल की थीं। जानकी देवी की बच्चों सी निश्चलता से आचार्य विनोबा भावे इतने प्रभावित हुए कि वे उनके छोटे भाई ही बन गये थे।

आज ७ जनवरी है, उस महान आत्मा का इस धरा पर आगमन का दिन…

हे देवी ! आपको नमन! बारम्बार नमन !

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

Similar Articles

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertismentspot_img

Instagram

Most Popular