नानी पालकीवाला !

यदि यह प्रश्न किसी भी बड़े वकील या जज अथवा किसी कानूनविद या विद्वान से पूछा जाए कि २०वीं शताब्दी में भारत में सबसे बड़ा अधिवक्ता कौन हुआ तो नि:सन्देंह इसका उत्तर होगा,

नानी पालकीवाला

उनकी जीवनी पर एक पुस्तक नानी ए. पालकीवाला ए लाइफ प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक को एम. वी. कामथ जो कि टाइम्स आफ इंडिया के पेरिस व वाशिंगटन में संवाददाता रह चुके हैं और फ्री प्रेस जर्नल एवं द इलेस्ट्रेड वीकली आफ इंडिया के सम्पादक भी रह चुके हैं, उन्होने पुस्तक में लिखा है।

नानी पालकीवाला का जन्म १६ जनवरी १९२० को बॉम्बे के मध्यवर्गीय पारसी परिवार में हुआ था। उन्होंने बॉम्बे के ही मास्टर्स ट्यूटोरियल हाई स्कूल में शिक्षा प्राप्त की,और बाद में सेंटजेवियर्स कॉलेज से अंग्रेजी से स्नातक किया। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधी ली। पलखीवाला ने बॉम्बे विश्वविद्यालय में व्याख्याता के पद के लिए आवेदन किया, लेकिन उन्हें इस पद के योग्य नहीं समझा गया। अनेक संस्थानों में हांथ पाव मारने के बावजूद जब कोई सफलता हांथ नहीं लगी तो उन्होने अपने आप को और शिक्षा से समृद्ध करने की सोची। इसलिए उन्होंने बॉम्बे के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में दाखिला ले लिया, जहाँ उन्होंने पाया कि उनके पास न्यायशास्त्र की जटिलताओं को उजागर करने के लिए यह तो एक उपहार समान है।

पालकीवाला ने सारी पढ़ाई भारत में ही पूरी की। वे कभी बाहर पढ़ने नही गये। उन्हें हमेशा लगता था कि भारत में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाएं है। वे कहते थे, ” यह जरूरी नहीं है कि आपने कहाँ से पढ़ाई की है पर जरूरी यह है की आप क्या सीखते हैं और वही सफलता की कुजीं है। आजकल जिसको देखो वही बाहर पढ़ने जा रहा है और अपने को वह महत्वपूर्ण इसलिए बताता है कि उसने कहाँ से पढ़ा है, न कि वहां क्या पढ़ा है।”

उनका उपनाम पालकीवाला इसलिए पड़ा क्योंकि उनके पूर्वज पालकी बनाते थे। पालकीवाला की शादी उनकी बचपन की मित्र नागरेश से हुई जो उनसे समृद्वि घराने की थी। वह अक्सर कुछ न कुछ भेंट इनके परिवार के लिए लाया करती थी। यह उनको पसंद नही था। उन्होंने भेंट लाने के लिए मना कर दिया।

नानी पालकीवाला किसी पंथ पर विश्वास नहीं करते थे मगर उन्हें यह हमेशा से विश्वास था कि कोई शक्ति विद्यमान है जिसके आधीन हम सब हैं। वे भाग्य पर भी विश्वास करते थे। उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे निर्णय लिए जो उनकी आत्मा ने उन्हें लेने के लिए प्रेरित किया। यही कारण था कि नानी पालकीवाला ने बहुत सारे महत्वपूर्ण पदों जैसे अटार्नी जनरल,सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का पद ठुकरा दिया। वे भारत सरकार की तरफ से अंर्तराष्ट्रीय न्यायालय में वकील तो रहे पर सरकारी पद की तौर पर उन्होंने मात्र अमेरिका के राजदूत बनने का पद स्वीकार किया जो उन्हें आपातकाल के बाद १९७७ में हटा दिया गया था।

नानी पालकीवाला ने अपने पूरे जीवन की कमाई दान में दे दिया। जब वह एक बार मद्रास गये तो उन्हें शंकर नेत्रालय पसंद आया। वहां के डाक्टरों ने बताया कि वे वेतन पर है और जो अधिक पैसा आता है वह अस्पताल में चला जाता है। उन्होनें उन्हें बम्बई में मिलने के लिए कहा। इसके बाद अपने सारे शेयर जिसका मूल्य वर्ष १९९७ में ५१.६१ लाख रूपया था, नेत्रालय को दान कर दिया। उसके बाद एक करोड़ रूपया और दिया अनुसंधान करने के लिए।

इस पुस्तक में उन मुकदमों का भी विवरण है जिसमें पालकीवाला ने फीस नही ली। बल्कि अपने मुवाक्किलों को उसे किसी धर्मार्थ हेतु किसी न्यास में दान देने को कहा। पालकीवाला भारत में चले लगभग सारे महत्वपूर्ण मुकदमों में से एक आपातकाल के दौरान हैबियस कॉर्प्स का केस को छोड़ कर सभी में याची के वकील रहे।

पालकी वाला के द्वारा बहस किये गये मुकदमों में केशवानन्द भारती का मुकदमा सबसे महत्वपूर्ण मुकदमा था। जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि संसद, संविधान के मूलभूत ढाँचें में परिवर्तन नही कर सकती है।

पालकीवाला को भविष्य न केवल अच्छे अधिवक्ता के रूप में याद करेगा वर्ण उनके द्वारा प्रत्येक साल दिया गया बजट के भाषण के कारण भी। यह उन्होनें वर्ष १९५० के दशक में शुरू किया और वर्ष १९९४ तक दिया। जब एक दिन उन्हें लगा कि वह भाषण नहीं देना चाहिए तब उन्होंने बंद कर दिया।

दोस्तों हम यहां सिर्फ आप के और पालकीवाला के बीच परिचय के माध्यम मात्र हैं, इनके बारे में पूरी जानकारी ऊपर बताए गए पुस्तक में आपको मिल जाएगी।

१६ जनवरी को जन्में
श्री नानी पालकीवाला को अश्विनी राय ‘अरुण’ का नमन।

धन्यवाद!

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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