महादेव गोविन्द रानाडे

पहले हम आपस में कुछ चर्चा करते हैं उसके बाद विषय पर आएंगे…

बाल विवाह कहाँ तक सही अथवा गलत है? विधवा विवाह के बारे में आप की क्या राय है। पहले भारतीय होना सही है अथवा धार्मिक यानी हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई अथवा पारसी आदि। मंहगी देशी या सस्ती विदेशी वस्तुओं का उपयोग यह भी एक यक्ष प्रश्न हो सकता है। राजनीतिक सम्मेलनों के साथ सामाजिक सम्मेलनों के आयोजन होना चाहिए या नहीं। कई ऐसे प्रश्न हैं जो हम कभी कभी अपने आप से भी पूछते हैं अथवा परिवार और दोस्तों से चर्चा भी करते हैं।

इस तरह के अनेको सामाजिक, राजनीतिक,आर्थिक और धार्मिक प्रगति आज एक दूसरे पर आश्रित है, मगर क्या कभी ऐसा हो पाना मुमकिन था। यह संभव हुआ व्यापक सुधारवादी आंदोलन के कारण। जो मनुष्य अथवा समाज की चतुर्मुखी उन्नति में सहायक हुआ। इस सामाजिक सुधार के लिए केवल पुरानी रूढ़ियों को तोड़ना पर्याप्त नहीं था, इसके लिए रचनात्मक कार्यो को भी सहायता के लिए आगे लाया गया।

सुधारवादी आंदोलन की जब बात आती है तों एक से बड़े एक नाम सामने आते हैं, जिनमे…

महादेव गोविन्द रानाडे जी का नाम बड़ी प्रमुखता, श्रधा और सम्मान के साथ लिया जा सकता है। श्री रानाडे जी का जन्म १८ जनवरी १८४२ में पुणे में हुआ था। पुणे में आरंभिक शिक्षा पाने के बाद रानाडे जी की ग्यारह वर्ष की उम्र में ही अंग्रेज़ी शिक्षा आरंभ हो गई। उन्होने मुंबई विश्वविद्यालय से प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर ली और इक्कीस मेधावी छात्रों में उनका अध्ययन मूल्यांकन शामिल था। आगे शिक्षा जारी रखने के लिए उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। शिक्षा पूर्ण होने के बाद पुणे के ‘एलफिंस्टन कॉलेज’ में वे अंग्रेज़ी के प्राध्यापक नियुक्त हुए, मगर वहां उनका मन नहीं लगा। उसके बाद रानाडे जी ने एलएलबी में नामांकन कराया और कानून की पढ़ाई पास करने के बाद उप-न्यायाधीश नियुक्त हुए। उनके निर्णय निर्भीकतापूर्वक हुआ करते थे। वे अंग्रेज सरकार के मुलाजिम थे मगर उनकी शिक्षा प्रसार में रुचि को देखकर अंग्रेज़ों को अपने लिए संकट का अनुभव होने लगा था, और यही कारण था कि उन्होंने रानाडे जी का स्थानांतरण शहर से बाहर एक परगने में कर दिया। उन्होंने इसे अपना सौभाग्य माना। वे जब लोकसेवा की ओर मुड़े तो उन्होंने देश में अपने ढंग के महाविद्यालय स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास किए। वे आधुनिक शिक्षा के हिमायती थे, मगर भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप।

रानाडे जी ने समाज सुधार के कार्यों में आगे बढ़कर हिस्सा लिया। वे प्रार्थना समाज के संस्थापक थे और ब्रह्म समाज आदि के सुधार कार्यों से अत्यधिक प्रभावित थे। सरकारी नौकरी में रहते हुए भी उन्होंने जनता से बराबर संपर्क बनाये रखा। दादाभाई नौरोजी के पथ प्रदर्शन में वे शिक्षित लोगों को देशहित के कार्यों की ओर प्रेरित करते रहे। प्रार्थना समाज के मंच से रानाडे जी ने महाराष्ट्र में अंधविश्वास और हानिकारक रूढ़ियों का विरोध किया। धर्म में उनका अंधविश्वास नहीं था। वे मानते थे कि देश काल के अनुसार धार्मिक आचरण बदलते रहते हैं। उन्होंने स्त्री शिक्षा का प्रचार किया। वे बाल विवाह के कट्टर विरोधी और विधवा विवाह के समर्थक थे। इसके लिए उन्होंने एक समिति ‘विधवा विवाह मण्डल’ की स्थापना भी की थी। श्री महादेव गोविन्द रानाडे ‘दकन एजुकेशनल सोसायटी’ के संस्थापकों में भी प्रमुख थे।

श्री महादेव गोविंद रानाडे जी को अनेक क्षेत्रों में कठिनाईयों का सामना करना पड़ा था। इससे जो समस्याएँ उत्पन्न हुईं, उनसे उन्हें भरपूर पीड़ा मिली और उन्हें उसे सहना भी पड़ा। समाज सुधार की रस्सी पर चलने जैसा कठिन काम उन्होंने किया था, तो समाज उन्हें ऐसे कैसे छोड़ देता। समाज ने एक भले काम के लिए बुरे से बुरा दंड उन्हें दिया। ब्रिटिश सरकार उनके हर काम पर नज़र रख रही थी, तो तबादलाओ का दौर भी चला। परंपराओं को तोड़ने के कारण वे जनता के भी कोप भाजन बने थे, और आज जिनकी वजह से हम एक सभ्य समाज के वाहक बने हैं, उन्हें ही भुला चुके हैं। मैं अश्विनी राय ‘अरुण’ श्री महादेव गोविन्द रानाडे को कोटि कोटि नमन! वंदन! करता हूँ।

धन्यवाद !

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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