सुभाष चन्द्र बोस

२३ जनवरी २०१८
आमी सुभाष बोल्ची…

१९३४ में जब सुभाषचन्द्र बोस ऑस्ट्रिया में अपना इलाज कराने हेतु ठहरे हुए थे उस समय उन्हें अपनी पुस्तक लिखने हेतु एक अंग्रेजी जानने वाले टाइपिस्ट की आवश्यकता हुई। उनके एक मित्र ने एमिली शेंकल से उनकी मुलाकात करा दी। एमिली के पिता एक प्रसिद्ध पशु चिकित्सक थे। सुभाष एमिली की ओर आकर्षित हुए और उन दोनों में स्वाभाविक प्रेम हो गया। नाजी जर्मनी के सख्त कानूनों को देखते हुए उन दोनों ने सन् १९४२में बाड गास्टिन नामक स्थान पर हिन्दू पद्धति से विवाह रचा लिया। २९ नवम्बर १९४२ को वियेना में एमिली ने एक पुत्री को जन्म दिया। सुभाष बाबू ने अपनी पुत्री को पहली बार तब देखा जब वह मुश्किल से चार सप्ताह की थी। उन्होंने उसका नाम अनिता बोस रखा था। अगस्त १९४५ में ताइवान में हुई तथाकथित विमान दुर्घटना में जब सुभाष की मौत हुई, उस समय अनिता पौने तीन साल की थी। अनिता अभी जर्मनी में है। उसका नाम अनिता बोस फाफ है। वह अपने पिता के परिवार जनों से मिलने कभी-कभी भारत आ जाती है।

अनीता जब कोलकाता आईं तो प्रेस से कहा था की उन्हें आज भी इस बात का अफसोस है कि सरकारों ने उनके पिता को ढूंढने के लिए बनाए गए आयोग की मदद नहीं की। उनका कहना था कि १९४५ में उनके पिता के लापता होने के बाद जानकारी जुटाने के लिए बने आयोग को सरकारों की तरफ से जरूरी समर्थन नहीं मिला। नेता जी की बेटी अनीता बोस फाफ का कहना है, ‘मुझे नहीं पता कि जांच आयोग को सरकार की तरफ से कितनी मदद मिली। शायद सरकारें कुछ मामलों में मददगार रहीं, लेकिन कई मामलों में आयोग को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।’ इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, ‘जिस विमान दुर्घटना में मेरे पिता के निधन की बात कही जाती थी, उस दुर्घटना की जांच के लिए आयोग को ताइवान नहीं जाने दिया गया। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह राजनीतिक रूप से सही मौका नहीं था।’ अनीता ने कहा, ‘मेरा मानना है कि इसकी जांच के लिए बने आखिरी आयोग (मुखर्जी आयोग) को डॉक्युमेंट्स के लिहाज से जरूरी समर्थन नहीं मिला। इसमें एक तरह की ढिलाई बरती गई, लेकिन मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकती कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में क्या लिखा और आयोग के सदस्यों का निजी अनुभव क्या रहा।’

नेताजी सुभाष चंद्र बोस १८ अगस्त १९४५ को कथित प्लेन क्रैश के बाद रहस्यमयी तरीके से लापता हो गए थे, जिसके बाद से केंद्र सरकार ने उनका पता लगाने के लिए तीन आयोगों का गठन किया। पहले दो आयोगों ने जहां विमान दुर्घटना और नेताजी के निधन की बात सही माना, लेकिन १९९९ में बने तीसरे आयोग ने इस बात को स्वीकर नहीं किया। आयोग ने कहा कि उस दिन ताइवान में कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं था। मुखर्जी आयोग ने आखिरी रिपोर्ट को २००६ में संसद में पेश किया, जिसे कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने खारिज कर दिया था।

कोलकाता का आला पुलिस अधिकारी स्टेन ली और उसका सिपहसलार दरबारीलाल( यह वही अधिकारी था जिसने सुभाष को कई बार गिरफ्तार किया और जिसने दरबारीलाल को सुभाष के घर उन्हें नजरबंद करने के लिए न्युक्त किया था, यह वही दरबारीलाल है जिसे धोखा दे सुभाष रूस जाने के लिए निकले थे अफगानिस्तान के रास्ते मगर जर्मनी चले गए हिटलर से मिलने। ) को १९६६ में पता चल गया था की सुभाष जिंदा हैं और रूस में हैं। यह बात सही साबित तब और हो जाती है जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ताशकंद समझौते के लिए ताशकंद, रूस गए थे और आमजन का मानना है की उन्हें सुभाष के साथ देखा गया था। अब देखिए ना एक अजीब संयोग जहां पाकिस्तान की जीती हुई जमीन ना लौटाने के कारण अमेरिका और रूस के मिलीभगत से शास्त्री जी को रूस बुलाया गया जहां तथाकथित सुभाष के साथ उनका मिलना हुआ और इसके बाद शास्त्री जी ने एक ट्रंककाल भारत किया, किसे किया नामालूम। पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ताशकंद में ही ११ जनवरी १९६६ की रात को संदिग्ध परिस्थितिओं में उनकी मौत हो जाती है।

यहां कई सवाल खड़े होते हैं, क्या सुभाष बाबू शास्त्री जी को सतर्क करने आए थे। शास्त्री जी ने किसे ट्रंककाल किया था अथवा मौत की वजह हृदयघात थी या जहर जिसे सुभाष बाबू पहले ही जान गए थे और शास्त्री जी को सावधान करने आए थे।

नेताजी की कहानी में अंत तो है मगर उसे मान लेना कठिन है, नेताजी की कहानी जब भी सुनाई जाएगी लोग सोचने पर मजबूर हो जाएंगे और उनकी मौत की गुत्थी शायद ही कभी सुलझ पाएगी।

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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