राधाविनोद पाल

अयोध्या राम मंदिर अथवा बाबरी मस्जिद विवाद…यह एक जग जाहिर विवाद है जिसे ना तो कोई सरकार खत्म करना चाहती है और ना तो धार्मिक संगठन। कारण भी स्पष्ठ है, आखिर सबकी दुकान जो बंद हो जाएगी। मगर छोड़िए जाने दीजिए इस विषय को…हम यहां न्यायपालिका की बात करने वाले हैं और उनके न्याय पसंद न्यायाधीशों की, जब कभी अयोध्या विवाद की तारीख आती है तो माननीय न्यायाधीश या उनकी बेंच निर्णय देने के बजाय अपनी नाक अथवा जान बचाने हेतू अगली तारीख दे घर के किसी कोने में दुबक जाते हैं। उसी तरह कोई जमीन विवाद हो या कोई क्राइम का निर्णय देना हो बेचारे सिर्फ समय काट वेतन उठाना ज्यादा श्रेयस्कर समझते हैं। हो सकता है कितनों को मेरे इस बात से दुख भी पहुंचा हो तो कितने मेरी इस बात से सहमत भी नहीं होंगे,

तो दोस्तों हम अपनी बात को सही साबित करने के लिए एक हाई प्रोफाइल केस की बात करने वाले हैं जिससे शायद आप हमारी बात से सहमत भी हो जाएं। यह मुकदमा कोई मामूली मुकदमा नहीं था…

बात द्वितीय महायुद्ध के बाद की है, जब जापान द्वारा सुदूर पूर्व में किए गये युद्धापराधों के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय मुकदमा चलाया गया था। मित्र राष्ट्र अर्थात अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स आदि देश जापान को दण्ड देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने युद्ध की समाप्ति के बाद ‘क्लास ए वार क्राइम्स’ नामक एक नया कानून बनाया, जिसके अन्तर्गत आक्रमण करने वाले को मानवता तथा शान्ति के विरुद्ध अपराधी माना गया था।

इसके आधार पर जापान के तत्कालीन प्रधानमन्त्री हिदेकी तोजो तथा दो दर्जन अन्य नेता व सैनिक अधिकारियों को युद्ध अपराधी बनाकर कटघरे में खड़ा कर दिया गया। ११ विजेता देशों द्वारा १९४६ में निर्मित इस अन्तरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण (इण्टरनेशनल मिलट्री ट्रिब्यूनल फार दि ईस्ट) में दस न्यायाधीशों ने तोजो को मृत्युदण्ड दिया मगर एक न्यायाधीश ऐसा भी था जिसने न केवल इसका विरोध किया, बल्कि इस न्यायाधिकरण को ही अवैध बताया। इसलिए जापान में आज भी उन्हें एक महान व्यक्ति की तरह सम्मान दिया जाता है। यह सम्मानीय व्यक्ति कोई और नहीं हमारे अपने…

श्री राधाविनोद पाल जी हैं।

इनका जन्म २७ जनवरी १८८६ को हुआ था। कोलकाता के प्रेसिडेन्सी कॉलेज तथा कोलकाता विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा पूर्ण कर वे इसी विश्वविद्यालय में १९२३ से १९३६ तक अध्यापक रहे। १९४१ में उन्हें कोलकाता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

यद्यपि उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय कानून का औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया था, फिर भी द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जब जापान के विरुद्ध ‘टोक्यो ट्रायल्स’ नामक मुकदमा शुरू किया गया, तो उन्हें इसमें न्यायाधीश बनाया गया। डॉ॰ पाल ने अपने निर्णय में लिखा कि किसी घटना के घटित होने के बाद उसके बारे में कानून बनाना नितान्त अनुचित है। उन्होंने युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाने को विजेता की जबरजस्ती बताते हुए सभी युद्धबंदियों को छोड़ने का फैसला दिया था। उनके इस निर्णय की सभी ने सराहना की।

यहां विचारणीय यह है की जहां विश्व की सारी शक्तियां जापान के विरुद्ध थीं और जहां ११ न्यायधीशों में १० के फैसले मित्र राष्ट्रों के पक्ष में हों तो वहां किसी एक का….? ? ? आप स्वयं विचारे !

जापान के यशुकुनी देवालय तथा क्योतो के र्योजेन गोकोकु देवालय में न्यायमूर्ति राधाबिनोद के लिए विशेष स्मारक निर्मित किए गये हैं।

जापान के सर्वोच्च धर्मपुरोहित नानबू तोशियाकी ने डॉ॰ राधाविनोद की प्रशस्ति में लिखा है, “हम यहाँ डॉ॰ पाल के जोश और साहस का सम्मान करते हैं, जिन्होंने वैधानिक व्यवस्था और ऐतिहासिक औचित्य की रक्षा की। हम इस स्मारक में उनके महान कृत्यों को अंकित करते हैं, जिससे उनके सत्कार्यों को सदा के लिए जापान की जनता के लिए धरोहर बना सकें।आज जब मित्र राष्ट्रों की बदला लेने की तीव्र लालसा और ऐतिहासिक पूर्वाग्रह ठण्डे हो रहे हैं, सभ्य संसार में डॉ॰ राधाविनोद पाल के निर्णय को सामान्य रूप से अन्तरराष्ट्रीय कानून का आधार मान लिया गया है”।

आज २७ जनवरी को इस महान न्याय रक्षक श्री राधाबिनोद पाल जी के जन्मदिवस पर अश्विनी राय ‘अरुण’ स्वयं अपने आप पर गर्व करता की वह उस माटी पर जन्म लिया जिस पर डॉ पाल जैसे महापुरुष ने जन्म लिया था और वह उन्हें कोटि कोटि नमन करता है।

धन्यवाद !

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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