April 25, 2024

TOW
दैनिक प्रतियोगिता : १९
विषय : विषैला
दिनाँक : १९/०१/२०२०

अलग पृष्ठभूमि अलग संस्कृति से
शहरों में कुछ बनने आया है वो
परंपरा, रीति रिवाजों को छोड़
एक दूसरे में घुल जाते हैं लोग

गाँव से चला था जब
विचारों की शुद्धता लिए
हर काम करने को तैयार
सामाजिक सुविधा के लिए

पेट खातिर कार्यशाला खोजी
बढ़ने लगे अब कमाने के साधन
बच्चों खातिर पाठशाला खोजी
ढूंढने लगा अब मनोरंजन के साधन

शहर कमाने गया था जब
गाँव से दूरी बढ़ गया तब
अलगाव के रास्ते खुलने लगे
अकेलापन बढ़ने लगा है अब

सम्बन्ध जब नए बनने लगे तो
भावनाएं भी बदलने लगे हैं
शहर फलने फूलने लगा अंदर
दद्दा बेगाने से लगने लगे हैं

अवसरों की जंजाल में वो
परिवार के ख्याल में वो
आज फंस गया है
शहरी नियंत्रण के जाल में वो

शहर की हवा क्या रास आई है
बैंक का खाता बढ़ाने लगा तो
डाक्टर अस्पताल क्लीनिक के
चक्कर लगाने लगा है वो

होटलों, अतिथि गृहों में रहता
निःसंदेह शहरी हो गया है वो
आज मॉल डिपार्टमेंटल स्टोरों में
खुशियां खोजता फिरता है वो

फीकी फीकी चेहरे पर हँसी ले
तनाव भरी जीवन जीता है वो
पड़कर आधुनिकता के चक्कर में
खोखला विषैला हो गया है वो

अश्विनी राय ‘अरूण’

About Author

Leave a Reply