मोरारजी देसाई

मौके को कैसे भुनाया जाए अथवा अपने लिए कैसे मौका बनाया जाए, यह मैंने आज ही के दिन यानी २९ फ़रवरी, १८९६ को जन्में स्वाधीनता सेनानी और देश के छठे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की जीवनी को पढ़कर जाना है। इनके जीवन में बहुत से खास मौके आए हैं जिनमें दो ऐसे मौके हैं जिन्हें मैं बेहद खास मानता हूँ…

पहला यह की वे देश के पहले प्रधानमंत्री थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बजाय अन्य दल से थे। दूसरा यह की वे एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया गया है। अब आते हैं मुद्धे पर यानी उनकी समय को पहचानने की कला पर जो इनके जीवन के अलग अलग पहलुओं से चुन कर हम आप के सम्मुख प्रस्तुत कर रहे हैं जो निम्नवत हैं…

१. मोरारजी देसाई की पढ़ाई मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज में हुई थी जो उस समय का सबसे महंगा और खर्चीला कॉलेज माना जाता था, उसके गोकुलदास तेजपाल आवास गृह में उन्होंने नि:शुल्क रहने की अपनी व्यवस्था बना रखी थी।

विद्यार्थी जीवन में मोरारजी देसाई औसत बुद्धि के छात्र होते हुए भी कॉलेज की वाद-विवाद टीम के सचिव बन गए थे, जबकि स्वयं उन्होंने मुश्किल से ही किसी वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लिया होगा।

२. उन्होंने मुंबई प्रोविंशल सिविल सर्विस हेतु आवेदन किया, जहाँ सरकार द्वारा सीधी भर्ती की जाती थी। अतः तथाकथित स्वतंत्रता सेनानी मोरारजी को अंग्रेजी सरकार की नौकरी मिल गई, जहाँ वे हुक्मरान अफसर बन गए। यहाँ उन्हें ब्रिटिश व्यक्तियों की भाँति समान अधिकार एवं सुविधाएं प्राप्त होने लगी।

३. मोरारजी दूरदर्शी थे, उन्होंने विश्व राजनीति को अच्छे से परखा और १९३० में अंग्रजी सरकार की चाकरी छोड़ स्वतंत्रता सेनानी बन गए और सरदार पटेल का विश्वास जीत लिया। सरदार पटेल के निर्देश पर अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की शाखा स्थापित कर उसके अध्यक्ष बन गए।

४. आज़ादी के समय तक राष्ट्रीय राजनीति में इनका नाम बेहद वज़नदार हो चुका था। फिर भी मोरारजी को अपनी पहुंच का अंदाजा अच्छे से था, अतः उन्होंने अपनी प्राथमिक रुचि राज्य की राजनीति में ही दिखाई। इसी वजह से उन्हें बंबई का मुख्यमंत्री बनाया गया। जानकारी के लिए बताते चले की, इस समय तक गुजरात तथा महाराष्ट्र बंबई प्रोविंस के नाम से जाने जाते थे और दोनों राज्यों का पृथक गठन अभी नहीं हुआ था।

५. इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्री बनने पर मोरारजी को उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बनाया गया, लेकिन वह इस बात को लेकर कुंठित रहते थे कि उनके बजाय इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री क्यूँ बनाया गया। जबकी देश का प्रधानमंत्री बनना उनकी प्राथमिकताओं में सदा शामिल था। जल्द ही वो समय आ गया…

नवम्बर १९६९ की बात है, जब कांग्रेस का विभाजन कांग्रेस-आर और कांग्रेस-ओ के रूप में हो गया। मोरारजी देसाई इंदिरा गांधी की कांग्रेस-आई के बजाए सिंडीकेट के कांग्रेस-ओ में चले गए, और फिर आगे जाकर जनता पार्टी में शामिल हो गए। मार्च १९७७ में लोकसभा का चुनाव हुआ, और जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिल गया। यहाँ शुरू एक और जबरा खेल…

प्रधानमंत्री के यहाँ पहले से ही दो दावेदार थे, चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम। लेकिन यहाँ चली जयप्रकाश नारायण की उन्होंने किंग मेकर की अपनी स्थिति का लाभ उठा, उन दोनों को दरकिनार कर मोरारजी देसाई का समर्थन कर दिया। इसके बाद आया २३ मार्च, १९७७ का वो ऐतिहासिक दिन जब ८१ वर्ष की आयु में मोरारजी देसाई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बजाय किसी अन्य दल से बनने वाले पहले प्रधानमंत्री बनें।

चौधरी चरण सिंह से मतभेदों के कारण प्रधानमंत्री के रूप में इनका कार्यकाल पूर्ण नहीं हो पाया। लेकीन इन्होंने जब जब जो चाहा वो पाया। ऐसे जीवट वाले इंसान थे मोरारजी देसाई।

अश्विनी राय
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माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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