डॉ. शिरोडकर

शल्य चिकित्सा क्षेत्र के संशोधन की जानकारी सामान्य जनता की समझ में नहीं आती, परंतु जब विश्‍व में उसकी स्तुति, गौरव गान होता है, तब जाकर भारत के लोगों की अस्मिता बढ़ जाती है और संशोधन करनेवाले छात्रों का आत्मविश्‍वास भी बढ़ जाता है।एक चिकित्सक की जीवनी से पहले मै अश्विनी राय ‘अरुण’ आपको एक कहानी सुनाता हूँ, जरा गौर फर्माइयेगा…

महान फॉदर गिल ने मँचेस्टर शस्त्रक्रिया की खोज की थी। किंतु एक नवयुवक ने जो अभी अभी चिकित्सक बना था, उसने इस विधि पर सवाल उठाए। उसका कहना था, ‘मँचेस्टर शस्त्रक्रिया के कारण शरीर के भाग में फर्क पड़ता है और क्रिया में गड़बड़ी हो जाती है’। इसके लिए उसने बहुत ही आसान, हितकारी एवं निर्दोष शस्त्रक्रिया की खोज की थी। सवाल उठाना आसान होता है, फॉदर गिल की शस्त्रक्रिया की अपेक्षा यह शस्त्रक्रिया पद्धति किस तरह से अच्छी है, इसे अभी सिद्ध करना बाकी था। उसके लिए नौजवान चिकित्सक को चुनौती दी गयी। यह चुनौती अब चिकित्सीय क्षेत्र में एक द्वंद्व की शुरुआत थी। युवक ने अपने संशोधित तंत्र द्वारा इस शस्त्रक्रिया का प्रात्यक्षिक करके दिखाया। रजिस्ट्रार, असिस्टंट प्रोफ़ेसर्स, और नामी शल्य चिकित्सकों का एक बड़ा समूह यह प्रात्यक्षिक देखने के लिए वहाँ उपस्थित था। इस शस्त्रक्रिया को देखने के बाद वे सभी आश्‍चर्यचकित हो गए और उन लोगों ने उस युवा चिकित्सक, जिसका नाम डॉ. वि. एन. शिरोडकर था, का जबरदस्त अभिनंदन किया।

आज दुनिया में इसी शल्य क्रिया का उपयोग किया जाता है। भारतीय संशोधकों की खोज का मकसद हमेशा ही मानवकल्याण के लिए जाना जाता रहा है, इस सच्चाई को डॉ. शिरोडकर के प्रात्यक्षिक के कारण और भी दृढ़ता प्राप्त होती है। दिनरात जनहित की चिन्ता करनेवाले, उदार, संत-सज्जनों की तरह जीवन का ध्येय रखने वाले संशोधक एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. वि.एन. शिरोडकर की जानकारी प्राप्त करते हैं…

गोवा के शिरोडा गाँव में २७ अप्रैल, १८९९ को जन्में विट्ठल नागेश शिरोडकर वैद्यकीय क्षेत्र की ओर बढ़ने के बाद वर्ष १९२७ में एम.डी. की पदवी हासिल की। वर्ष १९३१में इंग्लैन्ड जाकर उन्होंने शल्यक्रिया में एफ़.आर.सी.एस. की पदवी प्राप्त की। तत्पश्चात उन्होने लगभग बीस वर्ष तक ग्रँट मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापक के पद पर काम करते रहे।

वॉशिंगटन के प्रख्यात डॉ. बार्टार के पेशंट की समस्या डॉ. शिरोडकर के संशोधन के कारण दूर हो गई, जिसके कारण उन्हे यश की प्राप्ति हुई। डॉ. बार्टार के प्रयत्नों के कारण इस शस्त्रक्रिया को अमेरिका के साथ पूरे विश्‍व में प्रसिद्धि मिल गयी। वर्ष १९५३ में इस शस्त्रक्रिया देखने के लिए डॉ. ग्रीन आर्मिटाज लंडन से मुंबई आये थे। उन्होंने भी अपने मरीजों के लिए इस शस्त्रक्रिया का उपयोग करने की शुरुआत की और इंग्लैंड में भी इस शस्त्रक्रिया को अपने आप ही प्रसिद्धि प्राप्त हो गयी। कनाडा और यूरोप के देशों से भी डॉ. शिरोडकर को इस शस्त्रक्रिया के प्रात्यक्षिक दिखाने के लिए निमंत्रण आने लगे। वर्ष १९६१ में विशेषज्ञों ने इस शस्त्रक्रिया पर लिखा निबंध पढ़ा। एक सामारोह में इसी विषय पर डॉ. शिरोडकर ने भी अपना निबंध पढ़ा। उसके बाद वहाँ उपस्थित लगभग दो हजार विशेषज्ञों ने खड़े होकर, तालियाँ बजाकर इस निबंध का सम्मान किया।

जैसे-जैसे गर्भ के बच्चे का वजन बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे कुछ स्त्रियों के गर्भाशय के स्नायु शिथिल होने लगता है, जिसके कारण निरोगी बालक का वजन गर्भाशय नहीं झेल पाता और गर्भपात हो जाता है। इस गर्भपात को टालने के लिए उन्होंने नई शस्त्रक्रिया की खोज की। शिरोडकर स्लिंग ऑपरेशन और शिरोडकर वन स्टिच ऑपरेशन इस भिन्न प्रकार की किन्तु आसान शस्त्रक्रिया को उन्होंने ढूँढ़ निकाला। शिरोडकर स्टिच यह उनकी संकल्पना जगप्रसिद्ध है। इस शस्त्रक्रिया में उपयोग में लाये जानेवाले उपकरणों को भी डॉ. शिरोडकर का ही नाम दिया गया है। कुटुंब नियोजन के लिए फ़ेलोपियन ट्यूब्ज पर उनके द्वारा की गई विभिन्न प्रकार की शस्त्रक्रिया के वीडियो विकासशील देशों में भी दिखाए जाते हैं। प्रोलॅप्स युटरस की उपाय योजना में भी उनकी कुशलता जगन्-मान्य है। विख्यात स्त्रीरोग-विशेषज्ञ प्रो. साँडेक ने विएना के वैद्यकीय परिषद में कहा, ‘डॉ. शिरोडकर की यह शस्त्रक्रिया बिलकुल आसान है, किन्तु इतनी आसान कल्पना हम में से किसी को भी नहीं सूझी, इसका हमें खेद है।’

१९६० में उनके द्वारा लिखी गई ‘कॉन्ट्रिब्युशन टू ऑबस्ट्रेट्रिकल अ‍ॅन्ड गायनॉकॉलॉजी’ एक प्रसिद्ध पुस्तक है। स्त्रीरोग के विषय में विशेष संशोधन के कारण एफ़.आर.सी.जी.ओ. सम्मान उन्हें मिला। कला, क्रीडा, विज्ञान आदि से संपन्न, डॉ. शिरोडकर ने अपने वैद्यकीय संशोधन के द्वारा अपने देश का परचम पूरे विश्व में बढ़ाया। इस विश्‍वप्रसिद्ध स्त्रीरोग विशेषज्ञ एवं शल्य चिकित्सक को भारत सरकार ने पद्मभूषण सम्मान देकर गौरव प्रदान किया।

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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