युक्तेश्वर गिरि

संत श्री लाहिड़ी जी महाशय के शिष्य एवं स्वामी सत्यानन्द गिरि तथा परमहंस योगानन्द जी के गुरु महान क्रियायोगी एवं उत्कृष्ट ज्योतिषी श्री युक्तेश्वर गिरि जी का जन्म १० मई, १८५५ को हुआ था। उनका मूल नाम प्रियनाथ कांड़ार था।

श्री युक्तेश्वर गिरी जी ने गुरु परम्परा को कायम रखते हुए क्रियायोगकी दिक्षा दिया। वे परमहंस योगानन्द जी को पश्चिमके लिए तैयार किया था ।

श्री युक्तेश्वर गिरी जी ने वेदान्त, मिमांसा, योग, वैशेषिक तथा गीता, बाइबल का सम्पूर्ण एवं गहरी व्याख्या की है। वे महान् क्रियायोगी तथा प्रखर ज्योतिष थे, साथ ही वे विज्ञान के भी महान ज्ञाता थे। परमहंस योगानन्द जी महाराज ने अपनी आत्मकथा में अपने गुरु युक्तेश्वर गिरी जी का वर्णन विषद् कार्यों की चर्चा के साथ किया है।भारतीय संतों में युक्तेश्वर जी का नाम आदर के साथ लिया जाता है।

युक्तेश्वर गिरि जी महराज के व्याख्यान के कुछ अंश…

कुछ लोग दूसरों के सिर काटकर स्वयं ऊँचा बनने का प्रयास करते हैं।

जिस प्रकार भूख का एक यथार्थ उद्देश्य है, परन्तु लोलुपता का नहीं, उसी प्रकार काम प्रवृत्ति को भी प्रकृति ने केवल प्रजाति के प्रवर्तन के लिये बनाया है, कभी तृत्त न हो सकने वाली वासनाओं को जगाने के लिये नहीं। अपनी गलत इच्छाओं को अभी ही नष्ट कर दो, अन्यथा स्थूल शरीर छूट जाने के बाद भी सूक्ष्म शरीर में वे तुम्हारे साथ चिपकी रहेंगी। शरीर को रोक पाना भले ही कठिन हो, पर मन में निरन्तर विरोध करते ही रहना चाहिये। यदि प्रलोभन निष्दुरतापूर्वक तुम पर आक्रमण करे तो साक्षीभाव से उसका विश्लेषण करके अदम्य इच्छाशक्ति अपनी शक्तियों को बचा कर रखो। विशाल समुद्र के समान बनो जिसमें इन्द्रियों की सब नदियाँ चुपचाप विलीन होती चली जायें। प्रतिदिन नयी शक्ति के साथ जागती वासनाएँ तुम्हारी आंतरिक शान्ति को सोख लेंगी; ये वासनाएँ जलाशय में बने छिद्रों के समान हैं जो प्राणमूलक जल को विषयासक्ति के रेगिस्तान में नष्ट होने के लिये बहा देते हैं। मनुष्य को बाध्य करने वाला कुवासनाओं का शक्तिशाली आवेग उसके सुख का सबसे बड़ा शत्रु है। आत्म-संयम के सिंह बनकर संसार में विचरण करो। इन्द्रिय-दुर्बलताओं के मेंढकों की लातें खाकर इधर से उधर लुढ़कते मत रहो।

इसे सदा याद रखो कि ईश्वर को पाने का अर्थ होगा सभी दुःखों का अन्त।

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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