जुगल किशोर बिड़ला

समस्त संसार में आज ऐसा कोई नहीं है जो बिड़ला परिवार के नाम को नहीं जानता होगा। बिड़ला परिवार भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक एवं औद्योगिक परिवारों में से एक है। इस परिवार के अधीन वस्त्र उद्योग, आटोमोबाइल्स, सूचना प्रौद्योगिकी आदि जैसे बड़े व्यवसाय हैं। बिड़ला परिवार स्वतंत्रता संग्राम का नैतिक एवं आर्थिक रूप से समर्थक था, जिसके कारण उन्हें कई बार जबरदस्त नुकसान का सामना भी करना पड़ा था।

बिड़ला समूह के संस्थापक बलदेवदास बिड़ला जी थे जो राजस्थान के सफल मारवाड़ी समुदाय से आते थे। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम दिनों में वे अपना पारिवारिक व्यवसाय की शुरुवात करने के लिए कलकत्ता चले आए और उस समय चल रहे स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन के साथ निकट से जुड़ गये।

बिड़ला समूह के पुरोधा बलदेवदास बिड़ला जी के यहाँ २३ मई,१८८३ को जुगल किशोर बिड़ला का जन्म हुआ। उनके जन्म के समय भविष्यवक्ताओ ने जो कहा वह आप सबके सम्मुख प्रस्तुत करता हूँ… उनके अनुसार जुगल किशोर बिड़ला संसार को अपने कार्यों से एक नयी दिशा प्रदान करेंगे। इसमें कोई शंका नहीं है कि जुगल किशोर बिड़ला ईमानदारी को व्यापक रूप से प्रयोग कर नव-कीर्तिमान स्थापित करेंगे। जुगल किशोर बिड़ला अपने मित्रों से अपने उद्देश्य, अपनी बात, आर्थिक विषय इत्यादि में ईमानदार होने की उम्मीद करेंगे। दूसरों के साथ जुगल किशोर बिड़ला का व्यवहार सबसे बड़ी कमजोरी रहेगी। जुगल किशोर बिड़ला अकुशलता को सहन नहीं करेंगे और जो लोग जुगल किशोर बिड़ला की आंखों से आंखें मिलाकर नहीं देख सकेंगे जुगल किशोर बिड़ला उन्हें हेय दृष्टि से देखते रहेंगे। जुगल किशोर बिड़ला को उन लोगों के प्रति सहनशीलता का गुण विकसित करना होगा, जिन्हे जुगल किशोर बिड़ला प्रायः अस्वीकृत कर देंगे।’ कालांतर में ये सारी बातें सही साबित हुई।

जुगल किशोर बिड़ला क्रियात्मक स्वभाव के व्यक्ति थे और सदैव गतिशील रहते थे। अतः उन्हें हमेशा योजना बनाते देखा जा सकता था। वे अकर्मण्यता को कभी भी सहन नहीं कर सकते थे। जुगल किशोर बिड़ला के अन्दर पर्याप्त इच्छाशक्ति थी और स्वतन्त्रता का भाव उनके अन्दर कूट-कूट के भरा हुआ था। अपने काम में दूसरों का दखल वे बर्दाश्तन नहीं करते। उनके लिए अपने विचारों व कार्यों की स्वतन्त्रता सर्वोपरि थी। वे मौलिक सोच रखते थे जोकि बहुआयामी होती थी। जुगल किशोर बिड़ला नये तरीकों का अन्वेषण अथवा उद्देश्यपूर्ण मौलिक आविष्कार पर विशेष ध्यान देते थे।

साथ ही वे आध्यात्मिक महापुरुष थे, जिन्होंने वेदों के अनुसार अथवा भगवान की आज्ञा समझ दोनो हाथों से धन उपार्जित किया और अनेक हाथों से उसे सत्कर्मों में वितरण किया। जुगलकिशोर जी के ह्रदय में सह्रदयता और मानवता की भावना कूट कूट कर भरी थी अतः वे स्वयं उपस्थित होकर सेवाकार्यों में भाग लेते थे।

एक बार की बात है पिलानी में मूसलाधार वर्षा हुई, जिससे चारों तरफ जल भर गया और कच्चे मकान गिरने लगे। देखते ही देखते अनेको लोग बेघर हो गये।यह देखकर बिरला कॉलेज के अध्यापक और छात्र सहायता के लिए वहाँ पहुंचे और गरीबों की झोंपड़ियों के पास से पानी को काट कर निकालने का प्रयत्न करने लगे। इतने में देखा गया कि जुगलकिशोर जी स्वयं भी धोती चढ़ाये और वर्षा में भीगते हुए वहां उपस्थित हैं। उसी समय उन्होंने व्यवस्था की कि जिनके घर टूट गये हैं, उनको अतिथि गृह और कुबेर भंडार में ले जाकर टिका दिया जाये। हरिजन लोगों के घर भी डूब रहे थे, पर उन्होंने तब तक अपने घरों को छोड़ने में असहमति प्रकट की जब तक उनका सामान भी उनके साथ सुरक्षित न पहुँचा दिया जाये। बिरलाजी ने छात्रों से कहकर उनका सामान उनके खाटों पर रखकर ठहरने वाली जगह पर पहुँचाने की व्यवस्था करवा दी। तब तक सभी लोग उनके यहाँ ठहरे जब तक पानी हट नहीं गया। पानी हटने के पश्चात मकानों की मरम्मत के लिए ईंट, बल्ली, टीन आदि का प्रबंध भी करावा दिया।

उनके जीवन की ऐसी सहस्त्रों घटनाएँ हैं। पहले परिश्रम करके धन कमाना और फिर उसे अपने सुख, आनन्द में व्यय न करके उसे समाज के अभ्युत्थान में लगाना, यही उनके जीवन का सदा ध्येय रहा। सफेद संगमरमर एवं बलुआ पत्थर से पूरे भारत सहित विश्व के अन्य देशों में बने बिरला मंदिर इसके महान आत्मा द्वारा किए कार्यो का एक खुबसूरत एवं महान उदाहरण है।

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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