March 29, 2024

वो टकटकी लगाए देखता रहा,
भिआईपी को तो कभी खुद को।

सोचता क्या अथवा सोचे क्या?इससे पहले ही किसी ने वहां से धक्के लगा निकाल दिया।

अपने आप को उस जगह पर सजाने को…

भिआईपी का काफिला आगे बढ़ा साफ सुथरे सफेद कुर्ते पाजामे ने दूसरे व्यक्ति को वहां से हटा दिया,

इस बार खुद को वहां टिकाने को…

लेकिन काफिला वहां रुका नहीं आगे निकल गया, भीड़ छंट गई।पहले ने अपलक उन्हें देखा, जो शून्य में ताके जा रहे थे, नजारे देखने आए थे नजरे चुराए जा रहे थे।

लंबी खामोशी वहां छाई थी, लेकिन
अंतर्मन की शोर उन्हें खाए जा रही थी।

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