April 25, 2024

चीन से तनाव के मध्य मनाली से लेह को जोड़ने वाली दुनिया की सबसे लंबी अटल टनल 10 सालों में बनकर तैयार हो गई है। रोहतांग दर्रे के नीचे यानी मनाली लेह राजमार्ग पर रोहतांग दर्रे के नीचे बन कर तैयार यह सुरंग घोड़े के नाल के आकार की है। यह सुरंग दुनिया की सबसे लंबी एवं किसी अजूबे से कम नहीं है। जो समुद्र तट से 10 हजार 40 फीट की ऊंचाई पर बनी है। इस टनल में वो सारी खूबियां मौजूद हैं जो आज और आने वाले समय के लिए जरूरी हैं। जहां इस टनल में हर आधे किलोमीटर पर इमरजेंसी टनल बनाई गई है वहीं सुरक्षा के लिहाज से दोनों ओर कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।इसके अलावा हर 150 मीटर पर 4जी फोन की सुविधा तो हर 60 मीटर पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर 2020 के आखिरी सप्ताह में इस टनल का उद्घाटन कर जनता को समर्पित करेंगे। हालांकि अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। वैसे आपको बताते चलें की इस ऐतिहासिक सुरंग का नाम भी आदरणीय अटल जी के नाम पर ही रखा गया है, ‘ अटल टनल ‘ । अब आप सोच रहेंगे कि यह नाम अटल जी के सम्मान में रखा गया होगा, मगर मेरे दोस्तों सिर्फ सम्मान की बात नहीं है। कारण कुछ खास है…

इस ऐतिहासिक सुरंग को बनाए जाने का फैसला 3 जून, 2000 को लिया गया था। उस समय भारत के तात्कालिक प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी जी थे जिन्होंने इस ऐतिहासिक सुरंग को बनाने का फैसला लिया था। सुंरग के दक्षिणी हिस्‍से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई, 2002 को रखी गई थी। कुल 8.8 किलोमीटर लंबी यह सुरंग 3000 मीटर की ऊंचाई पर बनाई गई और यह महान सुरंग दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है।

चीफ इंजिनियर के.पी. पुरुषोथमन ने पूछे जाने पर मीडिया को बताया कि, ‘मनाली से लेह को जोड़ने वाली अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल है। इस टनल से मनाली और लेह के बीच का सफर 46 किलोमीटर कम हो जाएगा। साथ ही आने-जाने में चार घंटे का वक्त भी कम लगेगा।’ उन्होंने आगे बताया कि, ‘अटल टनल के अंदर फायर हाइड्रेंट भी लगाए गए हैं। इससे किसी प्रकार की अनहोनी में इसका इस्तेमाल किया जा सके। सुरंग के निर्माण के समय संसाधनों के इंडक्शन और डीइंडक्शन करना काफी मुश्किल रहा। हमने कई तरह की चुनौतियों का सामना किया लेकिन टीम वर्क के जरिए हम निर्माण पूरा करने में सफल रहे।’

अटल टनल की चौड़ाई 10.5 मीटर है। इसमें दोनों ओर 1-1 मीटर के फुटपाथ भी बनाए गए हैं। अटल टनल प्रॉजेक्ट के डायरेक्टर कर्नल परीक्षित मेहरा का कहना है कि, ‘लेह को जोड़ने के लिए यह हमारा सपना था और यह कनेक्टिविटी मजबूत करने की दिशा में पहला कदम था। यह सुरंग एक चुनौतीपूर्ण परियोजना थी, क्योंकि हम केवल दो छोर से काम कर रहे थे। दूसरा छोर उत्तर में था रोहतांग पास अतः हम साल में सिर्फ पांच महीने ही काम कर पाते थे।’

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