कृष्णजी प्रभाकर खाडिलकर

परिचय…

लोकमान्य बालगंगाधर तिलक जी के सहयोगी और मराठी साहित्यकार, नाट्याचार्य, पत्रकार, वकील, संपादक तथा इन सब से बढ़कर महान् देशभक्त काका साहब खाडिलकर के नाम से प्रसिद्ध श्री कृष्णजी प्रभाकर खाडिलकर जी का जन्म २५ नवंबर, १८७२ को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ था। विद्यार्थी जीवन में ही इनकी नाट्यप्रतिभा दिखाई पड़ने लगी थी। वे बाल्यकाल से ही बहुमुखी प्रतिभा के विद्यार्थी थे जो परीक्षा में, खेल में और वक्तृत्व की स्पर्धा आदि में सदा आगे रहते थे। हाईस्कूल तथा कालेज की पढाई के दिनों में ही उन्होंने संस्कृत तथा अंग्रेजी नाटकों का गहन अध्ययन कर लिया था।

कार्य…

वकालत की पढ़ाई के बाद स्वदेश सेवा का भाव मन में लिए वे लोकमान्य बालगंगाधर तिलक जी के सहयोगी बन गए। इनके स्वभाव में कला प्रेमी होने के नाते लालित्य और देश भक्त होने के नाते गांभीर्य का अलौकिक मेल था। लोकजागरण के उदात्त उद्देश्य से वे नाट्यसर्जना करने लगे। इन्होंने शेक्सपियर की नाट्यशैली को अपनाकर लगभग १५ कलापूर्ण एवं प्रभावशाली नाटकों की रचना की। इन्होंने कलापूर्ण गद्यनाटक के समान ही संगीतनाटक भी लिखे और गद्यनाटकों को संगीतनाटक जैसा कलापूर्ण बनाया।

वर्ष १८९३ में इनका ‘सवाई माधवराव की मृत्यु’ नामक गद्य एवं दुखांत नाटक अभिनीत हुआ जिसने दर्शकों को आकर्षित किया। इसके उपरांत ‘कीचकवध और ‘भाऊ बंदकी’ जैसे गद्यनाटकों ने इनकी लोकप्रियता को चार चाँद लगाए। इनका कीचकवध नाटक सामयिक राजनीतिक परिस्थितियों पर लिखा व्यंग्य करने में इतना सफल रहा कि अंग्रेजी सरकार को उसे जब्त करना पड़ा। पौराणिक नाट्यवस्तु द्वारा सामयिक राजनीति की मार्मिक आलोचना करने में वे बड़े सफल थे। इसी प्रकार भाऊ बंदकी नामक ऐतिहासिक नाटक लिखने में भी सफल रहे। वर्ष १९१२ से उन्होंने संगीतनाटक लिखने प्रारंभ किए और वर्ष १९३६ तक इस प्रकार के सात नाटक लिख डाले। जिनमें ‘संगीत मानापमान’, ‘संगीत स्वयंवर’, ‘संगीत द्रौपदी’ उत्कृष्ट नाटक है।

नाट्यवस्तु के विन्यास, चरित्रचित्रण, प्रभावकारी कथोकथन, रसों के निर्वाह, सभी दृष्टियों से खाडिलकर जी के नाटक कला की दृष्टि से पूर्ण हैं। इनकी नाट्यसृष्टि शृंगार, वीर, करुणादि रसों से ओतप्रोत है। इनकी नाट्य रचना से नाट्यसाहित्य और रंगमंच का यथेष्ट उत्कर्ष हुआ। इनकी रचना को स्रोत आदर्शवाद था जो इनके जीवन में प्राय: उमड़ पड़ता था इन्होंने स्पष्ट कहा है कि राष्ट्रोन्नति में सहायक हो, ऐसा लोकजागरण करना या लोकशिक्षा देना मेरी नाट्यकला का प्रधान उद्देश्य है। नाटक कार को चाहिए कि वह आदर्श चरित्रचित्रण दर्शकों के सामने प्रस्तुत करे ताकि वे उनसे प्रभावित होकर कर्मयोग का आचरण करें।

खाडिलकर प्रखर राष्ट्रभक्त और तेजस्वी संपादक भी थे जिन्होंने बंबई में नवाकाल नामक दैनिक पत्र को लगभग १६ साल तक सफलता से संपादित किया। इन्हें मराठी का ‘शेक्सपियर’ भी कहा जाता है। आयु के अंतिम दिनों में इन्होंने अध्यात्म पर भी गंभीर ग्रंथ लिखे। मराठी नाटय-सृष्टि में उन्होंने बहुमूल्य कार्य किया। मराठी नाट्य प्रेमियों ने अत्यंत स्नेह भाव से उन्हें ‘नाट्याचार्य’ की पदवी से विभूषित किया। महाराष्ट्र में आधुनिक पत्रकारिता की नींव भी उनके द्वारा ही डाली गई थी। वे श्रेष्ठ चिंतक तथा वैदिक साहित्य के अभ्यासक थे। वे सादगी, सदाचार और ईमानदारी, देशभक्ति, स्वाभिमान व नेकी आदि गुणों की प्रत्यक्ष मूर्ति भी तो थे।

कृतियाँ…

१. सवाई माधवराव यांचा मृत्यु

२. भाऊबंदकी

३. कांचनगडची मोहना

४. मानापमान

५. स्वयंवर

६. कीचकवध

७. मेनका

८. विद्याहरण

९. सावित्री

१०. दौपदी

११. सवतीमत्सर

१२. सत्त्वपरीक्षा

१३. बायकांचे बंड

१४. त्रिदंडी संन्यास

अश्विनी राय
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माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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