हिंदी का प्रांजल भविष्य

आज हम हिंदी के भविष्य पर चर्चा करने वाले हैं इसलिए भूत की बातों पर ज्यादा चर्चा करना बेमानी होगी अतः हम अपनी बात की शुरुआत आजादी के बाद से शुरू करते हैं। आजादी के बाद भाषा को लेकर एक सर्वेक्षण हुआ। इस सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि देश में, सर्वाधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है, इसलिए संविधान की धारा ३४३ के अंतर्गत देवनागरी लिपि मे लिखी हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया और आज हिंदी भारत के अठारह करोड़ लोगों की मातृभाषा तथा तीस करोड़ लोग ऐसे हैं जो हिंदी का इस्तेमाल दूसरी भाषा के रूप में करते हैं। यानी पूरे ४८ करोड़ लोग हिंदी से कहीं ना कहीं जुड़े हुए हैं। यह तो हुई अपने देश की बात, आज दुनिया के करीब १५० देश ऐसे हैं जहां हिंदी भाषी लोग रहते हैं, तो कुछ ना कुछ हिंदी की फुलझड़िया वहां के लोगों तक भी पहुंच ही रही है। इस तरह से देखा जाए तो हिंदी दुनिया की ताकतवर भाषाओं में शामिल है। और इसे बोलने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि यह वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का कहना है। फोरम ने शक्तिशाली भाषाओं का एक इंडेक्स तैयार किया है जिसके अनुसार वर्ष २०५० तक दुनिया की जो सबसे शक्तिशाली भाषाएं होंगी उनमें हिंदी भी टॉप १० भाषाओं में शामिल होगी। और यह तब जब हिंदी अपनी सहायक बोलियों के बिना चुनी गई है। अगर उर्दू सहित प्रांतीय बोलियों को भी इसमें जोड़ा गया तो हिंदी शीर्ष भाषाओं को चैलेंज करने लगेगी।

मगर सही मायनों में हम आज हिंदी के भविष्य के बजाय हिंदी के प्रांजल भविष्य पर चर्चा करने वाले हैं। अब आप कहेंगे कि यह प्रांजल भविष्य क्या बला है। तो इसके लिए पहले हम प्रांजल को जान लेते हैं।

प्रांजल का अर्थ होता है, जिसमें किसी प्रकार का मल अथवा दोष न हो । यानी जिसके मन में छल-कपट न हो और जो एकदम सीधा-सादा हो, निष्कपट हो।यानी आज हमें हिंदी के ईमानदार भविष्य पर चर्चा करनी है। भविष्य तो समझ में आता है मगर ईमानदार?? हद है यार, पहले तो किसी तरह जोड़ तोड़ कर आंकड़ों के माध्यम से हमने हिंदी को २०५० तक टॉप में पहुंचा दिया, मगर अब ईमानदारी से भविष्य पर चर्चा करूं तो??? भाई सीधे–साधे, निष्कपट, सरल आदमी को आज बुद्धू समझा जाता है। फिर भी, जब हिंदी के प्रांजल भविष्य पर चर्चा करनी ही है तो आइए करते हैं…

लेकिन सच्चाई के साथ अगर बात कही जाए तो आपको यह जानकर थोड़ा अफसोस होगा कि अर्थव्यवस्था में सशक्त भूमिका निभाने के मामले में हिंदी आज भी १६वें नंबर पर आती है। जबकी क्षेत्रफल के हिसाब से देखा जाए तो वह १३वें नंबर पर है, संचार माध्यम के मामले में ८वें नंबर पर और कूटनीति के मामले में हिंदी १०वें नंबर पर है। यही वजह है कि हिंदी बाकी के नौ भाषाओं के मुकाबले बेहद कमज़ोर है।

परंतु आशा की बात करें तो लिखने-पढ़ने की बात हो या बोलने की, देश-दुनिया में हिंदी लोकप्रिय भाषा के रूप में तेजी से उभर रही है। वास्तव में कहा जाए तो इंटरनेट से इसे नई ताकत मिली है। देश के आभासीय दुनिया में तो अंग्रेजी की तुलना में हिंदी सामग्री की मांग पांच गुना तेज़ी से बढ़ रही है। भारतीय युवाओं के स्मार्टफोन में आठ या नौ हिंदी के ऐप होते ही हैं। आंकड़ों की मानें तो आज भारतीय युवा यूट्यूब पर ९३ प्रतिशत हिंदी वीडियो देखते हैं, जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

अभी इंटरनेट पर पंद्रह से ज्यादा हिंदी सर्च इंजन मौजूद हैं। आज भारतीय लोग हिंदी में ही इंटरनेट का उपयोग करना चाहते हैं। मगर देखा जाए तो अभी भी हिंदी के सामने बड़ी चुनौतियां हैं, जिनसे पार पाना आसान नहीं है। हिंदी अभी भी इंटरनेट पर दस सबसे बड़ी भाषाओं में शामिल नहीं है।सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल की ९५ प्रतिशत सर्च सामग्री अभी भी अंग्रेज़ी में ही उपलब्ध है। मगर फिर भी फोरम ने एक आश जगाई है कि वर्ष २०५० तक हिंदी दुनिया की सबसे शक्तिशाली भाषाओं में इसलिए शामिल हो जाएगी क्योंकि हिंदी अब बाज़ार और अर्थव्यवस्था की भाषा भी बनने लगी है। हिंदी के बगैर देश की आर्थिक तरक्की नहीं हो सकती। इस बात को बहुत पहले ही समझ लिया गया था। लेकिन अब हिंदी ने सुपर फास्ट स्पीड पकड़ लिया है क्यूंकि अमेरिका के ४५ विश्वविद्यालयों सहित दुनिया के १७६ विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाने लगी है। विदेशों में २५ से ज्यादा अखबार और मैगज़ीन रोज़ हिंदी में निकलते हैं। पिछले ८ वर्षों के दौरान दुनिया में हिंदी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या ५० फीसदी बढ़ गई है। आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह कहे जाने वाले भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का मानना था कि “निज भाषा यानी कि मातृभाषा की उन्नति ही सब तरह की उन्नतियों का मूल आधार है।”

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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