स्वामी रंगनाथानन्द

रामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्य स्वामी विवेकानंद के गुरुभाई तथा रामकृष्ण मिशन के द्वितीय अध्यक्ष स्वामी शिवानंद के प्रिय शिष्य स्वामी रंगनाथानन्द जी रामकृष्ण संघ के रामकृष्ण मिशन के तेरहवें संघध्यक्ष बने थे।

परिचय…

स्वामी रंगनाथनन्द का जन्म १५ दिसंबर, १९०८ को केरल के त्रिसूर नामक गांव में हुआ था। उनका बचपन का नाम शंकरम् था। आगे चलकर उन्होंने न केवल भारत अपितु विश्व के अनेक देशों में भ्रमण कर हिंदू चेतना एवं वेदांत के प्रति सार्थक दृष्टिकोण निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इससे उन्होंने अपने बचपन के शंकरम् नाम को सच में सार्थक कर दिया।

दीक्षा…

वर्ष १९२६ में शंकरम् मात्र १८ वर्ष की आयु में मैसूर के रामकृष्ण मिशन से जुड़ गए। इसके बाद तो मिशन की गतिविधियों को ही उन्होंने अपने जीवन का एकमात्र कार्य बना लिया। रामकृष्ण परमहंस के स्वामी विवेकानंद के अलावा भी अनेकों शिष्य थे, जिनमें स्वामी शिवानंद भी मुख्य थे, जो कालांतर में मिशन के द्वितीय अध्यक्ष भी बने थे, उन्होंने शंकरम् को वर्ष १९३३ में संन्यास की दीक्षा दी। उन्होंने प्रारंभ में मैसूर और फिर बंगलौर में सफलता पूर्वक सेवाकार्य किये। इससे रामकृष्ण मिशन के काम में लगे संन्यासियों के मन में शंकरम् के प्रति प्रेम, आदर एवं श्रद्धा का भाव क्रमशः बढ़ने लगा।

मिशन कार्य…

वर्ष १९३९ से वर्ष १९४२ तक वे रामकृष्ण मिशन, रंगून (बर्मा) के अध्यक्ष और पुस्तकालय प्रमुख रहे। इसके बाद वर्ष १९४८ तक वे करांची में अध्यक्ष के नाते कार्यरत रहे। देश विभाजन के उपरांत वर्ष १९६२ तक उन्होंने दिल्ली और फिर वर्ष १९६७ तक कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की गतिविधियों का संचालन किया। इसके बाद वे हैदराबाद भेज दिये गये। वर्ष १९८९ में उन्हें रामकृष्ण मिशन का उपाध्यक्ष तथा वर्ष १९९८ में अध्यक्ष चुना गया। भारत के सांस्कृतिक दूत के नाते वे विश्व के अनेक देशों में गये। सब स्थानों पर उन्होंने अपनी विद्यत्ता तथा भाषण शैली से वेदांत का प्रचार किया। उन्होंने कितने ही पुस्तकों का लेखन किया। उनकी वाणी को कैसेट में रिकॉर्ड किया गया है।

कन्याकुमारी में विवेकानंद शिला स्मारक के निर्माण के वक्त वे प्रारंभ से ही जुड़े रहे। शिला स्मारक के संस्थापक श्री एकनाथ रानडे से उनकी बहुत घनिष्ठता थी। १५ सितम्बर, १९७० को ‘विवेकानंद शिला स्मारक समिति’ द्वारा आयोजित एक समारोह में तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आयीं। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी रंगनाथानंद ने ही किया था।

मृत्यु…

स्वामी रंगनाथानन्द २६ अप्रैल, २००४ को अपनी अनंत यात्रा जाने से पूर्व एक बार, एक निराश कार्यकर्ता को लिखे पत्र में उन्होंने कहा था, “यह एक दिन का कार्य नहीं है। पथ कण्टकाकीर्ण है, पर पार्थस्वामी हमारे भी सारथी बनने को तैयार हैं। उनके नाम पर और उनमें नित्य विश्वास रखकर हम भारत पर सदियों से पड़े दीनता के पर्वतों को भस्म कर देंगे। सैंकड़ों लोग संघर्ष के इस पथ पर गिरेंगे और सैकड़ों नये आरूढ़ होंगे। बढ़े चलो। पीछे मुड़कर मत देखो कि कौन गिर गया। ईश्वर ही हमारा सेनाध्यक्ष है। हम निश्चित ही सफल होंगे।” सदा ऐसे ही आशावादी दृष्टिकोण अपनाते थे स्वामी रंगनाथानन्द जी।

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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