श्रीधर पाठक

श्रीधर पाठक जी का जन्म ११ जनवरी, १८६० को आगरा जिला अंतर्गत जौंधरी नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता जी का नाम पंडित लीलाधर था, जो ‘सारस्वत’ ब्राह्मणों के उस परिवार से थे, जो ८वीं शती में पंजाब के सिरसा से आकर जौंधरी में बस गया था। एक सुसंस्कृत परिवार में उत्पन्न होने के कारण आरंभ से ही इनकी रूचि विद्यार्जन में थी। बचपन में ही श्रीधर पाठक ने घर पर संस्कृत और फ़ारसी का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया। तदुपरांत औपचारिक रूप से विद्यालयी शिक्षा लेते हुए वे हिन्दी प्रवेशिका और अंग्रेज़ी मिडिल परीक्षाओं में सर्वप्रथम रहे। फिर वर्ष १८८०·८१ में ऐंट्रेंस परीक्षा में भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। उन दिनों भारत में ऐंट्रेंस तक की शिक्षा पर्याप्त उच्च मानी जाती थी।

जीवन यापन…

शिक्षा पूर्ण करने के बाद श्रीधर पाठक की नियुक्ति राजकीय सेवा में हो गई। सर्वप्रथम उन्होंने जनगणना आयुक्त के रूप में कलकत्ता के कार्यालय में कार्य किया। उन दिनों ब्रिटिश सरकार के अधिकांश केन्द्रीय कार्यालय कलकत्ता में ही थे। जनगणना के संदर्भ में श्रीधर पाठक को भारत के कई नगरों में जाना पड़ता था। इसी दौरान उन्होंने विभिन्न पर्वतीय प्रदेशों की यात्रा की तथा उन्हें प्रकृति-सौंदर्य का निकट से अवलोकन करने का अवसर प्राप्त हुआ। कालान्तर में उन्होंने अन्य अनेक कार्यालयों में भी कार्य किया, जिनमें रेलवे, पब्लिक वर्क्स तथा सिंचाई-विभाग आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। और अनुभव के साथ वे अधीक्षक के पद पर पहुँच गए।

काव्य लेखन…

उन्होंने ब्रजभाषा और खड़ी बोली दोनों में अच्छी कविता की हैं। उनकी ब्रजभाषा सहज और निराडम्बर है, परंपरागत रूढ़ शब्दावली का प्रयोग उन्होंने प्रायः नहीं किया है। खड़ी बोली में काव्य रचना कर श्रीधर पाठक ने गद्य और पद्य की भाषाओं में एकता स्थापित करने का एतिहासिक कार्य किया। खड़ी बोली के वे प्रथम समर्थ कवि भी कहे जा सकते हैं। यद्यपि इनकी खड़ी बोली में कहीं-कहीं ब्रजभाषा के क्रियापद भी प्रयुक्त है, किन्तु यह क्रम महत्वपूर्ण नहीं है कि महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा ‘सरस्वती’ का सम्पादन संभालने से पूर्व ही उन्होंने खड़ी बोली में कविता लिखकर अपनी स्वच्छन्द वृत्ति का परिचय दिया। देश-प्रेम, समाज सुधार तथा प्रकृति-चित्रण उनकी कविता के मुख्य विषय थे। उन्होने बड़े मनोयोग से देश का गौरव गान किया है, किन्तु देश भक्ति के साथ साथ उनमें भारतेंदु कालीन कवियों के समान राजभक्ति भी मिलती है।

एक ओर श्रीधर पाठक ने ‘भारतोत्थान’, ‘भारत प्रशंसा’ आदि देशभक्ति पूर्ण कवितायें लिखी हैं तो दूसरी ओर ‘जार्ज वन्दना’ जैसी कविताओं में राजभक्ति का भी प्रदर्शन किया है। समाज सुधार की ओर भी इनकी दृष्टि बराबर रही है। ‘बाल विधवा’ में उन्होंने विधवाओं की व्यथा का कारुणिक वर्णन किया है। परन्तु उनको सर्वाधिक सफलता प्रकृति-चित्रण में प्राप्त हुई है। तत्कालीन कवियों में श्रीधर पाठक ने सबसे अधिक मात्रा में प्रकृति-चित्रण किया है। परिणाम की दृष्टि से ही नहीं, गुण की दृष्टि से भी वे सर्वश्रेष्ठ हैं। श्रीधर पाठक ने रूढ़ी का परित्याग कर प्रकृति का स्वतंत्र रूप में मनोहारी चित्रण किया है। उन्होंने अंग्रेज़ी तथा संस्कृत की पुस्तकों के पद्यानुवाद भी किये।

रचनाएँ…

श्रीधर पाठक एक कुशल अनुवादक थे। कालिदास कृत ‘ऋतुसंहार’ और गोल्डस्मिथ कृत ‘हरमिट’, ‘टेजटेंड विलेज’ तथा ‘प ट्रैवलर’ का वे बहुत पहले ही ‘एकांतवासी योग’, ऊजड ग्राम और श्रांत पथिक शीर्षक से काव्यानुवाद कर चुके थे।

कृतियां…

१. वनाश्टक

२. काश्मीर सुषमा

३. देहरादून

४. भारत गीत

५. गोपिका गीत

६. मनोविनोद

७. जगत सच्चाई-सार

मृत्यु…

श्रीधर पाठक का निधन १३ सितम्बर, १९२८ में हुआ।

अश्विनी राय
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माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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