April 20, 2024

आज हम एक ऐसे नायक के बारे में बात करने वाले हैं, जिनके चरित्र को, जिनके हैरतंगेज कारनामों को अलग अलग फिल्मों में अलग अलग फिल्मी नायकों ने पर्दे पर निभा कर खूब वाहवाही बटोरी है और खूब पैसे बनाएं हैं। आइए पहले हम उनके हैरतंगेज कारनामों के बारे में जानते हैं…

१. भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका। इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी।
२. जब वर्ष १९९९में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-८१४ को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में, इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था।
३. कश्मीर में भी उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया था और उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी। उन्होंने उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।
४. अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी, लेकिन तब उन्होंने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपनाना पड़ा था।
५. उन्होंने वर्ष १९९१ में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई थी।
६. उन्होंने पूर्वोत्तर भारत में सेना पर हुए हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई और भारतीय सेना ने सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया। भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना और एनएससीएन खाप्लांग गुट के बागियों सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब ३० उग्रवादी मारे गए हैं।
७. पाकिस्तान और ब्रिटेन में राजनयिक जिम्मेदारियां भी संभालीं और फिर करीब एक दशक तक खुफिया ब्यूरो की ऑपरेशन शाखा को लीड किया।

वो अपने आप में एक जीवित किवदंती हैं, जिन्होंने इंदिरा गांधी के साथ काम किया, तो अटल बिहारी वाजपेयी के भी संकटमोचक बने और वर्तमान में नरेंद्र मोदी के भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के सबसे बड़े योद्धा भी वही हैं। अब तो आप ने पहचान लिया होगा, जी हां सही पहचाना आपने। हम बात कर रहे हैं, सेवानिवृत्त आई.पी.एस. एवं भारत के वर्तमान एवम पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत कुमार डोभाल जी के बारे में, जो ३० मई, २०१४ से इस पद पर हैं। इतना ही नहीं वे भारत के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाले दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।

परिचय…

अजित डोभाल का जन्म २० जनवरी, १९४५ को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से हुई, इसके बाद आगरा विश्वविद्यालय से उन्होंने अर्थशास्त्र में एम.ए. किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आई.पी.एस. की तैयारी में लग गए। कड़ी मेहनत के बल पर वे केरल कैडर से वर्ष १९६८ में आई.पी.एस. के लिए चुन लिए गए। वर्ष २००५ में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए हैं। वह सक्रिय रूप से मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे हैं।

सर्जिकल स्‍ट्राइक के मास्‍टर माइंड…

भारतीय सेना की ओर से पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले कश्‍मीर में आतंकियों को किया गया सर्जिकल स्‍ट्राइक के मास्‍टर माइंड अजीत डोभाल माने जाते हैं। पूरे ऑपरेशन का ताना बाना डोभाल ने ही बुना। उन्‍होंने पाकिस्‍तान को छकाने की रणनीति बनाई। साथ ही पूरे ऑपरेशन के दौरान डीजीएमओ के साथ लगातार संपर्क में रहे और हर पल की जानकारी लेते रहे। डोभाल खु‍फिया ऑपरेशन के लिए जाने जाते हैं। हालांकि उन्‍होंने अपना जीवन एक जासूस के तौर पर ही गुजारा। वे अपने कार्य के प्रति जितने संजीदा और गंभीर नजर आते हैं, उतने ही उदार और नर्म दिल के हैं।

About Author

Leave a Reply