April 25, 2024

वर्ष १९२१ की बात है, ब्रिटेन के युवराज के बहिष्कार का नोटिस बांटते हुए एक युवक को गिरफ्तार कर लिया गया और तीन महीने की सजा हो गई। फिर तो उसकी देशभक्ति और उफान मारने लगी तो वर्ष १९२५ के प्रसिद्ध काकोरी कांड में उस युवक ने निर्भय भाव से सक्रिय रूप में अपनी भूमिका को निभाया। ट्रेन रोककर ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटने वाले १० बहादुरों में वह भी एक था। उस युवक ने ‘भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का इतिहास’, ‘क्रान्ति युग के अनुभव’, ‘चंद्रशेखर आज़ाद’, ‘विजय यात्रा’ आदि नामक कई पुस्तकों का लेखन हिन्दी, अंग्रेज़ी तथा बांग्ला में किया।

हम बात कर रहे हैं, मन्मथनाथ गुप्त के बारे में जिन्होंने मात्र १३ वर्ष की अल्प आयु में ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद गये और जेल गये। बाद में वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य भी बने…

परिचय…

क्रांतिकारी कहें अथवा लेखक, जो भी कहें मन्मथनाथ गुप्त का जन्म ७ फरवरी, १९०८ को वाराणसी में हुआ था। उनके पिता श्री वीरेश्वर गुप्त जी विराटनगर यानी नेपाल में एक स्कूल के प्रधानाध्यापक थे। अतः मन्मथनाथ गुप्त की प्रारंभिक शिक्षा वहीं हुई थी। बाद में वे वाराणसी आ गए। उस समय के राजनीतिक वातावरण का प्रभाव उन पर भी पड़ा और वर्ष १९२१ में ब्रिटेन के युवराज के बहिष्कार का नोटिस बांटते हुए गिरफ्तार कर लिए गए और तीन महीने की सजा हो गई। जेल से छूटने पर उन्होंने काशी विद्यापीठ में प्रवेश लिया और वहाँ से विशारद की परीक्षा उत्तीर्ण की। तभी उनका संपर्क क्रांतिकारियों से हुआ और मन्मथ पूर्णरूप से क्रांतिकारी बन गए।

क्रांतिकारी…

वर्ष १९२५ के प्रसिद्ध काकोरी कांड में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके बाद गिरफ्तार हुए, मुकदमा चला और १४ वर्ष के कारावास की सजा हो गई।

लेखन…

लेखन के प्रति उनकी प्रवृत्ति पहले से ही थी। जेल जीवन के अध्ययन और मनन ने उसे पुष्ट किया। छूटने पर उन्होंने विविध विधाओं में विपुल साहित्य की रचना की। उनके प्रकाशित ग्रंथों की संख्या ८० से अधिक है।

प्रमुख रचनाएँ…

१. भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का इतिहास
२. क्रान्ति युग के अनुभव
३. चंद्रशेखर आज़ाद
४. विजय यात्रा
५. यतींद्रनाथ दास
६. कांग्रेस के सौ वर्ष
७. कथाकार प्रेमचंद
८. प्रगतिवाद की रूपरेखा
९. साहित्यकला समीक्षा आदि समीक्षा विषयक ग्रंथ हैं। इनके अलावा उन्होंने कहानियाँ भी लिखीं हैं।

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