पंड‍ित शिवकुमार शर्मा

शास्त्रीय संगीत की दुनिया में एक सुप्रसिद्ध वाद्य यंत्र है संतूर, जिसे प्राचीन भारतीय भाषा में ‘शततंत्री वीणा’ कहा जाता है। शततंत्री वीणा यानी सौ तारों वाली वीणा। जो कालांतर में फ़ारसी भाषा के सहयोग से संतूर नाम से प्रसिद्ध हुआ। अगर उत्पत्ति की बात की जाए तो, विद्वानों के अनुसार संतूर की उत्पत्ती लगभग १८०० वर्षों से भी पूर्व ईरान में मानी जाती है, जो बाद में एशिया के कई अन्य देशों में प्रचलित हुई। जबकि सच्चाई यह है कि संतूर मां सरस्वती की वीणा का ही बदला हुआ स्वरूप है, जो अलग अलग समय में अलग अलग सभ्यताओं और संस्कृति के अनुसार अपनी रूप बदलती रही है।

संतूर लकड़ी का एक चतुर्भुजाकार बक्सानुमा यंत्र है जिसके ऊपर दो-दो मेरु की पंद्रह पंक्तियाँ होती हैं। एक सुर से मिलाये गये धातु के चार तार एक जोड़ी मेरु के ऊपर लगे होते हैं। इस प्रकार तारों की कुल संख्या ६० होती है। आगे से मुड़ी हुई डंडियों से इसे बजाया जाता है। संतूर मूल रूप से कश्मीर का लोक वाद्य यंत्र है और इसे सूफ़ी संगीत में इस्तेमाल किया जाता था।

अगर संतूर की बात आ गई तो स्वर्गीय श्री शिव कुमार शर्मा जी के बारे में बात ना की जाए तो यह प्रसंग अधूरा रह जायेगा। क्योंकि श्री शर्मा भारत के प्रसिद्ध संतूर वादक थे, जिन्होंने संतूर को भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक उचित और सम्मानित स्थान प्रदान किया था…

परिचय…

शिवकुमार शर्मा जी का जन्म १३ जनवरी, १९३८ को जम्मू के गायक पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था था। शिवकुमार शर्मा की माता जी स्वयं एक शास्त्रीय गायिका थीं जो बनारस घराने से संबंध रखती थीं। चार वर्ष की अल्पायु से ही शिवकुमार शर्मा ने अपने पिता से गायन व तबला वादन सीखना प्रारंभ कर दिया था। इनके पिता ने संतूर वाद्य पर अत्यधिक शोध किया और यह दृढ़ निश्चय किया कि शिवकुमार प्रथम भारतीय बनें जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजायें। तब इन्होंने १३ वर्ष की आयु से ही संतूर बजाना आरंभ किया और आगे चलकर इनके पिता का स्वप्न पूरा हुआ।

प्रथम प्रस्तुति एवम निष्ठा…

शिवकुमार शर्मा ने अपनी प्रथम सार्वजनिक प्रस्तुति मुंबई में वर्ष १९५५ में दी।

शिवकुमार शर्मा संतूर के महारथी होने के साथ साथ एक अच्छे गायक भी थे। इनका प्रथम एकल एल्बम वर्ष १९६० में आया। वर्ष १९६५ में इन्होंने निर्देशक वी शांताराम की नृत्य-संगीत के लिए प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म झनक झनक पायल बाजे का संगीत दिया। इसके अलावा श्री शर्मा ने फासले, सिलसिला, लम्हे, चांदनी, डर आदि हिन्दी फ़िल्मों में प्रसिद्ध संगीत दिया है।

वर्ष १९६७ में इन्होंने प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित बृजभूषण काबरा की संगत से एल्बम कॉल ऑफ द वैली बनाया, जो शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचे स्थान पर गिना जाता है। इन्होंने पं. हरि प्रसाद चौरसिया के साथ कई हिन्दी फिल्मों में संगीत दिया है। फिल्म संगीत का श्रीगणेश वर्ष १९८० में फिल्म ‘सिलसिला’ से हुआ था। इन्हें शिव-हरि नाम से प्रसिद्धि मिली। पंडित शर्मा की पत्नी का नाम मनोरमा शर्मा है। जिनसे इन्हें दो पुत्र हुए।

पिता-पुत्र की जुगलबंदी…

शिवकुमार शर्मा ने अपने पुत्र राहुल शर्मा को अपना शिष्य बनाया और संतूर-वादन में पारंगत किया। शिवकुमार शर्मा ने अपने अनोखे संतूर वादन की कला अपने सुपुत्र राहुल को प्रदान की। पिता-पुत्र की यह जोड़ी वर्ष १९९६ से साथ-साथ संतूर-वादन में जुगलबंदी करते आ रहे थे।

मृत्यु…

पंड‍ित शिवकुमार शर्मा का निधन १० मई, २०२२ को हुआ। पिछले ढाई साल से लॉकडाउन और कोविड काल में तो पंडित जी घर से भी बहुत कम निकले। पिछले छह महीनों से उनको गुर्दे से संबंधित परेशानी थी। हालांकि उम्र संबंधी परेशानियों और किडनी की समस्या की वजह से उन्हें डायलिसिस भी करानी पड़ी थी। शिवकुमार शर्मा का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ।

सम्मान एवं पुरस्कार…

शिवकुमार शर्मा जी को कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें से कुछ यहां दिया जा रहा है।

१. वर्ष १९८५ में उन्हें अमरीका के बोल्टिमोर शहर की सम्माननीय नागरिकता प्रदान की गई।
२. वर्ष १९८६ में शिवकुमार शर्मा को ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
३. वर्ष १९९१ में उन्हें ‘पद्मश्री पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
४. वर्ष २००१ में उन्हें ‘पद्म विभूषण पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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