मोरोपन्त त्रयम्बक पिंगले

मोरोपन्त त्रयम्बक पिंगले; मराठा साम्राज्य के प्रथम पेशवा थे। उन्हें ‘मोरोपन्त पेशवा’ भी कहते हैं। वे छत्रपति शिवाजी के अष्टप्रधानों में से एक थे।

परिचय…

मोरोपन्त त्रयम्बक पिंगले जी का जन्म वर्ष १६२० ईस्वी को निमगांव के देशस्थ ब्राह्मण परिवार में त्र्यंबक पिंगले के यहां हुआ था। कालांतर में वे छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ राष्ट्र सेवा में आ गए।

कार्य…

पेशवा मोरोपंत जी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में प्रथम बार राजस्व प्रणाली की शुरुआत की। छत्रपति शिवाजी महाराज ने पेशवा मोरोपंत की कुशल रणनीतिज्ञता से प्रशन्न होकर उन्हें रणनीति विशेषज्ञ एवं रक्षा सलाहकार के पद पर भी नियुक्त कर दिया। अपनी कुशलता और निपुणता से वे अष्टप्रधान में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति एवं महाराज के निकटवर्ती हो गए। महाराज ने उनके संरक्षण में किला, मंदिर एवं मठों का निर्माण, मरम्मत एवं देखरेख का दायित्व भी सौंप दिया। इन सबके उपरांत संसाधन योजना बनाने का दायित्व भी पेशवा मोरोपंत जी ने बड़ी कुशलता से निभाया।

योद्धा…

पेशवा ने किला निर्माण कार्य एवं रणभूमि में योद्धाओं की भांति युद्ध करने जैसी अतिमहत्वपूर्ण भूमिका को भी निभाया। पेशवा मोरोपंत जी ने मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाली दो निर्णायक युद्ध का नेतृत्व किया।

पहला, त्रयम्बकेश्वर किला विजय अभियान एवं दूसरा वानी-डिंडोरी का युद्ध, जो वर्ष १६७० का ऐतिहासिक युद्ध था। जिसमें मुग़ल सल्तनत की और से दाऊद ख़ाँ, इखलास ख़ाँ, मीर अब्दुल माबूद लड़ रहे थे। मुग़ल सल्तनत के प्रमुख सेनापति की तीन टुकड़ी बनी जिसमें त्रयम्बकेश्वर किले को मुग़ल के अधीनस्थ करने का दायित्व दाऊद ख़ाँ को मिला उसके नेतृत्व में ५२,००० सैन्यबल था और दाऊद ख़ाँ के समक्ष थे श्री मोरोपंत पिंगले पेशवा, छत्रपति शिवाजी ने त्रयम्बकेश्वर किले पर हिन्दवी स्वराज्य का ध्वज फहराने का दायित्व पेशवा को दिया था। पेशवा के नेतृत्व में १२०० के संख्या में सैन्यबल था जिन्हें घात लगाकर युद्ध करने की पद्धति एवं मनोवैज्ञानिक युद्ध पद्धत्ति में महारथ हासिल थी।

पेशवा मोरोपंत जी का मुख्य हथियार था मनोवैज्ञानिक युद्ध पद्धत्ति इसी युद्ध पद्धत्ति के बल पर उन्होंने दाऊद ख़ाँ को परास्त करके शिवाजी महाराज के हिन्दवी स्वराज्य के साम्राज्य में त्र्यम्बकेश्वर किले को सम्मिलित करने का कर्तव्य निभाया। पेशवा मोरोपंत पिंगले जी को मनोवैज्ञानिक युद्धकला का जनकपिता माना जाता हैं ।

और अंत में…

शिवाजी की मृत्यु के समय, मोरोपंत पिंगले साल्हेर-मुल्हेर किलों के लिए नासिक जिले में किला विकास गतिविधियों के पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत थे। शिवाजी के उत्तराधिकारी, संभाजी के अधीन, उन्होंने वर्ष १६८१ में बुरहानपुर की लड़ाई में भी भाग लिया। वर्ष १६८३ में रायगढ़ के किले में उनकी मृत्यु के बाद उनके दो पुत्रों नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले एवं बहिरोजी पिंगले में से बड़े पुत्र नीलकंठ मोरेश्वर पिंगले मराठा साम्राज्य के दूसरे पेशवा बने।

रामचंद्र पंत अमात्य

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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