November 24, 2024

​👌🏻मृत्युभोज

से ऊर्जा नष्ट होती है

महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है कि …..

मृत्युभोज खाने वाले की ऊर्जा नष्ट हो जाती है।

जिस परिवार में मृत्यु जैसी विपदा आई हो उसके साथ इस संकट की घड़ी में जरूर खडे़ हों

और तन, मन, धन से सहयोग करें 

लेकिन……बारहवीं या तेरहवीं पर मृतक भोज का पुरजोर बहिष्कार करें।

महाभारत का युद्ध होने को था, 

अतः श्री कृष्ण ने दुर्योधन के घर जा कर युद्ध न करने के लिए संधि करने का आग्रह किया ।

दुर्योधन द्वारा आग्रह ठुकराए जाने पर श्री कृष्ण को कष्ट हुआ और वह चल पड़े, 

तो दुर्योधन द्वारा श्री कृष्ण से भोजन करने के आग्रह पर कृष्ण ने कहा कि

🍁

’’सम्प्रीति भोज्यानि आपदा भोज्यानि वा पुनैः’’

अर्थात्

“जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो, खाने वाले का मन प्रसन्न हो, 

तभी भोजन करना चाहिए।

🍁

लेकिन जब खिलाने वाले एवं खाने वालों के दिल में दर्द हो, वेदना हो,

तो ऐसी स्थिति में कदापि भोजन नहीं करना चाहिए।”

🍁

हिन्दू धर्म में मुख्य 16 संस्कार बनाए गए है, 

जिसमें प्रथम संस्कार गर्भाधान एवं अन्तिम तथा 16वाँ संस्कार अन्त्येष्टि है। 

इस प्रकार जब सत्रहवाँ संस्कार बनाया ही नहीं गया 

तो सत्रहवाँ संस्कार 

‘तेरहवीं का भोज’ 

कहाँ से आ टपका।

किसी भी धर्म ग्रन्थ में मृत्युभोज का विधान नहीं है।

बल्कि महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है कि मृत्युभोज खाने वाले की ऊर्जा नष्ट हो जाती है। 

लेकिन हमारे समाज का तो ईश्वर ही मालिक है।

इसीलिए 

महर्षि दयानन्द सरस्वती,

पं0 श्रीराम शर्मा, 

स्वामी विवेकानन्द 

जैसे महान मनीषियों ने मृत्युभोज का जोरदार ढंग से विरोध किया है।

जिस भोजन बनाने का कृत्य….

रो रोकर हो रहा हो….

जैसे लकड़ी फाड़ी जाती तो रोकर….

आटा गूँथा जाता तो रोकर….

एवं पूड़ी बनाई जाती है तो रो रोकर….

यानि हर कृत्य आँसुओं से भीगा हुआ।

ऐसे आँसुओं से भीगे निकृष्ट भोजन 

अर्थात बारहवीं एवं तेरहवीं के भोज का पूर्ण रूपेण बहिष्कार कर समाज को एक सही दिशा दें।

जानवरों से भी सीखें,

जिसका साथी बिछुड़ जाने पर वह उस दिन चारा नहीं खाता है।

जबकि 84 लाख योनियों में श्रेष्ठ मानव,

जवान आदमी की मृत्यु पर 

हलुवा पूड़ी पकवान खाकर शोक मनाने का ढ़ोंग रचता है।

इससे बढ़कर निन्दनीय कोई दूसरा कृत्य हो नहीं सकता।

यदि आप इस बात से

सहमत हों, तो 

आप आज से संकल्प लें कि आप किसी के मृत्यु भोज को ग्रहण नहीं करेंगे और मृत्युभोज प्रथा को रोकने का हर संभव प्रयास करेंगे  हमारे

About Author

Leave a Reply