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मेरी अनेकानेक गलतियों में

एक गलती यह है कि

मैं राजनीति नहीं जानता

मैं कूटनीति भी नहीं जानता

मेरी मातृभूमि मृत्यशय्या पर

दिन गिनने को लाचार है

मगर मैं कुछ कर नहीं सकता

यह मेरी एक और गलती है

सुन सकता हूं, किन्तु वधिर हूं

बस देखता हूं, इतना गंभीर हूं

मेरी गलती बस इतनी है कि

मैं मूक नहीं बस चुप हूं

मेरे पैर भी हैं, मगर जड़ हूं

इंसान रूपी मैं एक बड़ा बड़ हूं

खड़े खड़े ही फल तोड़ लेता हूं 

हाथ भी हैं उन्हें बस जोड़ लेता हूं

मेरी अनेकानेक गलतियों में

यह भी एक गलती है कि

मैं कोई गलती नहीं करता,

मगर सच मानिए मैं गलत हूं 

इन गलतियों में सबसे बड़ी

गलती यह है कि मैं पुरुष हूं

बड़ी बड़ी बातों का पिटारा

मैं त्रुटि रहित तत्पुरुष हूं

विद्यावाचस्पति अश्विनी राय ‘अरुण’ 

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