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विषय : परिवार
दिनाँक : २२/०१/१९

है जीवन का पर्याय यहां पर,
ऐसा किसलय परिवार।
जिसका सुपरिचय दे रहा,
अमृत कलश संसार॥

गिरिजा राय हैं
प्रेम की धुरी,
इंदु हैं संसार।

अश्विनी जीत का पर्याय,
अनुग्रह खातिर अनीता,
हर पल तैयार।

विशाल हृदय विराट का,
जिस पर रम्भा रहे सवार।

विनती कर विनीत से,
छाया की प्रतिछाया करे दुलार।

आर्यन सुधा चरित है,
वेदांत करे वेदों का व्यापार।

शुभ मंगल शुभ उत्सव में
सदा खुश रहे
ये मेरा प्यारा परिवार।

अश्विनी राय ‘अरूण’

नोट :- हमारे पिताश्री श्री गिरिजा राय एवं उनकी धर्मपत्नी यानी हमारी माताश्री श्रीमती इंदू राय के तीन पुत्र हैं…और तीनों पाणिग्रहण के उपरांत अपनी अपनी पत्नी के साथ संयुक्त रूप से जाने और पहचाने जाते हैं, कारण आप स्वयं समझ सकते हैं।

प्रथमतः मैं यानी आपका मित्र अश्विनी राय ‘अरूण’ और मेरी अर्धांगिनी अनीता राय एवं हमारा सुपुत्र आर्यन। द्वितीय विराट राय एवं उनकी पाणिग्रहनी रम्भा राय एवं उनसे उत्पन्न हमारे परिवार का द्वितीय चश्मों चिराग कृष्णा(वेदांत)।

हम दोनों भाईयो के बाद तीसरा नंबर आता है विनीत एवं उनकी सहचरी छाया का।

और अंत में, यह परिवार नामक कविता बस एक परिचय मात्र है हमारे परिवार का।

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