November 21, 2024

शीतला पांडेय का जन्म २४ फरवरी, १९५८ को उत्तर-प्रदेश प्रांत के ओदार नामक गाँव में हुआ था जो वाराणसी के निकट है। शीतला पांडेय ने अपनी पढ़ाई बनारस में ही सम्पन की। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से मास्टर्स ऑफ़ कॉमर्स की उपाधि प्राप्त करके एक बैंक अधिकारी बन गए, मगर परिवार की इच्छा के विरुद्ध संगीत में रूचि होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी, और पहुँच गए मायानगरी।

मायानगरी तो आ गए, मगर मायापति को खुश करना क्या इतना आसान था, उसके लिए कड़ी मेहनत और करारी किस्मत की भी बड़ी जरूरत होती है। तीन साल तक संघर्ष करने के बाद १९८३ में बेखबर फिल्म के लिये उन्हें गीत लिखने का मौका मिला।इंसाफ कौन करेगा, दो कैदी, रखवाला, बीबी हो तो ऎसी जैसी फिल्मों के गीत लिखने का मौका मिला, मगर ये सारे फिल्म असफल रहे और इसके कारण पांडेय जी भी फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाने में नाकामयाब रहे।

फिर से शुरू हुआ संघर्श, कितने ही बार उन्हें फिल्म निर्माता बेइज्जत कर के भगा देते। एक बार तो निर्माता निर्देशक ने ऊंची मीनार ऊंची मंजिल से उनकी डायरी तक को फेंक दिया। कितने तो उन्हें ताना देते थे की क्या तुम अपने बाप के नाम को भजाने आए हो?

ओह! हमने ये तो बताया ही नहीं की उनके पिताश्री महान गीतकार अंजान जी थे जो मायानगरी के सर्वश्रेष्ठ गीतकारों में से एक थे। उनके कुछ गानों को हम परिचय के लिए उदाहरण स्वरूप यहाँ दे रहे हैं; जैसे :- आपके हसीं रुख पे – बहारें फिर भी आएँगी। खइके पान बनारस वाला – डॉन। दिल तो है दिल, रोते हुए आते हैं सब, ओ साथी रे तेरे बिना क्या जीना, प्यार जिंदगी है – मुकद्दर का सिकंदर। मुझे नौलक्खा मंगा दे रे- शराबी आदि।

मगर पांडेय जी ने हिम्मत नहीं हारी, लगे रहे। और ऐसे ही दस बरस बीत गए मट्टी पलीद कराते हुए।

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान। और फिर एक दिन… वर्ष १९९० में आमिर खान और माधुरी दीक्षित की फिल्म दिल का एक गीत ‘मुझे नींद ना आये’ की अपार सफलता के बाद पांडेय जी एक अच्छे गीतकार के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गये। इसी वर्ष ही उनकी महेश भट्ट की फिल्म आशिकी का गीत ‘सांसों की जरूरत है जैसे’, ‘मैं दुनिया भूला दूंगा’ और ‘नजर के सामने जिगर के पास’ गीतों की सफलता के बाद तो किस्मत के पांव को मानों पर लग गए और वे उड़ चले आसाम को छूने।

पांडेय जी अब ‘समीर’ के नाम से जाने जाने लगे थे। उनको अब अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव भी मिलने शुरू हो गये। जिनमें अनिल कपूर की बेटा, ऋषि कपूर बोल राधा बोल, अजय देवगन की फूल और कांटे जैसी बडे बजट की फिल्में शामिल थी। इन फिल्मों की सफलता के बाद उन्होंने सफलता की नयी बुलंदियों को छुआ और एक से बढकर एक गीत लिखकर श्रोताओं को मंत्रमुंग्ध कर दिया। इनके ज्यादातर गीत हिट होते गए और इनके लिखे गीत आज भी लोगोंं के मन-मस्तिष्क एवं जुबान पर घर किए हैं।

आश्चर्य की बात तो यह है की उन्होंने ६५० फिल्मों में ४००० से अधिक गाने लिखे हैं, जो सबसे अधिक गीत लिखने का गिनिजबुक विश्व कीर्तिमान है।

उनके कुछ बेहतरीन गानों के बोल हम प्रस्तुत करते हैं…

साँवरिया- जब से तेरे नैना,
आशिक बनाया आपने- आशिक बनाया आपने
तेरे नाम- तेरे नाम
अंदाज़- किसी से तुम प्यार करो
राज़- आपके प्यार में
कभी खुशी कभी ग़म- कभी खुशी कभी ग़म
धड़कन- तुम दिल की धड़कन में
कुछ कुछ होता है- तुम पास आए, लड़की बड़ी अनजानी है
राजा हिन्दुस्तानी- परदेसी परदेसी
ये दिल्लगी- ओले ओले
हम हैं राही प्यार के- घूँघट की आड़ से
दीवाना- तेरी उम्मीद तेरा इंतजार, ऐसी दीवानगी
साजन मेरा दिल भी
आशिकी नजर के सामने
दिल मुझे नींद ना आए, आदि।

About Author

Leave a Reply