केदारनाथ चौधरी का जन्म ३ जनवरी, १९३६ को बिहार के दरभंगा में में हुआ था। वे मैथिली भाषा के प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। मैथिली उपन्यास जगत के श्लाका पुरुष केदारनाथ चौधरी ने अपनी कृति का आधार लोकभाषा को बनाया। इसके कारण उनके उपन्यास के पात्र जेहन में बस जाते हैं। उन्होंने अपनी रचनाएं नई पीढ़ी के नजरिए से लिखीं। केदारबाबू अपने बेहतरीन उपन्यासों के लिए याद किये जाते हैं।
शिक्षा एवम कार्य…
वर्ष १९५८ में उन्होंने अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर, वर्ष १९५९ में कानून की शिक्षा पाई। वर्ष १९६९ में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से अर्थस्थास्त्र मे स्नातकोत्तर, वर्ष १९७१ में संत फ्रांसिस्को विश्वविद्यालय से एम.बी.ए. करने के बाद वर्ष १९७८ में वे वापस भारत आ गए। वर्ष १९८१ से १९८६ तक वे तेहरान में रहे। फिर बम्बई, पुणे होते हुए वर्ष २००० में लहेरियासराय में निवास करने लगे।
वर्ष २०१६ के लिए मैथिली भाषा का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार ‘प्रबोध साहित्य सम्मान’ कथाकार केदारनाथ चौधरी को मिला था। शांति निकेतन के प्रोफेसर डॉ. उदय नारायण सिंह नचिकेता की अध्यक्षता में गठित दस सदस्यीय निर्णायक मंडली ने उनके नाम का चयन किया था। मैथिली आंदोलन के अग्रणी नेता प्रबोध नारायण सिंह के नाम पर यह सम्मान २००४ में दिया गया।
सन १९६६ में बनी पहली मैथिली फिल्म ‘ममता गावय गीत’ के वह लेखक-निर्माता रहे। केदारनाथ चौधरी का साहित्य जगत में पदार्पण २००४ में प्रकाशित ‘चमेली रानी’ उपन्यास से हुआ था। वर्ष २०१६ में केदारनाथ चौधरी जी को उनकी रचना ‘आवारा नहितन’ के लिये ‘केदार सम्मान’ से पुरस्कृत किया गया था।