पुस्तक बिहार के उस गौरवपूर्ण इतिहास को बखान करता है, जिसे आज के हम युवाओ ने भूला कर बिहार के नाम को मात्र एक आलोचनात्मक शब्द बना रखा है। बिहार के इतिहास के बिना भारत के इतिहास कि कल्पना भी नही कि जा सकती, तो ऐसा क्या हुवा जो स्वर्णिम इतिहास सिर्फ इतिहास बन कर ही रह गया ? यह पुस्तक बिहार के अतित पर जहां गर्व करना चाहती है वहीं उसके अंगो के नोचे जाने पर सिसकती भी है, चलिये हम भी उसके साथ कुछ कदम चलते हैं, कुछ गर्व करते हैं और कुछ……?

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