November 21, 2024

हरा भारत हरा गाँव
दिनाँक : 30/10/19
सौजन्य : नासा, बी.बी.सी, सी.एन.एन, इंडिया टूडे, नवोदय टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा एवं अमर उजाला।

आज हम आपको ऐसी खबर बताने जा रहे हैं जिसे पढ़कर आप हैरानी में पड़ सकते हैं। क्या आपके दिमाग में कभी ये सवाल उठा है कि आखिर दुनिया में ऐसा कौन सा देश है जो पर्यावरण के प्रति सबसे ज्यादा सजग है। अगर नहीं, तो यह सवाल आपके मन में जरूर उठना चाहिए। अगर हां, तो आज हम आपको तसल्ली से उसका उत्तर देंगे।

दरअसल भारत और चीन दुनिया में पेड़ लगाने के मामले सबसे आगे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि जब भारत पेड़ लगाने के मामले में अग्रणी है तो फिर यहां इतना प्रदूषण कैसे बढ़ रहा है ? इसका भी जवाब भी जान लीजिये। बात बस इतनी सी है कि जिस मात्रा में भारत पेड़ लगा रहा है उससे दुगनी मात्रा में पेड़ काटे जा रहे हैं, इसलिए यहां प्रदूषण कम नहीं हो पा रहा है।

NASA के एक उपग्रह द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से यह बात सामने आई है। इस अध्ययन के लेखक ची चेन के मुताबिक,’एक तिहाई पेड़-पौधे चीन और भारत में हैं, लेकिन ग्रह की वन आच्छादित भूमि का नौ प्रतिशत क्षेत्र ही है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अधिक आबादी वाले इन देशों में अत्यधिक दोहन के कारण भ-ूक्षरण की आम मुद्दे के मद्देनजर यह तथ्य हैरान करने वाला है।’ इस अध्ययन में कहा गया है कि हालिया उपग्रह आंकड़ों(2000-2017) में पेड़-पौधे लगाने की प्रक्रिया का पता चला है जो मुख्य रूप से चीन और भारत में हुई है।

पेड़ पौधों से ढके क्षेत्र में वैश्विक बढ़ोत्तरी में 25 प्रतिशत योगदान केवल चीन का है जो वैश्विक वनीकरण क्षेत्र का मात्र 6.6 प्रतिशत है। चीन में वन क्षेत्र 42 प्रतिशत और कृषि भूमि क्षेत्र 32 प्रतिशत है जबकि इसके उलट भारत में कृषि भूमि 82 प्रतिशत है और वनों का क्षेत्र केवल 4.4 प्रतिशत है। अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की बेहतरी की दिशा में चीन कई महत्वाकांक्षी कार्यक्रम चला रहा है।

भारत और चीन में 2000 के बाद से खाद्द उत्पादन में 35 प्रतिशत से अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। अध्ययन की सह लेखक रमा नेमानी ने कहा कि किसी समस्या का एहसास हो जाने पर लोग उसे दूर करने की कोशिश करते हैं। भारत और चीन में 1970-80 के दशक में पेड़-पोधौं के संबंध में स्थिति सही नहीं थी। 1990 के दशक में लोगों इस चीज का एहसास हुआ और आज चीजों में सुधार होता दिख रहा है।

धन्यवाद !
अश्विनी राय ‘अरूण’

About Author

Leave a Reply