चार दीवारी, पर घर नहीं किराए का घर—एक अस्थायी पता, जहाँ दीवारों को...
(Hindi Kavita)
मोबाइल मेरी परछाई नहीं, मेरे कल के काल का अंधेरा है। पीठ पर लादे...
बड़ी चाह थी कि जिंदगी लहरा कर चलती रहे, मगर हादसे ऐसे हुए...