क्या आप जानते हैं की लैटिन भाषा में मुकुट को क्या कहा जाता है ? मगर जब आप यह जानेगे तो आप को बेहद आश्चर्य और हैरानी होगी की लैटिन में इसे कोरोना कहा जाता है।इसके पीछे कारण यह है की, सूक्षमदर्शी से देखने पर कोरोना वायरस के कणों के इर्द-गिर्द उभरे हुए कांटे जैसे ढाँचों में मुकुट जैसा आकार दिखता है, जिस कारण इसका नाम कोरोना रखा गया।
कोरोना एक वायरस है…
अब आप सोच रहे होंगे की यह वायरस क्या है? ? दरसल विषाणु का अंग्रेजी शब्द वाइरस होता है और जिसका शाब्दिक अर्थ विष होता है। इसे विस्तार से जानते हैं… विषाणु अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। वैज्ञानिक भाषा में समझें तो ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुशुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित मध्यम या धारक के संपर्क में आता है उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है।
चलिए अब हम वापस कोरोना पर आते हैं यानी कोरोना वायरस पर… कोरोना कई वायरसों का एक समूह है। इसके कारक स्तनधारी और पक्षी होते हैं। इन्सानों में यह श्वास तंत्र द्वारा फैलते हैं। ऐसे संक्रमण कभी-कभी जानलेवा भी होते हैं। गाय और सूअर में यह अतिसार और मुर्गियों में यह ऊपरी श्वास तंत्र के कारण फैलते हैं और उन्हें रुग्ण बनाते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कोई टीका या वायररोधी अथवा कोई दावा अभी उपलब्ध नहीं है। रही बात उपचार की तो इसके लिए प्राणी को अभी अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर रहना पड़ेगा और रोगलक्षणों (जैसे कि निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन, ज्वर, आदि) का उपचार कराया जा सकता है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे। हाल ही में WHO ने इसका नाम COVID-19 रखा।
अब हम कोरोना वायरस किस परिवार से सम्बन्ध रखता है उसे जानेगे… यह एक नावेल कोरोनावायरस है। इससे पहले इस वायरस फैमिली के सदस्य से इंसान का सामना नहीं हुआ है। दूसरे वायरस की तरह यह वायरस भी जानवरों से आया है। ज्यादातर लोग जो चीन शहर के केंद्र में स्थित हुआनन सीफ़ूड होलसेल मार्केट में खरीदारी के लिए आते हैं या फिर अक्सर काम करने वाले लोग जो जीवित या नव वध किए गए जानवरों को बेचते हैं। इस वायरस से संक्रमित हुए हैं। यह नावेल कोरोनावायरस आमतौर से जानवरों से उत्पन्न हुआ है। इबोला और फ्लू इसके अन्य उदाहरण हो सकते हैं।
जगत…
यह वायरस राइबोविरिया जगत से आता है, जिसमें आरएनए वायरस और वायरोइड शामिल हैं। अभी तक यह वायरस का एकमात्र परिभाषित जगत है। हो सकता है की आप रेट्रोवायरस का नाम लें तो मैं इसे स्पष्ट कर देना उचित समझता हूँ की यह इस वर्ग में सम्मिलित नहीं है।
गण…
नीडोविरालीस वायरस का एक जीववैज्ञानिक गण है। इसकी सदस्य जातियाँ आरएनए वायरस होती हैं और मानव और अन्य स्तनधारियों में रोगजनक होती हैं। उदाहरण के लिए इसमें सम्मिलित कोरोनाविरिडाए कुल की जातियाँ मानवों में सार्स और वूहान कोरोनावायरस न्यूमोनिया के रोगों के लिए पहले ही ज़िम्मेदार हैं।
कुल…
कोरोनाविरिडाए वायरस का हर वायरस की तरह अपना एक जीववैज्ञानिक कुल भी है। इसकी सदस्य जातियों को इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखने पर सूर्यग्रहण में दिखने वाली कोरोना जैसे उभराव दिखते हैं यानी मुकुट की तरह, जिस से इसका यह नाम पड़ा है। यह आरएनए वायरस होते हैं जिनमें आरएनए के एक-रेशा और उसे ढंकने के लिए प्रोटीन का एक खोल होता है। कोरोनावायरस इसी कुल का सदस्य हैं। कोरोनाविरिडाए कुल में लगभग ४० ज्ञात जातियाँ हैं, जिन्हें २३ उपवंशों, ५ वंशों और २ उपकुलों में श्रेणीबद्ध किया गया है।
कोरोना वायरस के वंश…
जीववैज्ञानिक वंशों में से कोरोनाविरिडाए कुल के चार सदस्य हैं। पहला अल्फ़ाकोरोनावायरस और दूसरा बेटाकोरोनावायरस मूल रूप से चमगादड़ में संक्रमण करने वाले वायरस के वंशज हैं जो मानवों व अन्य स्तनधारियों में भी फैल जाते हैं। सार्स वायरस और नोवेल कोरोनावायरस दोनों बेटाकोरोनावायरस हैं। तीसरा गामाकोरोनावायरस और चौथा डेल्टाकोरोनावायरस पक्षियों और सूअरों में संक्रमण करने वाले वायरस के वंशज हैं।
अब आते हैं, २०१९ नोवेल कोरोनावायरस पर… इस वायरस को वूहान कोरोनावायरस भी कहते हैं। कोरोनावायरस एक वायरस (विषाणु) है जो श्वसन तंत्र में संक्रमण उत्पन्न करता है और मानव-से-मानव में फैलता है। इसकी पहचान सर्वप्रथम २०१९-२० में वूहान, हूबेई, चीन में की गई थी। इसके पहले ज्ञात रोगी वूहान के एक ऐसे बाज़ार से मिले हैं, जहाँ तरह-तरह के प्राणियो के माँस बिकते हैं। वैज्ञानिको के अनुसार यह सम्भव है कि सर्वप्रथम यह वायरस चमगादड़ से मानव में फैला हो क्योंकि इस बाज़ार में चमगादड़ भी बिकते हैं और इस वायरस का चमगादड़ों में पाए जाने वाले कोरोनावायरस से अनुवांशिक समानताएँ भी मिलती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने १२ मार्च, २०२० को इसे महामारी घोषित कर दिया है।