परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक, ऐड-डि-कैम्प आदि पदकों से सम्मानित, जनरल बिपिन रावत भारत के पहले और वर्तमान रक्षा प्रमुख या चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) थे; उन्होंने १ जनवरी, २०२० को रक्षा प्रमुख के पद का भार ग्रहण किया था। इससे पूर्व वे भारतीय थलसेना प्रमुख थे।
परिचय…
जनरल रावत का जन्म १६ मार्च, १९५८ को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक राजपूत परिवार मे हुआ था। जनरल रावत की माताजी परमार वंश से ताल्लुक रखती हैं। रावत एक सैन्य उपाधि है, जो विभिन्न राजपुतो को गढवाल के शासको द्दारा दिये जाते रहे थे। इनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत, जो सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए। श्री रावत ने ग्यारहवीं गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन से वर्ष १९७८ में अपने करियर की शुरुआत की थी। श्री रावत ने देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से शिक्षा प्राप्त की थी, जहां उन्हें ‘सोर्ड ऑफ़ ऑनर’ दिया गया। वह फोर्ट लीवनवर्थ, यूएसए में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के स्नातक भी रहे थे।
शिक्षा…
१. बिपिन रावत ने भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक उपाधि प्राप्त की थी।
२. आईएमए देहरादून में इन्हें ‘सोर्ड ऑफ़ ऑनर’ से सम्मानित किया गया था।
३. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से रक्षा एवं प्रबन्ध अध्ययन में एम फिल की डिग्री।
४. मद्रास विश्वविद्यालय से स्ट्रैटेजिक और डिफेंस स्टडीज में भी एम फिल।
५. २०११ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से सैन्य मीडिया अध्ययन में पीएचडी।
भारतीय सेना…
१. मिजोरम में जनवरी, १९७९ को प्रथम नियुक्ति।
२. नेफा इलाके में तैनाती के दौरान उन्होंने बटालियन की अगुवाई की।
३. कांगो में संयुक्त राष्ट्र की पीसकीपिंग फोर्स की भी अगुवाई की।
४. १ सितंबर, २०१६ को सेना के उप-प्रमुख का पद संभाला।
५. ३१ दिसंबर, २०१६ को सेना प्रमुख का पद।
मृत्यु…
८ दिसम्बर, २०१२, तमिलनाडु में कुन्नूर के पास भारतीय वायुसेना का एक हेलीकॉप्टर (एमआई -१७ वीएच हेलिकॉप्टर) दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में शामिल सभी चौदह में से १३ लोगों की मौत की पुष्टि की गई जिसमे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका रावत के निधन की भी पुष्टि एयरफोर्स द्वारा की गई। इस स्थिति को देखते हुए आई.ए.एफ के द्वारा कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया गया, जिसमें एक एमआई – १७ वीएच हेलिकॉप्टर शामिल है, जिसने कोयंबटूर में सुलूर आईएएफ स्टेशन से उड़ान भरी थी।