अभी सितंबर माह ही है, अतः अभी भी कह सकता हूं, श्रीमान दूरदर्शन जी मैं आप से माफी मांगता हूँ, आप का जन्मदिन था, यानी १५ सितंबर को। अतः मैं अपने, अपने सगे सम्बन्धियों और मित्रों की तरफ से आप को जन्मदिन की ढेरों बधाइयाँ देता हूँ।

आपके महत्व को वही समझेंगे जिन्होनें सैकड़ों चैनलों के आने से पहले अपना बचपन जिया हो और आपके गोद में बैठ कर मोगली को देखा हो, आपके महत्व को वे बुजूर्ग समझेंगे जिन्होने भगवान श्री राम और श्री कृष्ण को रामायण और महाभारत के माध्यम से प्रत्यक्ष महसूस किया हो। आपके महत्व को वो जवानी महसूस करेगी जिसने चीत्रहार और रंगोली का इंतजार किया हो…आदि आदि।

१५ सितंबर, १९५९ को दूरदर्शन की शुरुआत अत्यंत विनीत तरीके से, एक परीक्षण के तौर पर दिल्ली में हुई थी। नियमित दैनिक प्रसारण की शुरुआत १९६५ में आल इंडिया रेडियों के एक अंग के रूप में हुई। १९७२ में बंबई व अमृतसर तक सेवा विस्तारित की गई। १९७५ तक यह सुविधा ७ बड़े शहरों मे शुरु हो गयी। १९८२ में राष्ट्रीय प्रसारण शुरू हुआ और फिर दूरदर्शन रंगीन हो कर आम जन में प्रसिद्ध और प्रिय हो गया।

मैं अश्विनी राय ‘अरुण’ पुनः एक बार फिर से श्रीमान दूरदर्शन जी को जन्मदिन की ढेरों बधाईयां देता हूँ।

धन्यवाद !

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