आज एक बार फिर से हम टैगोर परिवार से ताल्लुक रखने वाले सदस्य के बारे में चर्चा करेंगे। वो श्री सत्येंद्रनाथ टैगोर और ज्ञानदानंदिनी देवी की सबसे छोटी संतान और श्री सुरेंद्रनाथ टैगोर की छोटी बहन थीं। इतने से ही उनका परिचय पूर्ण नहीं होता, वे गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की भतीजी थीं। गुरुदेव रवींद्रनाथ छत्र छाया में रहते हुए वे उनकी तरह ही साहित्यकार, लेखिका और संगीतकार बन गईं। उन्होंने गुरुदेव के कई गीतों के लिए संगीत बनाने में उनकी मदद की। इसीलिए उनसे वे विशेष रूप से करीब थीं। आईए इंदिरा देवी चौधुरानी के बारे में विस्तार से चर्चा करें…
परिचय…
इंदिरा देवी का जन्म २९ दिसंबर, १८७३ को बीजापुर में सत्येंद्रनाथ टैगोर और ज्ञानदानंदिनी देवी के यहां हुआ था। उनका बचपन ब्राइटन, इंग्लैंड में बीता, जहाँ उनके परिवार का मदीना विला का स्वामित्व था। जहां वो इंग्लैंड में समय गुजार रहीं थीं, वहीं उनके बड़े भाई साब श्री सुरेंद्रनाथ जी अपने चाचा रवींद्रनाथ के बहुत करीब आ गए थे। अतः वे भी एक साल बाद उन दोनों के साथ जुड़ गईं। कहने वालों के अनुसार, ये दोनों भाई और बहन कविवर के सभी भतीजों और भतीजियों में से सबसे पसंदीदा थे, इसलिए उन दोनों पर गुरुदेव का पूर्ण प्रभाव था। इस बारे में एक पत्र के रूप में इंदिरा जी ने छिन्नपात्रा में प्रकाशित करवाया था।
शिक्षा…
उनकी प्रारंभिक शिक्षा भारत में शिमला के ऑकलैंड हाउस और कलकत्ता के लोरेटो कॉन्वेंट में हुई थी। वर्ष १८९२ में, इंदिरा जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से फ्रेंच में प्रथम श्रेणी ऑनर्स के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इंदिरा जी ने बांग्ला में जॉन रस्किन की कृतियों के साथ-साथ फ्रांसीसी साहित्य का अनुवाद किया और कविवर रवींद्रनाथ की कृतियों का अंग्रेजी में अनुवाद किया। इंदिरा जी महिलाओं के मुद्दों की प्रबल समर्थक थीं और उन्होंने भारत में महिलाओं की स्थिति पर भी कई रचनाएँ की।
संगीत…
इंदिरा जी ने संगीत में प्रारंभिक रुचि ली, पियानो, वायलिन और सितार में दक्षता हासिल की और भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ पश्चिमी शास्त्रीय संगीत दोनों में प्रशिक्षण प्राप्त किया, तत्पश्चात ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक से डिप्लोमा प्राप्त किया। उन्होंने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के लगभग दो सौ गीतों के लिए संगीत दिया। वे ब्रह्मसंगीत की महान संगीतकार थीं, साथ ही उन्होंने संगीत पर कई निबंध भी लिखे। वर्ष १८९९ में इंदिरा देवी का विवाह प्रमथ चौधरी से हुआ।
बाद का जीवन…
इंदिरा देवी ने विश्व भारती विश्वविद्यालय में संगीत भवन निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं, उन्होंने एक संक्षिप्त अवधि के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी कार्य किया। १२ अगस्त, १९६० को कलकत्ता में ८६ वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
सम्मान…
१. इंदिरा देवी को वर्ष १९४४ में कलकत्ता विश्वविद्यालय ने भुवनमोहिनी स्वर्ण पदक से सम्मानित किया था।
२. वर्ष १९५७ में विश्व भारती विश्वविद्यालय से देसीकोट्टम (डी.लिट.) प्राप्त किया था।
३. वर्ष १९५९ में रवींद्र पुरस्कार की उद्घाटन पुरस्कार विजेता भी थीं।