राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक श्री मधुकर दत्तात्रेय देवरस जी थे, जो ‘बाला साहब देवरस’ के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं।
परिचय…
श्री बाला साहब देवरस का जन्म ११ दिसम्बर, १९१५ को नागपुर के इतवारी मोहल्ले में निवास करने वाले एक सरकारी कर्मचारी श्री दत्तात्रेय देवरस के घर में हुआ था। वे पांच भाई थे। यहीं देवरस परिवार के बच्चे व्यायामशाला में जाते थे। वर्ष १९२५ में संघ की शाखा प्रारम्भ हुई और कुछ ही दिनों बाद बालासाहेब ने शाखा जाना प्रारम्भ कर दिया।
स्थायी रूप से उनका परिवार मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के आमगांव के निकटवर्ती ग्राम कारंजा का था। उनकी सम्पूर्ण शिक्षा नागपुर में ही हुई। न्यू इंगलिश स्कूल मे उनकी प्रारम्भिक शिक्षा हुई। संस्कृत और दर्शनशास्त्र विषय लेकर मौरिस कालेज से बालासाहेब ने वर्ष १९३५ में बीए किया। दो वर्ष बाद उन्होंने विधि (लॉ) की परीक्षा उत्तीर्ण की। विधि स्नातक बनने के बाद बालासाहेब ने दो वर्ष तक ‘अनाथ विद्यार्थी बस्ती गृह’ मे अध्यापन कार्य किया।
स्वयंसेवक संघ…
उन्हें नागपुर मे नगर कार्यवाह का दायित्व सौंपा गया। वर्ष १९६५ में उन्हें सरकार्यवाह का दायित्व सौंपा गया जो ६ जून, १९७३ तक उनके पास रहा। श्रीगुरू जी के स्वर्गवास के बाद ६ जून, १९७३ को सरसंघचालक के दायित्व को ग्रहण किया। उनके कार्यकाल में संघ कार्य को नई दिशा मिली। उन्होंने सेवाकार्य पर बल दिया परिणाम स्वरूप उत्तर पूर्वाचल सहित देश के वनवासी क्षेत्रों के हजारों की संख्या में सेवाकार्य आरम्भ हुए।
आपातकाल…
वर्ष १९७५ में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर संघ पर प्रतिबन्ध लगा दिया। हजारों संघ के स्वयंसेवको को मीसा तथा डीआईआर जैसे काले कानून के अन्तर्गत जेलों में डाल दिया गया और यातनाऐं दी गई। परमपूज्यनीय बाला साहब की प्रेरणा एवं सफल मार्गदर्शन में विशाल सत्याग्रह हुआ और फिर वर्ष १९७७ में आपातकाल समाप्त हो गया और फिर संघ से प्रतिबन्ध भी हटा।
अंत में…
स्वास्थ्य कारणों से अपने जीवन काल में ही वर्ष १९९४ में सरसंघचालक का दायित्व उन्होंने प्रो॰ राजेन्द्र प्रसाद उपाख्य रज्जू भइया को सौंप दिया। अपने सभी प्रकार के दायित्यों को पूर्ण करने के उपरांत १७ जून, १९९६ को वे अनंत की यात्रा पर निकल गए।
उनके छोटे भाई भाऊराव देवरस ने भी संघ परिवार एवं भारतीय राजनीति में महती भूमिका निभाई।