बकरिया कुण्ड

बकरिया कुण्ड काशी के अलईपुर क्षेत्र स्थित बकरिया कुण्ड मुहल्ले में है जिसे आज बोल-चाल की भाषा में बकरिया कुण्ड के नाम से जाना जाता है। इसको उत्तरार्क या बर्करी कुण्ड भी कहा जाता है।

काशी खंड में उल्लेख…

बकरिया कुण्ड का उल्लेख काशी खण्ड अध्याय ४ श्लोक ७२ में है।

अथोत्तरस्यामाशायं कुण्डमकरिव्यमुत्तमम्।
तत्र नाम्नोत्तरार्केण रश्मिमाली व्यवस्थितः।।
तापयनदुःखसड़ घातं साधूनाप्याययन् रविः।
उत्तरार्को महातेजा काशीं रक्षति सर्वदा।।
उत्तरार्कस्य देवस्य पुष्ये मासि खेदिने।
कार्या संवत्सरी यात्रा न तैः काशी फलेप्सुभिः।।

इतिहास…

इस धार्मिक व प्राचीन विरासत के रख-रखाव की घोर उपेक्षा के कारण ये कुण्ड अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। अर्क शब्द सूर्य देव से सम्बन्ध रखता है। यहाँ पूर्व काल में सूर्य-पूजा हेतु विशाल मंदिर था। बाद में बौद्धकाल में बौद्ध-विहार के रूप में प्रयोग किया गया। यहाँ सन् १३७५ ई. फिरोज शाह तुगलक ने इस ऐतिहासिक मंदिर को ध्वस्त किया था। गाहड़वालों के युग से ही इस इलाके में मुसलमानों की बस्तियाँ बस गयी थी। यहाँ सन् १३७५ ई. कि फिरोज शाह तुगलक की शिला लिपि है। इसके निकट बौद्ध चैत्य दिखाई पड़ता है। इतिहासकारों का कहना है कि बकरिया कुण्ड (बर्करी कुण्ड) के बगल में पहले ‘बौद्ध विहार’ था। औरंगजेब तथा अन्य आक्रमणों से उसकी यह दुर्गति बनाई गई।
कई वर्ष पूर्व इस कुण्ड से कृष्ण गोवर्धनधारी की एक अत्यन्त सुन्दर गुप्त कालीन मूर्ति मिली थी, जिसे भारत कला भवन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में रखा गया है। इतिहासकारों का कहना है कि मुगलों के हमलों के पूर्व यहाँ एक विशाल भव्य श्रीकृष्ण का मंदिर था जिसकी मूर्तियाँ खण्डित कर कुण्ड में फेंक दी गई थीं। पास ही कई भवनों के खण्डहर हैं जो निःसन्देह बौद्ध विहारों के अवशेष हैं। इन मंदिरों में सर्वश्रेष्ठ वह मन्दिर है जिसे मुसलमानों ने मस्जिद बना लिया। इसके ४२ खम्भे एक से लगते हैं, मानों अभी-अभी बने हैं। बौद्धों के इन विहारों को इस दशा में परिणित करने का श्रेय मुसलामन आक्रमणकारियों को है। शेरिंग के अनुसार टेनसांग ने जिन ३० बौद्ध विहारों का उल्लेख किया है, उनमें कुछ कुण्ड के किनारे थे। इनमें से अनेक के चिह्न आज भी मिलते हैं। अनुमान किया जाता है कि इसका निर्माण गुप्त-काल में हुआ था। गाजी मियां का मजार बनने के पहले यहाँ हिन्दुओं का मंदिर था। परम्परा से वहाँ छोटी कौम के लोग पूजन करने आते हैं। बाद में मजार बनने पर मुसलमानों ने इबादत करनी शुरू की। किंतु हिन्दू सूर्य-पूजा करने जाते हैं। जैसा कि बहराइच में गाजी मियां के मजार के पास बालाकि ऋषि का आश्रम था और वहीं सूर्य-मंदिर भी था। बकरिया कुण्ड पर औरतें हबुआती हैं और डफाली बाजा बजाते हुये गाजी मियां शहादत गाते हैं। कोई नारियल चढ़ाता है और कोई मुर्गा। इस मेले में अधिकतर महिलाओं की भीड़ होती है-काशी में एक लोकोक्ति चल पड़ी है-‘गाजी मियां बड़े लहरी, बोलावें घर-घर की मेहरी’।

स्थापत्य कला…

आठ खम्भेवाली मस्जिद का निरीक्षण करने से ज्ञात होता है कि वह अति प्राचीन है। सामने के चार स्तम्भ नीचे अष्ट पहले बीच में १६ पहले एवं ऊपर एकदम गोलाकार है। यही आठ स्तम्भ प्राचीन और सुन्दर ढंग से बने हैं। बगल की मस्जिद में भी चार प्राचीन स्तम्भ हैं। वे चारों चौकोर हैं, लेकिन उनमें एक स्तम्भ की नक्काशी बड़े सुन्दर ढंग से की गई है। मस्जिद का प्रवेश द्वार भी सुन्दर बना है। उस पर खुदे शिल्प कार्य को देखने से ही बौद्ध शिल्प की अनायास अनुमान होने लगता है। दक्षिण-पूर्व की मस्जिद भी चौकोर चैत्य के अनुरूप है। इसका गुम्बज मुग़लों द्वारा निर्मित है, स्तम्भ बौद्ध काल के बने हैं। इसका निम्न भाग सरल एवं चौकोर है लेकिन उपर का अंश सारनाथ के स्तूप की भाँति विशिष्ट है। इसके पश्चिम में बत्तीस खम्भा नामक एक विशिष्ट गुम्बज मन्दिर है, गुम्बज शायद मुसलमानों द्वारा कुछ अंशों में परिवर्तित कर दिया गया है लेकिन स्तम्भ सभी प्राचीन काल के हैं। इसके तीनों तरफ बारामदें हैं।

वर्तमान…

वर्तमान में इस कुण्ड का स्वरूप बदल गया है। इस कुण्ड के आस-पास अब कई आवासों का निर्माण हो गया है जिसके कारण कुण्ड का दायरा छोटा हो गया है। फिर भी उसमें पानी अब भी बरकरार है जिसमें जलकुम्भी मौजूद है। इस कुण्ड में शहर के सीवर व गंदा पानी के गिरने से इसका उपयोग बन्द कर दिया गया है। कुण्ड की चारों तरफ गंदगी बरकरार है। इसकी सफाई के प्रति न तो नगर निगम प्रशासन का ध्यान है और न क्षेत्रीय नागरिकों का। खाली जमीन पर अवैध कब्जे जारी हैं। न अब तक इसकी वास्तविक पैमाइश कराकर सुरक्षा की जा रही है और न ही इसका सुन्दरीकरण किया जा रहा है। आस-पास के घरों से इनमें कूड़े पड़ने के कारण भी इसकी दशा अत्यन्त खराब हो गई है। आजकल दक्षिण ओर एक स्थान पर तीन मस्जिदें खड़ी हैं। उसके चारों तरफ क़ब्रिस्तान है। सामने नीचे तरने के लिये भग्न स्तर और जीर्ण सोपान श्रेणी के चि आज भी मौजूद हैं। पश्चिम ओर के मस्जिद के प्रागंण में एक प्रस्तर-स्तम्भ देखने से ज्ञात होता है कि यह पूर्व काल में दीप स्तम्भ रहा होगा। आज भी यहाँ के लोग उक्त स्तम्भ पर दीपक जलाते हैं।

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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