December 3, 2024

आज सम्पूर्ण विश्व में अमूल किसी पहचान की मोहताज नहीं है। फिर भी जानकारी के लिए बताते चलें कि अमूल भारत का एक दुग्ध सहकारी आन्दोलन है, जो आणंद (गुजरात) में स्थित है। यह एक ऐसा ब्रान्ड है, जो गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड नाम की सहकारी संस्था के प्रबन्धन में चलता है, ना कि किन्हीं कार्पोरेट घरानों से। आज अमूल के लगभग २६ लाख मालिक हैं, इसीलिए यह दुग्ध उत्पाद दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड  है। अमूल, संस्कृत के अमूल्य का अपभ्रंश है, जिसका मतलब है- जिसका मूल्य न लगाया जा सके। सच में बहुत ही मूल्यवान है अमूल क्योंकि इसकी स्थापना से लेकर आज तक इसका मुख्य प्रतिद्वंदी विश्व प्रसिद्ध नेश्ले  रहा है। अमूल ने भारत में श्वेत क्रान्ति की नींव रखी जिससे भारत संसार का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बन गया है। अमूल ने ग्रामीण विकास का एक सम्यक मॉडल प्रस्तुत किया, जो जल्द ही घर घर मे स्थापित एक ब्राण्ड बन गया और जिसे गुजरात सहकारी दुग्ध वितरण संघ के द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया। अमूल के प्रमुख उत्पाद हैं: दूध, दूध के पाउडर, मक्खन (बटर), घी, चीज, दही, चॉकलेट, श्रीखण्ड, आइस क्रीम, पनीर, गुलाब जामुन, न्यूट्रामूल आदि हैं। साथ ही आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जब नेश्ले जैसी विश्व की बड़ी कंपनिया गाय के दूध का ही पाउडर बना सकती थीं, उस समय अमूल के संस्थापक श्री कुरियन ने भैंस के दूध से पहली बार पाउडर बनाने का कारनामा करके दिखाया। अमूल आज सफलता की जिस मुकाम पर पहुंची है उसमे भैंस के दूध के पाउडर का महत्वपूर्ण योगदान है।

श्री कुरियन…

डॉ॰ वर्गीज़ कुरियन एक प्रसिद्ध भारतीय सामाजिक उद्यमी थे और ‘फादर ऑफ़ द वाइट रिवोल्युशन’ के नाम से अपने ‘बिलियन लीटर आईडिया’ यानी ऑपरेशन फ्लड, जो कि विश्व का सबसे बड़ा कृषि विकास कार्यक्रम है, के लिए आज भी मशहूर हैं। इस ऑपरेशन ने वर्ष १९९८ में भारत को अमेरिका से भी ज्यादा तरक्की दी और दूध-अपूर्ण देश से दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश बना दिया। इस तरह भारत डेयरी खेती आत्मनिर्भर उद्योग बन गयी। श्री कुरियन ने भारत को खाद्य तेलों के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता दी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ‘धारा’ शुद्ध सरसों तेल नामक ब्रांड है। उन्होंने अपने जीवन काल में लगभग ३० संस्थाओं कि स्थापना की जिसके मुख्य उदाहरण AMUL, GCMMF, IRMA, NDDB आदि हैं। जो सीधे सीधे किसानों द्वारा प्रबंधित हैं और जो पेशेवरों द्वारा चलाये जा रहे हैं। गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF) के संस्थापक अध्यक्ष होने के नाते श्री कुरियन अमूल इंडिया के उत्पादों के मुख्य सृजक हैं। उनकी अमूल की उपलब्धियों के कारण भारत के तात्कालिक प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने उन्हें वर्ष १९६५ में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का संस्थापक अध्यक्ष नियुक्त  कर दिया। उनका मानना था कि अमूल की भांति वे राष्ट्रव्यापी “आनंद मॉडल” को दोहरा सकें। विश्व में सहकारी आंदोलन के सबसे महानतम समर्थकों में से एक, श्री कुरियन ने भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में लाखों लोगों को गरीबी के जाल से बाहर निकाला है। उनकी इस उपलब्धि के लिए देश ने उन्हें पद्म विभूषण (भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान), विश्व खाद्य पुरस्कार और सामुदायिक नेतृत्व के लिए मैग्सेसे पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

परिचय…

श्री कुरियन का जन्म २६ नवम्बर, १९२१ में केरल, कोझीकोड के एक सीरियाई ईसाई परिवार में हुआ था। उनके पिता कोचीन, केरल में एक सिविल सर्जन थे साथ ही उन्होने वर्ष १९४० में लोयोला कॉलेज, मद्रास से भौतिकी में स्नातक और फिर मद्रास विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गिंडी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।डिग्री पूरी करने के बाद वे वर्ष १९४६ में स्टील टेक्निकल इंस्टिट्यूट, जमशेदपुर में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने वर्ष १९४८ में भारत सरकार द्वारा दी गयी छात्रवृत्ति की सहायता से मिशिगन राज्य विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। कालांतर में श्री कुरियन का विवाह मौली से हुआ, जिनसे उन्हें एक बेटी निर्मला हुई।

व्यवसाय…

श्री डॉ॰ वर्गीज कुरियन जब १३ मई, १९४९ को भारत लौटे तो उन्हें सरकार द्वारा एक प्रयोगात्मक क्रीमरी, आनंद, गुजरात में नियुक्त किया गया। श्री कुरियन ने पहले से ही बीच रास्ते इस नौकरी को छोड़ देने का मन बना लिया था, परन्तु त्रिभुवनदास पटेल ने उन्हें ऐसा करने से रोका क्यूंकि उन्होंने खेड़ा के सारे किसानों को एक सहकारी संग में अपने दूध को संसाधित करने और बेचने के लिए जोड़ रखा था। वे अपने काम में किसी तरह कि रोक-टोक नहीं आने देते थे। राजधानियों में बैठे राजनैतिक वर्ग के करमचारियों या नौकरशाहों को वे अपने काम में दखल नहीं देने देते थे। श्री कुरियन और उनके सहियोगी त्रिभुवनदास पटेल को कुछ प्रबुद्ध राजनेताओं से, जिनको उनकी योग्यता पर विश्वास था, से समर्थन मिलता रहा। त्रिभुवनदास की ईमानदारी और मेहनत ने श्री कुरियन को बहुत प्रोत्साहित किया, यहाँ तक की जब प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी जब अमूल के सयंत्र का उद्घाटन करने गए तब उन्होंने श्री कुरियन को उनके अद्भुत योगदान के लिए बधाई दी। इस बीच कुरियन के दोस्त और डेयरी विशेषज्ञ एच.एम. दलाया ने स्किम मिल्क पाउडर और कंडेंस्ड मिल्क को गाय के बजाय भैंस के दूध से बनाने की प्रक्रिया का अविष्कार किया। यही कारण था की अमूल का नेस्ले, जो केवल गाय का दूध इस्तेमाल करते थे, के साथ सफलतापूर्वक मुकाबला हो पाया। भारत में भैंस का दूध गाय के मुकाबले अधिक उपलब्ध है, नाकि यूरोप की तरह जहाँ गाय के दूध की प्रचुरता है। अमूल की तकनीकें इस प्रकार सफल हुईं कि वर्ष १९६५ में लाल बहादुर शास्त्री जी ने नेशनल डयरी डेवलपमेंट बोर्ड (नददब) की स्थापना की ताकि वे इस कार्यक्रम को देश के कोने कोने में फैला सकें। श्री कुरियन के प्रशंसापूर्वक व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुए उन्होंने उन्हें नददब का अध्यक्ष नियुक्त किया।

यह जानकारी हमें श्री कुरियन की जीवनी ‘आई टू हैड अ ड्रीम’ नामक किताब से प्राप्त हुई। मजे की बात यह है कि, जहां श्री कुरियन ने देश में दूध की क्रांति शुरू की थी, वे स्वयं दूध नहीं पीते थे। भारत में कुरियन और उनके सहयोगियों ने ने दो दशकों की अवधि के भीतर ही राष्ट्र को दूध और दूध से बने पदार्थ के आयातक से निर्यातक बना दिया।

ऑपरेशन फल्ड…

ऑपरेशन फल्ड या यूं कहें कि धवल क्रान्ति विश्व के सबसे विशालतम विकास कार्यक्रम के रूप मे पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। वर्ष १९७० में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा शुरु की गई योजना ने भारत को विश्व मे दुध का सबसे बड़ा उत्पादक देश बना दिया। इस योजना की सफलता के तहत इसे ‘श्वेत क्रन्ति’ का नाम दिया गया। वर्ष १९४९ मे श्री कुरियन ने अपनी इच्छा से सरकारी नौकरी को छोड़ कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ, यानी जो अमूल के नाम से प्रसिद्ध है, से जुड़ गए। उसी समय से श्री कुरियन ने इस संस्था को देश का सबसे सफल संस्था बनाया। अमूल की सफलता ने  प्राधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को राष्ट्रीय डेयऱी विकास बोर्ड के निर्माण करने की प्रेरणा दी। उन्होने श्री कुरियन को त्वरित निर्णय के आधार पर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया। परंतु यह कार्य क्या इतना आसान था? उस समय की सबसे बड़ी समस्या धन एकत्रित करने की थी। इसके लिये श्री कुरियन ने विश्व बैंक को राज़ी करने की कोशिश की और बिना किसी शर्त के रुपए चाहे। यह तब की बात है, जब विश्व बैंक के अध्यक्ष वर्ष १९६९ मे भारत आए थे, तब एक मुलाकात के दौरान श्री कुरियन ने उनसे कहा था, “आप मुझे धन दीजिए और फिर उसके बारे मे भूल जाइए।” और आश्चर्य की बात यह कि कुछ दिन के बाद विश्व बैंक ने उनके ऋण को स्वीकृति दे दी।

श्री कुरियन ने इसके अलावा और भी कई कदम लिये जैसे दुध के पाउडर को बनाना, कई तरह के डेयरी उत्पाद, मवेशी के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना और टीके की व्यवस्था करना इत्यादि। यह ऑपरेशन फल्ड अगले तीन चरणों मे पूरा किया गया। इसके बाद जो हुआ उसे सभी जानते हैं।

उपलब्धि…

१. वर्ष १९९९ में पद्म विभूषण, भारत सरकार द्वारा।

२. वर्ष १९९३ में इंटरनेशनल पर्सन ऑफ़ द इयर, वर्ल्ड डेरी एक्सपो द्वारा।

३. वर्ष १९९१ Distinguished Alumni, मिशिगन स्टेट विश्वविद्यालय द्वारा।

४. वर्ष १९८९ वर्ल्ड फ़ूड प्राइज़, वर्ल्ड फ़ूड प्राइज़ फाउंडेशन द्वारा।

५. वर्ष १९८६ वाटलर शांति पुरस्कार, कार्नेगी फाउंडेशन द्वारा।

६. वर्ष १९८६ कृषि रत्न, भारत सरकार द्वारा।

७. वर्ष १९६६ पद्म विभूषण, भारत सरकार द्वारा।

८. वर्ष १९६५ पद्म श्री, भारत सरकार द्वारा।

९. वर्ष १९६३ रमन मेगसेसे पुरस्कार, रमन मग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा।

इसके अलावा भी श्री कुरियन को देश देशांतर मे उनके काम के लिए “कार्नेगी-वॉटेलर वर्ल्ड पीस प्राइज़” आदि जैसे अन्य पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया है। साथ ही उन्हें पूरी दुनिया के विश्वविद्यालयों से लगभग १२ मानद उपाधियों से भी सम्मानित किया गया है। जो निम्नवत हैं…

१. मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी,

२. यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लैसगो,

३. यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू इंग्लैंड

४. सरदार पटेल विश्वविद्यालय

५. आंध्र प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय

६. गुजरात कृषि विश्वविद्यालय

७. रुड़की विश्वविद्यालय

८. केरल कृषि विश्वविद्यालय आदि।

साहित्य में भागीदारी…

श्री डॉ. वर्गीज़ कुरियन ने स्वयं के जीवन संघर्ष को, ९ सितंबर, वर्ष २०१२ यानी अपनी मृत्यु से पूर्व अक्षरों में ढाल दिया था, जिसका नाम है, “आइ टू हैड आ ड्रीम”, “द मैन हु मेड द एलीफेन्ट डांस”(ये ऑडियो बुक है।) और “एन अनफिनीशड ड्रीम”। इसके अलावा भी उनकी अनेकों पुस्तकें हैं, जो उन्होंने लिखीं हैं।

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