श्री विश्वनाथ मन्दिर बीएचयू, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित एक प्रसिद्ध शिव मन्दिर है। इसे नया विश्वनाथ मन्दिर या फिर बिड़ला मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मन्दिर का शिखर विश्व में सबसे ऊँचा है, जिसकी ऊंचाई ८६.४९३ मीटर यानी २८४ फीट है। इसे बिड़ला परिवार ने वर्ष १९६५ में पूर्ण करवाया था।
परिचय…
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ठीक मध्य में विश्वनाथ मंदिर है। यह शिव मंदिर भारत का सबसे विशाल शिव मंदिर है। इस मंदिर की भव्य नक्काशी और इसका वातावरण यहां आने वाले हर एक पर्यटक का मन मोह लेते हैं। आइए, जानते हैं बीएचयू परिसर में स्थित इस विशाल शिव मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य को, जो शायद आप नहीं जानते होंगे।
स्थापना…
सन् १९१६ में बीएचयू की स्थापना के बाद से ही महामना मदन मोहन मालवीय जी के मन में परिसर के भीतर एक भव्य विश्वनाथ मंदिर बनाने की योजना थी। मालवीय जी इस मंदिर का शिलान्यास किसी महान तपस्वी से ही कराना चाहते थे। किसी सिद्ध योगी की तलाश में प्रयासरत मालवीय जी को स्वामी कृष्णाम नामक महान तपस्वी के बारे में पता चला। स्वामी कृष्णाम देश-दुनिया से दूर हिमालय पर्वतमाला में गंगोत्री ग्लेशियर से १५० कोस आगे काण्डकी नाम की गुफा में वर्षों से तप कर रहे थे। सन् १९२७ में मालवीय जी ने सनातन धर्म महासभा के प्रधानमंत्री गोस्वामी गणेशदास जी को स्वामी कृष्णाम के पास भेजकर मंदिर का शिलान्यास करने का निवेदन किया। हमेशा साधना में लीन रहने वाले तपस्वी कृष्णाम स्वामी को मनाने में गोस्वामी गणेशदास जी को भी चार साल लग गए। आखिरकार ११ मार्च सन् १९३१ को स्वामी कृष्णाम के हाथों मंदिर का शिलान्यास हुआ। इसके बाद मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। दुर्भाग्य से मंदिर का निर्माण मालवीय जी के जीवन काल में पूरा ना हो सका।
मंदिर निर्माण…
मालवीय जी के निधन से पूर्व उद्योगपति जुगलकिशोर बिरला जी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि हर हाल में बीएचयू परिसर के भीतर भव्य मंदिर का निर्माण होगा और इसके लिए धन की कभी कोई कमी नहीं आएगी। सन १९५४ तक शिखर को छोड़कर मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया। १७ फरवरी सन् १९५८ को महाशिवरात्रि के दिन मंदिर के गर्भगृह में नर्मदेश्वर बाणलिंग की प्रतिष्ठा हुई और भगवान विश्वनाथ की स्थापना इस मंदिर में हो गयी। मंदिर के शिखर का कार्य वर्ष १९६६ में पूरा हुआ।
विशेष…
मंदिर के शिखर पर सफेद संगमरमर लगाया गया और उनके ऊपर एक स्वर्ण कलश की स्थापना हुई। इस स्वर्णकलश की ऊंचाई १० फिट है, तो वहीं मंदिर के शिखर की ऊंचाई २५०फिट है। यह मंदिर भारत का सबसे ऊंचा शिवमंदिर है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर के ठीक बीचो-बीच स्थित यह मंदिर दो लाख दस हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में स्थित है।
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