November 22, 2024

सोचा बड़े दिन हो गए…
सबसे मिले हुए

अतः अथवा अंततः

निकल पड़े मिलने को, कहीं दूर नहीं जाना था मगर उलझने थीं सो मिलन की प्यास बनी रही। पहले तो मित्रों से मिलते समय किसी भी तरह की कोई औपचारिकता नहीं निभानी पड़ती थी मगर आज के सभ्य समाज को यह कतई मंजूर नहीं की कोई औपचारिक व्यवहार ना करे, भले वो खुद ? ? ? आज मित्र पद और पैसे के आधार पर मित्रों से संबन्ध जो रखने लगे हैं।

इसीलिए हमने भी अपनी ओर से कोशिश की है, औपचारिकताओ के साथ मिलने की। चलिए आप भी मिल लीजिए उनसे शायद वो आप के जीवन में कभी काम आ ही जावें। यह भी हो सकता है उनमे कुछ आपके भी मित्र हो सकते हैं।

श्री सतेन्द्रनाथ मजूमदार, अतुल मोहन प्रसाद, चेतन भगत,  गिरिराज किशोर, फणीश्वरनाथ रेणू, अगाथा क्रिस्टी, महात्मा गाँधी, गोपाल गोडसे, धर्मवीर भारती, रघुवीर सिंह, शिवकुमार गोयल, आचार्य महाप्रयग, तसलीमा नसरीन, प्रो श्यामनन्दना शास्त्री, शेक्सपीयर, सुमित्रानंदन पंत, सुशीला नैयर, कुमारी निवेदिता, रांगेय राघव, मक्सीम गोर्की, महर्षि पतञ्जलि, स्वामी अपूर्वानन्द, महात्मा विदुर, स्वेट मार्डन, स्वामी विवेकानंद, स्वामी शारदानन्द, पुरूषोत्तम नागेश ओक, मोहन लाल भास्कर, डॉ हेडगेवार, अशोक के बैंकर, देवकीनंदन खत्री, स्वामी गोकूलानन्दन, जयशंकर प्रसाद, गणेश श्रीकृष्ण खापडे, एस. भट्टाचार्य, प्रेमचंद, देवदत्त शास्त्री, डॉ सुभाष कश्यप, शिव बहादुर पाण्डे ‘प्रीतम’, रवींद्रनाथ टैगोर, आत्मदेव शशिभूषणम, तौलेसतौय, डॉ गिरिराजशरण अग्रवाल, डॉ एच.एन. राय, स्वामी अभेद्यनन्द, सत्यवीर शास्त्री, डॉ आंबेडकर, शरतचंद्र, जगदीश नलिन, ओशो, सेर्गेयई अलेक्सेव, कुमार पंकज, जंगबहादुर राजपुरीया, अजीत सिंह राठौर, सपना शिवानी केकरे, प्रभन्जन भारद्वाज, डॉ मनीषा यादव, नरेन्द्र कोहली, फ्यौदौर दोश्तोयेवन्स्कि, आर.के. प्रभु, गोस्वामी तुलसीदास, जी महर्षि वाल्मीकि जी, महर्षि वेदव्यास जी, सुभद्रा कुमारी चौहान, कालिदास जी, रामधारी सिंह दिनकर, मौलाना बहिदुदिन खान, यू.आर. राव।

इनके अलावा भी कुछ और मित्र हैं मगर कुछ खफा हैं और कुछ यह पत्र पढ़ रहे हैं।

और मैं भी तो हूँ…
आपका अश्विनी राय ‘अरुण’

धन्यवाद !

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