अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का जन्म १५ अप्रैल, १८६५...
साहित्य
एक समय यानी एक बहुत बड़ा समय अंतराल ऐसा...
भाई, छेड़ो नहीं, मुझे खुलकर रोने दो, यह पत्थर...
यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो रजत...
श्रीमद्भगवद्गीता तात्पर्य अथवा जीवन धर्मयोग के लिये साहित्य अकादमी...
एक युवा डॉक्टर जो अपनी शिक्षा पूरी कर, पिछड़े...
जैसे हम हैं वैसे ही रहें,लिये हाथ एक दूसरे...
‘कादम्बिनी’ नाम तो सुना होगा, सरिता?, नंदन? ये नाम...