हम सीता के जन्मस्थली,
राम ज्ञान अपार हईं।
हम महावीर के तपस्या,
त बुद्ध के अवतार हईं।।
आईब जा त देखब जा
कईसन हम बिहार हईं।
भारतेंदु के हिन्दी हम,
हमहीं रेणु के सार हईं।
दिनकर के कविता त,
विद्यापति के संसार हईं।।
देखब जा त जनाब जा
कईसन हम बिहार हईं।
चंदगुप्त के हिम्मत हईं हम,
हमहीं चाणक्य आचार्य हईं।
अखंड भारत करेवाला,
महान अशोक के तलवार हईं।।
जानब जा त मानब जा,
कईसन हम बिहार हईं।
हम हईं जनक के नगरी,
हमहीं नालंदा के ज्ञान हईं।
सुश्रुत के जन्मदाता,
शल्य चिकित्सा विज्ञान हईं।।
इतिहास हमार पढ़के देखीं,
कईसन हम विचार हईं।
गणित ज्ञान के आर्यभट्ट हमहीं
हमहीं वाल्मीकि के रामायन हईं।
वात्स्यायन के कामसूत्र हमहीं
हमहीं पाणिनी के व्याकरन हईं।।
खाली नईखे आजो वीरन से,
अईसन विलक्षण हम बिहार हईं।
राजेंद्र के आजादी के सपना,
स्वामी सहजानंद के हुंकार हईं
गुरु गोविंद के महिमा हम,
हमहीं कुंवर सिंह के संग्राम हईं।
धर्म, कर्म, ज्ञान, मोक्ष के धरती,
जान लीं साचो के हम विहार हईं।