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कलाकार से निर्देशक बने आर. माधवन ने अपनी नई पारी की शुरुआत रॉकेट्री नामक फिल्म से की हैं। ”रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट” एक ऐसे रॉकेट वैज्ञानिक के जीवन पर आधारित है, जिसे कभी साजिश के तहत देशद्रोही करार कर दिया गया था। सीबीआई जांच के बाद कभी विश्व के प्रतिभावान युवा वैज्ञानिक रह चुके और जिन्हें नासा समेत कई अन्य देशों की संस्थाएं भारत से सौ गुना अधिक रुपए देकर अपने पास रखना चाहते थे, मगर जिन्होंने देश हित को देखकर उन्हें सिरे से ठुकरा दिया था, उस महान वैज्ञानिक नंबी नारायणन को सुप्रीम कोर्ट ने बेगुनाह पाया और राज्य सरकार सहित पुलिस को सजा के तौर पर मानहानि देने का फैसला सुनाया।

साल २०१९ में पद्म भूषण सम्मान प्राप्त करने के बाद नंबी नारायणन ने कहा था,पद्म भूषण सम्मान से नवाजे जाने की मुझे बहुत खुशी है। मुझे सभी स्वीकार कर रहे हैं। पहले सुप्रीम कोर्ट ने मुझे निर्दोष बताया। फिर केरल सरकार मेरे पास आई और अब केंद्र ने भी मुझे स्वीकार कर लिया है।”

रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ की समीक्षा…

आर. माधवन ने इस फिल्म में मुख्य भूमिका के साथ ही साथ इसके लेखक, निर्देशक निर्माता भी हैं। उन्होंने नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित इस फिल्म को दो भागों में बांटा है। पहले भाग उनकी उपलब्धियों और उनके योगदान को दिखाता है, जिसमें उनके प्रिस्टन कॉलेज में स्कॉलरशिप, नासा द्वारा दी जा रही मोटी रकम वाली नौकरी का ठुकराना, फिर इसरो का दामन थामे रखना, स्कॉटलैंड से ४०० पाउंड के स्पेस उपकरण को देश के लिए फ्री में ले आना, फ्रांस से तकनीक सीखकर उनसे बेहतर रॉकेट इंजन बनाना, अमेरिका के विरोध के बावजूद रूस से क्रायोजेनिक इंजन के पार्ट लाना आदि शामिल है।

वहीं, फिल्म के दूसरे भाग में नंबी नारायणन को रॉकेट साइंस तकनीक बेचने के झूठे आरोप में गिरफ्तार किए जाने से लेकर इस अन्याय के खिलाफ उनकी लड़ाई को दिखाया गया है।

फिल्म की ताकत…

फिल्म का पूरा भार माधवन के कंधों पर है, जिसे उन्होंने पूरी मजबूती के साथ उठाया है। फिल्म में उनका अभिनय याद रखा जाएगा। इसके अलावा, नंबी की पत्नी के रूप में सिमरन, उन्नी के रूप में सैम मोहन, साराभाई के रूप में रजित कपूर, कलाम के रूप में गुलशन ग्रोवर आदि ने भी अच्छा सहयोग दिया है। सिरसा रे का कैमरा भारत सहित अमेरिका, रूस, स्कॉटलैंड, फ्रांस की खूबसूरती के साथ-साथ स्पेस इंजन की भव्यता दर्शाने में कामयाब रहा है। बैकग्राउंड म्यूजिक और गाने कहानी के अनुरूप हैं। इसलिए, कुल मिलाकर नंबी नारायणन जैसे महान वैज्ञानिक की उतार-चढ़ाव भरी जिंदगी से परिचित कराती ये फिल्म देखी जानी चाहिए।

फिल्म की कमियां…

फिल्म में वैज्ञानिक शब्दावली और तकनीक की भरमार है, जिसकी वजह से यह फिल्म कम, डाक्यूमेंट्री अथवा साइंस क्लास अधिक जान पड़ता है। उस ऊपर से नंबी नारायणन (माधवन) की विदेश यात्राओं के दौरान बोले जाने वाले ज्यादातर डायलॉग अंग्रेजी में है, इसके चलते भी आम दर्शकों के लिए कुछ चीजें समझना मुश्किल हो जाता है।

देखना क्यूं जरूरी है?…

देश के महान रॉकेट वैज्ञानिक नंबी नारायणन की रोंगटे खड़ी करने वाली जिंदगी को जानने और आर माधवन की उम्दा अदाकारी के साथ साथ उस साजिश के लिए जरूर देखें, जिसकी वजह से भारत अंतरिक्ष विज्ञान में पचास वर्ष पीछे हो गया।

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