बात उन दिनों की है जब भौतिक विज्ञान में नई-नई खोजें हो रही थीं। जर्मन भौतिकशास्त्री मैक्स प्लांक ने क्वांटम सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। उसका अर्थ यह था कि ऊर्जा को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटा जा सकता है। जर्मनी में ही अल्बर्ट आइंस्टीन ने “सापेक्षता का सिद्धांत” प्रतिपादित किया था।

मगर आप सोच रहे होंगे, मैं आज के दिन ये क्या लेकर बैठ गया। आज के दिन अर्थात,
#०१ जनवरी, २०१९ के दिन…

एक व्यक्ति एक लेख लेकर देश के सभी बड़े प्रकाशनों के पास जाता है, मगर उस व्यक्ति को सिर्फ निराशा हाथ लगती है।
मगर वह व्यक्ति हारा नहीं उसने उस लेख को सीधे आइंस्टीन को भेज दिया। उन्होंने इसका अनुवाद जर्मन में स्वयं किया और प्रकाशित करा दिया। इससे उस व्यक्ति को बहुत प्रसिद्धि मिली और उसे यूरोप आने का न्यौता मिला। यूरोप यात्रा के दौरान उस व्यक्ति की आइंस्टीन से मुलाकात भी हुई।
यहां सोचने वाली एक बात है, क्या हर भारतीय अच्छे हैं या हर विदेशी बुरे। यह एक वैचारिक विषय है। यहां बात भले और बुरे की ना होकर प्रतिभा के कद्र की हो तो ज्यादा श्रेयस्कर रहेगा।
हां तो हम बात कर रहे थे उस लेख के बारे में और उसके लेखक के बारे में। वह लेख था,”प्लांक्स लॉ एण्ड लाइट क्वांटम” पर और लेखक थे…

श्री सत्येन्द्रनाथ बोस
जन्मदिवस – ०१ जनवरी १८९४
स्थान – कलकत्ता

ऊपर बताए गए सभी खोजों पर सत्येन्द्रनाथ बोस पहले से ही अध्ययन कर रहे थे। मगर भारत में ही एक भारतीय के प्रति उदासीनता तथा एक विदेशी का एक लेख के आधार पर भरोसा करना यह साफ दर्शाता है की मानवता और विश्वास किसी एक देश की बपौती नहीं है। बोस तथा आइंस्टीन ने मिलकर बोस-आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स की खोज कर डाली।
भौतिक शास्त्र में दो प्रकार के अणु माने जाते हैं – बोसान और फर्मियान। इनमे से बोसान सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर ही हैं।
सन्‌ १९२६ में सत्येन्द्रनाथ बोस भारत लौटे और ढाका विश्वविद्यालय में १९५० तक काम किया। तत्पश्चात शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति भी बने।

नव वर्ष के बीच एक खुशखबरी यह भी है की श्री बॉस का जन्म आज ही के दिन हुआ था।
तो बजाओ ताली और गाओ…

Happy Birth Day to….

धन्यवाद !
अश्विनी राय

अंत में … एक चिठ्ठी जो लिखी गई थी,
बोस द्वारा आइंस्टीन को उसकी छाया प्रति…

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