पहले महायुद्ध के छिड़ते ही जब भारत के अन्य दल अंग्रेज़ों को सहयोग दे रहे थे गदरियों ने अंग्रेजी राज के विरूध्द जंग घोषित कर दी। उनका मानना था…

सुरा सो पहचानिये, जो लडे दीन के हेत।
पुर्जा-पुर्जा कट मरे, कभूं न छाडे खेत॥

ग़दर पार्टी का जन्म अमेरिका के सैन फ़्रांसिस्को के एस्टोरिया में अंग्रेज़ी साम्राज्य को जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से हुआ। गदर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष थे,

बाबा सोहन सिंह भाकना
जन्म – २ जनवरी १८७०
स्थान – लाहौर (पाकिस्तान)

बाबा ने गदर पार्टी की स्थापना अंग्रेजी शासन के विरुद्ध की थी। पहले विश्व युद्ध से लेकर दूसरे विश्व युद्ध तक बाबा ने अंग्रेजों को कभी चैन से बैठने नहीं दिया। उन्होने
गदर पार्टी के माध्यम से अपना पत्र “हिन्दुस्तान ग़दर” निकाला जिसमें ब्रितानी हकुमत का खुला विरोध किया गया। हिन्दुस्तान ग़दर नामक पत्र हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अन्य भारतीय भाषाओं में छापा जाता था। “युगान्तर आश्रम” ग़दर पार्टी का मुख्यालय था। यहीं से ग़दर पार्टी ने एक पोस्टर छापा था जिसे पंजाब में जगह जगह चिपकाया भी गया था। इस पोस्टर पर लिखा था – “जंग दा होका” अर्थात युद्ध की घोषणा।

बाबा जब तक जीते रहे जीतते ही रहे, अंग्रेजों ने बड़ी यातना दी थी उन्हें और इतिहास गवाह है सोलह बरस की यातना भरी जिंदगी भारत के किसी स्वतंत्रता सेनानी को ना मिली। यह उनका जिद ही था…
जिससे स्वतंत्रता सेनानी की नई पौध सामने आई जिनमे से…करतार सिंह सराभा, लाला हरदयाल आदि ने जो कार्य किये, उसने भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के लिए एक मिसाल कायम की।

बाबा के जन्म तारीख पर कुछ लड़ाइयां आज भी छिड़ी हुई हैं मगर प्रेसिडेंसी कॉलेज की एक पत्रिका के आधार पर आज अर्थात ०२-०१-१९ को जन्मदिवस मानकर हम बाबा को कोटि कोटि नमन करते हैं।

धन्यवाद
Ashwini Rai

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