November 24, 2024

चन्द्र टरै सूरज टरै,
टरै जगत व्यवहार।
पै दृढ श्री हरिश्चन्द्र का,
टरै न सत्य विचार॥

सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र ने सत्य के मार्ग पर चलने के लिये अपनी पत्नी और पुत्र के साथ स्वयं को भी बेच दिया था। उनकी पत्नी का नाम महारानी तारा एवं पुत्र का नाम रोहित था। राजा ने अपने दानी स्वभाव के कारण महर्षि विश्वामित्र जी को अपने सम्पूर्ण राज्य दान कर दिया था, परंतु दान के बाद की दक्षिणा के लिये साठ भर सोने में स्वयं तीनो प्राणी बिके गए मगर अपनी मर्यादा एवं रीति को भंग नहीं होने दिया।

अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर, आज ही के दिन यानी ३ मई, १९१३ को सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र पर आधारित भारत की पहली फिल्म बनी थी। यह मूक फ़िल्म थी।इसके निर्माता निर्देशक दादासाहब फालके थे और यह भारतीय सिनेमा की प्रथम पूर्ण लम्बाई की नाटयरूपक फ़िल्म थी। फ़िल्म मूक है परंतु इसमें दृश्यों को समझने के लिए भीतर अंग्रेज़ी और हिन्दी में कथन लिखकर समझाया गया है। फ़िल्म में अभिनय करने वाले सभी कलाकार मराठी थे अतः फ़िल्म को मराठी फ़िल्मों की श्रेणी में भी रखा जाता है। फ़िल्म की शुरुआत राजा रवि वर्मा द्वारा राजा हरिश्चन्द्र, उनकी पत्नी और पुत्र की बनाये गये चित्रों की प्रतिलिपियों की झांकी से आरम्भ होती है। इसमे कार्य करने वाले कलाकार निम्नवत थे…

दत्तात्रय दामोदर दबके (राजा हरिश्चन्द्र)
अन्ना सालुंके (राजा हरिश्चन्द्र की पत्नी तारामति)
बालाचन्द्र डी॰ फालके (हरिश्चन्द्र का पुत्र रोहिताश)
जी. व्ही. साने (महर्षि विश्वामित्र)
डी. डी. दाबके, पी. जी. साने, अण्णा साळुंके, भालचंद्र फाळके, दत्तात्रेय क्षीरसागर, दत्तात्रेय तेलंग, गणपत शिंदे, विष्णू हरी औंधकर, नाथ तेलंग आदि।

निर्देशक, निर्माता, पटकथा :- दादासाहब फालके

कहानी :- रणछोड़बाई उदयराम
प्रदर्शन तिथि :- ३ मई, १९१३
समय सीमा :- ४० मिनट

इस मूक फ़िल्म भारतीय फिल्म उद्योग के इतिहास की पहली फिल्म थी, जिसने ऐतिहासिक नींव स्थापित की।

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1 thought on “राजा हरिश्चन्द्र फिल्म

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