अरविंद त्रिवेदी

रामायण तो आपको याद ही होगा, जी हां रामानंद सागर जी वाली? हां वही जिसके टीवी पर आते ही सड़कें खाली हो जाती थी, जैसे मानो कर्फ्यू लग गया हो। क्या समय ना, उस समय लोग अपने-अपने टीवी सैटों के सामने अथवा पड़ोसी के घर आ कर जम जाते थे। वैसे तो उस समय टीआरपी का मतलब पता नहीं था, मगर जब जाना तो पता चला कि उस ज़माने में इस शो की टीआरपी हवाई जहाज से भी तेज़ दौड़ती थी। आज के समय में भी जब बात रामानंद सागर की रामायण की आती है तो उसका एक-एक किरदार हमारे दिमाग चलचित्र की भांति चलने लगते हैं। राम-सीता, भरत, लक्ष्मण, हनुमान या फिर रावण, हर किरदार आज तक लोगों के ज़हन में बसा हुआ है।

ऐसा ही एक किरदार है रावण। रामानंद सागर जी की रामायण में रावण का किरदार अरविंद त्रिवेदी जी ने निभाया था। रामानंद सागर की रामायण में काम करने वाले अरविन्द त्रिवेदी जी वाकई में एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने रावण के किरदार को करके अमर हो गए। इनके किरदार की तारीफ आज भी हर कोई करता है। इनकी दहाड़ने की आवाज को कोई कैसे भूल सकता है। वाकई में गरजती आवाज़ और पहाड़ सा शरीर वाले उस रावण की छाप अरविंद त्रिवेदी पर ऐसी पड़ी कि लोग आज भी उन्हें रावण के नाम से ही जानते हैं।

आइए आज हम लंकाधिपति रावण उर्फ अरविंद त्रिवेदी जी के बारे में जानते हैं…

अरविंद त्रिवेदी जी का जन्म ०८ नवंबर, १९३७ को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था इनके पिता का नाम जेठालाल त्रिवेदी था। असल ज़िन्दगी में राम के भक्त अरविंद का बचपन मध्य प्रदेश के उज्जैन में बीता लेकिन वो गुजरात में ही पले बढ़े थे। १२वीं कक्षा तक पढाई उन्होंने मुंबई के भवंस कॉलेज से की थी। वहीं वे शाम को रामलीला देखने जाया करते थे। उन्हें रामलीला देखना बहुत ही पसंद था। इनके बड़े भाई साहब श्री उपेंद्र त्रिवेदी जी गुजरती फिल्मों के जाने माने कलाकार थे। बड़े भाई की तरह अरविंद त्रिवेदी ने भी एक्टर बनने का फैसला किया। वैसे तो शुरुआती दिनों में वे अपने गली मोहल्ले में हो रही रामलीला में लगातार कोई ना कोई पात्र का किरदार निभाते ही रहते थे। लोगों को वे बेहद पसंद आते थे, जब ये किसी भी किरदार को करते थे तो लोग तालियां बजाने से चूकते नहीं थे। अरविंद त्रिवेदी जी ने रंगमंच पर काफ़ी दिनों तक काम किया और अच्छा नाम भी कमाया।

फिल्मों में मौका…

इसके बाद उन्हें मेहनत और लगन के दम पर गुजराती फिल्मों में काम करने का मौका मिल गया। उन्होंने बहुत सी गुजराती फिल्मों में काम किया लेकिन ज्यादातर फिल्मों में उन्हें विलन का काम ही मिला। इसके अलावा उन्होंने कुछ हिंदी फिल्मों में भी काम किया है। अगर हिंदी और गुजरती फिल्मों को जोड़ें तो इन्होने तकरीबन ३०० फिल्मों में काम किया। इस बीच वर्ष १९६६ में नलिनी जी के साथ इनकी शादी हुई, जिनसे उन्हें तीन पुत्रियों की प्राप्ति हुई।

रामायण…

वर्ष १९८५-८६ की बात है। त्रिवेदी जी को पता चला कि निर्माता निर्देशक श्री रामानंद सागर जी रामायण बना रहे हैं और वे उसके लिए मुख्य किरदारों की तलाश में हैं। तब उन्होंने सोचा कि क्यों न अपने भाग्य को आजमाया जाए? वे उनसे मिलने गए। सीधे सीधे अरविंद जी ने रामानंद जी से पूछा, “रामानंद जी सुना है आप रामायण बनाने जा रहे हैं?” वह बोले, “हां, तैयारियां शुरू हो चुकी है।” अरविन्द जी ने कहा, “मैं भी इसमें काम करना चाहता हूं। मेरे लिए कोई किरदार हो तो बताएं।” रामानंद जी ने एक पल भी देर न करते हुए उनसे पूछा कि वो कौन-सा किरदार करना चाहते हैं। वो सोच में पड़ गए । रामायण के सभी किरदार अपने-अपने रूप में महत्वपूर्ण थे। उन्हें केवट का ध्यान आया। सभी जानते हैं कि केवट रामभक्त था। उसी तरह वो भी बड़े रामभक्त थे। उनके लिए भी श्रीराम से बढ़कर कोई नहीं हैं। रामायण में केवट ने राम और सीता को गंगा पार करने में मदद की थी और श्रीराम के चरण स्पर्श का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उन्हें यही किरदार करना था, तो बस उन्होंने तपाक से कहा कि उन्हें केवट का किरदार निभाना है।

रामानंद जी कुछ नहीं बोले। बस उन्होंने इतना कहा कि तुम कल आ जाओ। अगले दिन वो सेट पर पहुंचे तो देखा ३०० से भी ज्यादा लोगों का जमावड़ा लगा है। पूछने पर पता चला कि लंकापति रावण के किरदार के लिए ऑडिशन चल रहा है। उन्होंने रामानंद सागर जी के स्टाफ को बताया कि मुझे केवट के किरदार के लिए रामानंद जी ने बुलाया था। वह बोला, “इस ऑडिशन के बाद आपको बुलाया जाएगा।” वो भी एक जगह बैठ गए। अच्छे-खासे लंबे-चौड़े लोग रावण के किरदार के लिए ऑडिशन देने आए थे। सबका ऑडिशन होने के बाद उन्हें बुलाया गया। उन्होंने अरविंद जी को एक स्क्रिप्ट दी। उसे पढ़ने के बाद वो अभी कुछ कदम ही चले थे कि रामानंद जी ने खुशी से चहकते हुए कहा, “बस, मिल गया मुझे मेरा लंकेश। यही है मेरा रावण।” वो चौंककर इधर-उधर देखने लगे कि उन्होंने तो कोई डायलॉग भी नहीं बोला और यह क्या हो गया? जब उन्होंने रामानंद जी से पूछा, तो रामानंद जी बोले, “मुझे मेरा रावण ऐसा चाहिए, जिसमें सिर्फ शक्ति ही न हो, बल्कि भक्ति भी हो। वह विद्वान है, तो उसके चेहरे पर तेज हो। अभिमान हो और मुझे सिर्फ तुम्हारी चाल से ही यह विश्वास हो गया कि तुम इस किरदार के लिए सही हो।” उसके बाद तो आप सभी जानते ही हैं।

रामानंद जी जल्द ही किसी को गले नहीं लगाते थे, लेकिन यह कहते ही उन्होंने अरविन्द जी को गले से लगा लिया, जो उनके लिए सौभाग्य की बात थी। रावण के इस किरदार को और रामायण को कालजयी बनाने में रामानंद जी के साथ अरविंद जी को भी श्रेय जाता है। अब वे लोगों के लिए अरविंद त्रिवेदी नहीं थे वरन लंकापति रावण हो गए थे। उनके बच्चों को लोग रावण के बच्चे और उनकी पत्नी को मंदोदरी के नाम से पुकारा जाने लगा था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि रावण का किरदार निभाकर वे इतना मशहूर हो जायेंगे कि सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लोग उन्हें जानेंगे, उनका नाम याद रखेंगे। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जिस दिन धारावाहिक में रावण मारा गया था, उस दिन उनके इलाके में लोगों ने शोक मनाया था। जिस प्रकार आज यानी मंगलवार को (५ अक्तूबर, २०२१) रात करीब १० बजे उनके निधन के बाद अपने देश सहित विदेशों में भी लोग सकते में हैं।

 निधन…

स्वर्गीय अरविंद जी के भतीजे कौस्तुभ त्रिवेदी ने उनके निधन के खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि, ‘चाचाजी पिछले कुछ सालों से लगातार बीमार चल रहे थे। पिछले तीन साल से उनकी तबीयत कुछ ज्यादा ही खराब रहने लगी थी। ऐसे में उन्हें दो-तीन बार अस्पताल में भी दाखिल कराना पड़ा था। एक महीने पहले ही वो अस्पताल से एक बार फिर घर लौटे थे। मंगलवार की रात उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने कांदिवली स्थित अपने घर में ही दम तोड़ दिया।’

राजनीति…

रामायण के खत्म होने के कुछ समय बाद वे राजनीति में चले गये। वर्ष १९९१ में भारतीय जनता पार्टी की और से सांसद भी चुने गए और इस तरह से अपने प्रसिद्ध धारावाहिक रामायण के बाद उन्होंने हमेशा हमेशा के लिए अदाकारी से संन्यास ले लिया। मूल रुप से इंदौर से ताल्लुक रखने वाले अरविंद जी लंकेश के रूप में ऐसे खपे की रामायण के इतर भी उन्हें खलनायकों के रोल मिलने लगे। उस समय अपनी कद-काठी, भारी आवाज़ से लोगों के दिलों में राज करने वाले टीवी के रावण अरविंद त्रिवेदी जी ८३ वर्ष की उम्र में परलोक गमन को निकल पड़े।

अपनी बात…

वैसे तो रावण अन्याय, अत्याचार और नफरत का प्रतीक है मगर अरविंद जी के अनुसार, ‘जब भी वे किसी कार्यक्रमों में गए तो यही पाया कि लोगों के दिलों में रावण के चरित्र की भी कितनी इज्जत है। लोग आज भी रावण को विद्वान मानते हैं। रावण ने तो राम के जरिए अपने पूरे कुनबे को मोक्ष दिलाया। अगर रावण आत्मकेंद्रित होता तो खुद हिरण बनकर मोक्ष प्राप्त कर लेता। रावण काफी उसूलों वाला इंसान था, वह घोर तपी और नियमों को मानता था। अहंकार को छोड़कर रावण से बहुत कुछ सीखा जा सकता है।’ रामायण के आलावा इन्होने विक्रम और बेताल, ब्रह्मऋषि विश्वामित्र, त्रिमूर्ति, आज की ताज़ा खबर, जंगल में मंगल, पराया धन, देश रे जोया दादा प्रदेश जोया, ढोली जैसी अनेको टीवी सीरियल्स और फिल्मों में काम किया था।

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

Similar Articles

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertismentspot_img

Instagram

Most Popular