March 28, 2024

धमेख स्तूप से आधा मील दक्षिण चौखण्डी स्तूप स्थित है, जो सारनाथ के अवशिष्ट स्मारकों से अलग हैं। इस स्थान पर गौतम बुद्ध ने अपने पाँच शिष्यों को सर्वप्रथम उपदेश सुनाया था जिसके स्मारक स्वरूप इस स्तूप का निर्माण हुआ। ह्वेनसाँग ने इस स्तूप की स्थिति सारनाथ से ०.८ कि॰मी॰ दक्षिण-पश्चिम में बताई है, जो ९१.४४ मी. ऊँचा था। इसकी पहचान चौखंडी स्तूप से ठीक प्रतीत होती है। इस स्तूप के ऊपर एक अष्टपार्श्वीय बुर्जी बनी हुई है। इसके उत्तरी दरवाजे पर पड़े हुए पत्थर पर फारसी में एक लेख उल्लिखित है, जिससे ज्ञात होता है कि टोडरमल के पुत्र गोवर्द्धन सन् १५८९ ई. यानी तात्कालिक काल गणना के अनुसार ९९६ हिजरी में इसे बनवाया था। लेख में वर्णित है कि हुमायूँ ने इस स्थान पर एक रात व्यतीत की थी, जिसकी यादगार में इस बुर्ज का निर्माण संभव हुआ।

एलेक्जेंडर कनिंघम ने वर्ष १८३६ ई. में इस स्तूप में रखे समाधि चिन्हों की खोज में इसके केंद्रीय भाग में खुदाई की, इस खुदाई से उन्हें कोई महत्त्वपूर्ण वस्तु प्राप्त नहीं हुई। सन् १९०५ ई. में श्री ओरटेल ने इसकी फिर से खुदाई की। उत्खनन में इन्हें कुछ मूर्तियाँ, स्तूप की अठकोनी चौकी और चार गज ऊँचे चबूतरे मिले। चबूतरे में प्रयुक्त ऊपर की ईंटें १२ इंच X १० इंच X २.७५ इंच और १४.७५ X १० इंच X २.७५ इंच आकार की थीं जबकि नीचे प्रयुक्त ईंटें १४.५ इंच X ९ इंच X २.५ इंच आकार की थीं।

इस स्तूप का ‘चौखंडी‘ नाम पुराना जान पड़ता है। इसके आकार-प्रकार से ज्ञात होता है कि एक चौकोर कुर्सी पर ठोस ईंटों की क्रमश: घटती हुई तीन मंज़िले बनाई गई थीं। सबसे ऊपर मंज़िल की खुली छत पर संभवत: कोई प्रतिमा स्थापित थी। गुप्तकाल में इस प्रकार के स्तूपों को ‘त्रिमेधि स्तूप’ कहते थे। उत्खनन से प्राप्त सामग्रियों के आधार पर यह निश्चित हो जाता है कि गुप्तकाल में इस स्तूप का निर्माण हो चुका था।

About Author

1 thought on “चौखण्डी स्तूप

Leave a Reply