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काशी के मणिकर्णिका घाट पर रत्नेश्वर महादेव मंदिर के पास ही सटा हुआ एक मंदिर है, जिसे ‘दूध का कर्ज’ मंदिर के नाम से जाना जाता है।

मान्यता…

पर्यटकों और तीर्थाटन करने वालों को काशी के इस अजीबो गरीब मंदिर को जरूर देखना चाहिए। क्योंकि लोक कथाओं के अनुसार एक अमीर और घमण्‍डी पुत्र ने अपनी माता के दूध का कर्ज उतारने के उद्देश्य से शिव मंदिर का निर्माण करवाया। निर्माण के लिए उसने देश के कई हिस्सों से शिल्पकारों को बुलावाया।

दर्शन…

जब मां को इस बात की जानकारी हुई कि बेटा दूध का कर्ज उतारना चाहता है, तो इस बात से मां की भावनाओं को ठेस लगी। बेटे ने मां से कर्ज की बात कहते हुए मंदिर में दर्शन करने को कहा तो वह बाहर से ही प्रणाम कर चली गई। तब बेटे ने रोककर कहा, ‘मां! अंदर दर्शन नहीं करोगी क्या?’ इस पर मां ने कहा, ‘कैसे करूं यह मंदिर तो सही से बना ही नहीं है। तब बेटे ने जैसे ही पलट कर देखा, वैसे ही मंदिर एक तरफ धंस गया और टेढ़ा हो गया। उसने अपनी माँ से कहा मैंने तेरे लिए मंदिर बनवाकर तेरा कर्ज़ चुका दिया। तब उसकी माँ ने कहा कि दूध का कर्ज़ कभी चुकाया नहीं जा सकता। उसी दिन से इस मंदिर का नाम दूध का कर्ज़ मंदिर पड़ गया।

सच्चाई…

मंदिरों के बारे में कई भ्रांतियां फैली होती हैं, तो कितने ही किस्से कहानियां सुनी सुनाई जाती हैं, उनमें से कितने सच होते हैं इसका तो कभी पता नहीं चलता, मगर उनकी कहानियां हमे कुछ ना कुछ सीखा अवश्य जाती हैं। और शायद इसी लिए वह बिना किसी लाग लपेट के एक के बाद दूसरे तक सीधे पहुंचती हैं। वे स्वयं में कोई इतिहास होती हैं तो कुछ इतिहास को ओढ़े रहती हैं और कुछ को अपने नीचे दबाए हुए हैं। बस इंतजार है उन्हें ढूढने का, उन्हें जानने का। कितने ही लोग रत्नेश्वर महादेव मंदिर और दूध का कर्ज मंदिर दोनों को एक ही कहते हैं, जबकि दोनों दो हैं और दोनों ही की स्थिति समान है।

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1 thought on “दूध का कर्ज मंदिर

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